कुछ ही दिनों में समुद्री तटीय क्षेत्र में आने वाला यह दूसरा चक्रवाती तूफान है। बंगाल की खाड़ी ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवाती तूफान के लिहाज से अनुकूल परिस्थितियां पैदा करता है। जो चक्रवाती तूफान के आने के लिए मुख्य करण है।
यास चक्रवाती तूफान को देखते हुए NDRF (National Disaster Response Force) की टीम को पूर्वी तटीय क्षेत्र में लगा दिया गया है। इस चक्रवाती तूफान की गति 155-165 km/hr बताई जा रही। जो 180 km/hr पर पहुंच सकती है। जिस जगह पर इस चक्रवाती तूफान के टकराने का अनुमान है। वहां तूफान के प्रभाव को कम करने के लिए उचित उपाय किये गए हैं। उड़ीसा और झारखंड से लगभग 12 लाख लोगों को storm shelters में भेजा गया है।
यास चक्रवाती तूफान खतरनाक कैसे?
यास चक्रवाती तूफान की गति पहले से ही बहुत तेज़ है किन्तु चिंता का एक और कारण इसी समय में चंद्रग्रहण का पड़ना है। जिसे एक बड़ा चंद्रग्रहण बताया जा रहा है। चंद्रग्रहण की वजह से ज्वार भाटा(high tide) की स्थिति पैदा होगी।
उड़ीसा और बंगाल के बीच के तटीय क्षेत्र में पारादीप और सागर आइलैंड का क्षेत्र पड़ता है। यहाँ हाई टाइड के साथ चक्रवाती तूफान कई गुना विनाशकारी हो सकता है। हुगली के पास जलस्तर 23 फ़ीट तक ऊपर जा सकता है। ऐसी स्थिति में चक्रवाती तूफान जब पानी के बड़े हुए स्तर से आगे की और बढ़ेगा तो तो यह अपनी क्षमता से भी कई गुना अंदर तक हवा के साथ बहाव को ले जायेगा। जिसकी वजह से यह तटीय क्षेत्रों में बहुत अंदर तक पानी चला जायेगा। आसपास का क्षेत्र पूरी तरह डूब जायेगा। यह स्थिति 2 घंटे तक बनी रहेगी जब तक हाई टाइड निचे नहीं होती।
सबसे अधिक प्रभाव किस पर?
चक्रवाती तूफान से जानमाल की हानि को कम करने के लिए लोगों को पहले ही सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है। इस लिए सरकार इस नुकसान को तो रोकने में कामियाब होगी। किन्तु किसानों की समस्या सबसे अधिक है।
दीघा सुंदरबन वाला क्षेत्र दलदली कीचड़ युक्त क्षेत्र है। इस क्षेत्र की लवणता अधिक है। चक्रवाती तूफान के साथ हाई टाइड का लवणता युक्त पानी कृषि भूमि को बंजर कर देगा। पानी को अंदर घुसने से रोकने के लिए उपाय किये गए हैं किन्तु वह ज्वार की ऊंचाई को रोकने के लिए नाकाफी होगें। लेकिन इससे तीव्रता को कम किया जा सकता है।
अधिकांशः इन जगहों पर चावल की खेती की जाती है। किसान साल में दो बार धान की खेती करता है। और एक समय के लिए जमीन को खाली छोड़ देता है। किन्तु कृषि भूमी में लवणीय कीचड़ युक्त पानी भरने से भूमि कई सालों तक बंजर हो जाएगी।
इस चक्रवात का असर नेपाल और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों तक दिखाई देने की उम्मीद है। पूर्वी तट से चक्रवात के टकराते समय गति 180Km/hr से अधिक होगी। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ट्रैन और हवाई यात्रा को बंद कर दिया गया है। INDIA METEOROLOGICAL DEPARTMENT(IMD) के द्वारा उड़ीसा और पश्चिम बंगाल को orange code warning जोन से निकालकर red-code warning जोन में दाल दिया है। इस चक्रवात की विशालता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके केंद्र में घेरे का व्यास 700 किलोमीटर का है।