15 अक्टूबर 2020 को सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के द्वारा Zoji La Tunnel के बनने के लिए हरी झंडी दे दी। इसका मतलब यह हुआ कि अब पहाड़ को तोड़कर टनल बनाने का काम शुरू हो गया है। अटल विहारी वाजपेयी के द्वारा इस टनल को बनाने का सपना देखा गया किन्तु क्षेत्र की कठनाइयों के कारण आज तक इस प्रोजेक्ट को शुरू नहीं किया जा सका था।
इस टनल की लम्बाई अटल टनल से लम्बी है। 14.2 km की लम्बाई वाली यह 2 lane tunnel होगी, इस टनल पर आना जाना दोनों हो सकता है(bi-directional), एक ही टनल को खोद कर बनाया जायेगा(single tube tunnel) जिस पर रोड होगा।
बनने के पश्चात् यह एशिया में सबसे लम्बी टनल होगी। इस टनल के बनाने पर ज़ोजिला दर्रे को पार करने का समय 3-4 घंटे से काम होकर 15 मिनट रह जायेगा। ज़ोजिला बेहद महत्वपूर्ण पास है NH-1 पर जो श्रीनगर को लेह से जोड़ता है। यह लद्दाख क्षेत्र को कश्मीर वैली से जोड़ता है जो द्रास और कारगिल जैसे शहरों से होकर जाता है।
श्रीनगर से 100 km दूरी पर ज़ोजिला है जिसके पास द्रास, सोनमर्ग, बालताल शहर है। लद्दाख क्षेत्र को भारत के दूसरे हिस्सों से जोड़ने वाले दो हाईवे हैं जिसमें पहला है- जो श्रीनगर से होते हुए जाता है और दूसरा है leh-manali हाईवे। यह दोनों ही रोड सर्दियों में बर्फ गिरने की वजह से ब्लॉक हो जाते हैं। एक अनुमान के अनुसार लगभग 5 से 6 महीने यह रोड बंद ही रहते हैं।
इस कारण सर्दिया में लद्दाख पहुंचने का एक ही रास्ता होता है – वह है हवाई सफर।
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Zoji La Tunnel रोचक तथ्य
ज़ोजि ला का मतलब होता है अंग्रेज़ी में “mountain pas of blizzards (बर्फीले तूफ़ान का पहाड़)”। समुन्द्र तल से इसकी ऊंचाई 3528 मीटर (11575 फिट) है। यह दर्रा दुनिया के सबसे खतरनाक माउंटेन दर्रों में से एक माना जाता है। यह बहुत ही संकरा है जिसके साइड में कोई रूकावट नहीं है। यहाँ बहुत तेज़ हवाएं चलती हैं, और तेज़ बर्फ़बारी होती है।
Zoji La Tunnel बनने से फायदे
सर्दियॉं के मौसम में मौसम में लद्दाख का क्षेत्र शेष भारत से अलग हो जाते हैं रास्ते को बार बार बनाना पड़ता है। अगर इस क्षेत्र में कोई विकास प्रोजेक्ट चल रहा होता है तो सड़क के जरिये पहुंच बंद होने से प्रोजेक्ट भी रोकने पड़ते हैं। अक्सर इस क्षेत्र में पेट्रोल की कमी हो जाती है ट्रकों द्वारा पहुँचाये जाने वाले टैंकर ख़राब मौसम में फस जाते हैं। इसके अलावा भी खाद्य सामग्री को लेकर भी समस्याएँ रहती हैं।
किन्तु इस टनल के बनने से इन सभी समस्याओं से निजात मिलेगी सर्दियों के मौसम में भी जम्मू कश्मीर क्षेत्र को लद्दाख से कनेक्ट कर दिया जायेगा और जो शहर सर्दियों में पहुँच से दूर हो जाते थे जैसे- द्रास, कारगिल। उनतक पूरी साल पहुँच होगी।
जानना चाहिए
भारत को इस टनल के मायने कारगिल युद्ध में पता चली। यह NH-1 हाईवे है LOC के बेहद करीब स्थित है। कारगिल वॉर में यह पाकिस्तान की बमबारी की रेंज में आता था। जिसे पाकिस्तान cut-off कर सकता था। उस समय भारत को इसकी महत्ता का आभास हुआ। 2005 में ज़ोजिला को लेकर टनल बनाने का प्लान तैयार किया गया। 2013 में बीआरओ (Border Roads Organisation ) ने इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की। किन्तु कोई भी कंपनी इस प्रोजेक्ट को लेने के लिए तैयार नहीं थी। 2018 में ILFS कम्पनी को यह प्रोजेक्ट सौंप दिया गया लेकिन 2019 में ILFS क्राइसिस हो गया। जिस कारण प्रोजेक्ट की शुरुआत हो नहीं पायी।
अब 2020 में इस प्रोजेक्ट को मेघा इंजीनियरिंग कंपनी को दिया गया है और इस कंपनी के द्वारा काम शुरू भी कर दिया गया है। इस प्रोजेक्ट में 15 साल तो हमें पहला पत्थर तोड़ने में लग गए हैं। अब ऐसा अनुमान है कि आगे आने वाली 6 साल में यह प्रोजेक्ट पूरा हो जायेगा। इस टनल को बनाने में अभी कुल खर्चे का अनुमान 6808 करोड़ है।
टनल की कुल लम्बाई 14.2 Km है, पर इसके साथ ही 18.63 Km की approaching road भी बनायी जाएगी। जिस कारण इस प्रोजेक्ट की कुल लम्बाई 32.78 Km की रहेगी।
Zoji La Tunnel के सामरिक मायने
सर्दियों में इस जगह का तापमान -45 डिग्री तक चला जाता है। भू-स्खलन की घटनायें यहाँ अक्सर होती रहती है। बेहद जटिल मौसम होने पर भी इस क्षेत्र में भारत कारगिल LOC जैसी जंग लड़ चुका है। चीन का प्रभुत्व भी भारत के लिए चिंता का विषय है वह कुछ न कुछ ऐसा करता रहता है जिससे चीन भारत बॉर्डर एरिया में शांति को भंग किया जा सके।
अक्साई चीन का भाग चीन के द्वारा पहले से ही कब्ज़ा रखा है। चीन जिस तेजी से बॉर्डर एरिया में सड़क निर्माण कार्य कर रहा है। उसी तेज़ी से हमें भी काम करना होगा। किसी भी जंग की स्थिति में सड़कों द्वारा पहुँच को तीव्र बनाने के लिए सडकों का जाल, बॉर्डर एरिया में किसी भी देश को सामरिक रूप से मजबूत स्थिति में पहुंचा देता है।
अभी Zoji La Tunnel की शुरुआत हुई है मुश्किल परिस्थिति के कारण यह अनुमान लगाना की 6-7 साल में यह प्रोजेक्ट पूरा होगा यह तो समय गुजर जाने पर ही पता चलेगा। क्यों अटल टनल जो इससे छोटी है उसे भी लगभग 10 साल का समय तो लग ही गया। अगर यह प्रोजेक्ट समय पर पूरा होता है तो यह कंपनी की साख के लिए भी कीर्तिमान साबित होगा