विश्व व्यापार संगठन(WTO kya hai): इसके बारे में समझने के लिए इसके बनाने में शुरुआती पृष्टभूमि भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना कि WTO . क्यों कि WTO का निर्माण एक लम्बी प्रक्रिया के बाद हुआ। जिसके बनने तक दुनिया ने सबसे बड़ी मंदी, और विश्व युद्धों को देखा है।
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WTO से पहले की पृष्ठभूमि
1931 में दुनिया में आर्थिक मंदी(economic depression) आयी। जिसके बाद लाखों लोगों की नौकरियां चली गयी बैंक बंद हो गए और गरीबी अपने चरम पर पहुंच गयी थी। इस आर्थिक मंदी(economic depression) की शुरुआत US stock market के बड़े स्तर पर गिरने(Crash) से हुई। जिसकी वजह से दुनिया भर के निवेशकों में एक डर बैठा गया। यह डर सही शाबित हुआ और दुनिया भर में 29 Oct 1929 को मार्किट क्रैश हो गया जिसे Black Tuesday कहा गया। इसी घटना को Great Depression(महामंदी) की शुरुआत माना जाता है।
इस आर्थिक मंदी(economic depression) का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि इस मंदी से दुनिया की GDP में 15% तक गिरवाट हो गयी। जबकि 2008-09 में जो आर्थिक मंदी आयी थी उसके द्वारा दुनिया की GDP में सिर्फ 1% की गिरावट हुई थी।
Great Depression(महामंदी) का प्रभाव
इस मंदी से लगभग 10000 बैंक बंद हो गए। व्यक्ति की आय 20-50% तक गिर गयी। लोगों का कर्ज बहुत बढ़ गया। लाखों लोगों की बचत डूब गयी। इन सब वजहों से जानमाल की हानि हुई।
Great Depression(महामंदी) रोकने के प्रयास
USA के द्वारा महामंदी को रोकने के लिए संरक्षणवाद का सहारा लिया गया। उसके द्वारा Smoot-Hawley Tariff Act-1930 लाया गया जिसके अनुसार USA में आयात निर्यात पर टैक्स को बहुत अधिक बड़ा दिया गया। ऐसा देखकर यूरोप के अन्य देशों ने भी इस प्रकार के कानून बनाकर आयात निर्यात पर पाबंदी लगा दी। ऐसा करने से दुनिया का आयात निर्यात 40-50% तक नीचे गिर गया। आज के समय के अर्थशास्त्रियों के द्वारा Great Depression(महामंदी) को बढ़ाने का यह मुख्य कारण माना जाता है।
पिछले 100 सालों में कभी भी tariff की मात्रा को इतना नहीं बढ़ाया गया, जितना उस समय की सरकारों के द्वारा बढ़ाये गए।
द्वितीय विश्वयुद्ध
द्वितीय विश्वयुद्ध के घटित होने वाले कारणों में एक कारण आर्थिक नीतियों को भी माना जाता है। जब द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने वाला था जर्मनी हार चुका था। उस समय Bretton Wood Conference रखी गयी। इसे United Nation Monetary and Financial Conference भी कहा गया। Bretton Wood ,USA के New Hampshire राज्य में एक जगह है। जहाँ My Washington Hotel में कांफ्रेंस को आयोजित किया गया।
इस कांफ्रेंस में इस बात पर ध्यान दिया गया कि Great Depression(महामंदी) जैसी स्थिति भविष्य में दुबारा नहीं आनी चाहिए। दुनिया में एक फाइनेंसियल आर्डर(वित्तीय नियम) होने चाहिए जो मंदी जैसी किसी भी स्थिति में दुनिया को राह दिखाए और कोई भी मंदी इस स्तर तक न पहुंचे कि दुनिया का व्यापार आधार बिगड़ जाये।
Bretton Wood Conference(1944)
इस कांफ्रेंस में दो मुख्य समझौतों पर सहमति बनी। पहली कि इसके बाद IBRD(International Bank for Reconstruction and Development) बैंक का निर्माण किया गया। एवं दूसरा IMF(International Monetary Fund) का निर्माण हुआ। किन्तु ITO(International Trade Organization) को लेकर कोई सहमति नहीं बन सकी। ITO के निर्माण के पीछे विचार था कि एक ऐसी संस्था का निर्माण किया जाये जिसके जरिये दुनिया में ट्रेड को नियंत्रित किया जा सके।
ITO के लिए एक हवाला चार्टर तैयार किया गया जिसे 56 देशों के द्वारा मंजूरी देनी थी । किन्तु उसमें 53 देशों की ही मंजूरी थी। ITO के पक्ष में नहीं रहने वाले देशों में एक देश USA था।
ITO का समाधान/ GATT का निर्णय
इसके समाधान के लिए बाकी देशों द्वारा Geneva Conference 1947 में GATT का निर्माण किया गया जिसे General Agreement on Tariffs and Trade कहा जाता है। 23 oct 1947 इसे 23 देशों के द्वारा मंजूरी दी गयी। और 1 jan 1948 से GATT द्वारा आधिकारिक रूप से कार्य करना शुरू कर दिया।
14 अप्रैल 1994 मराकेश संधि (उरुग्वे दौर की वार्ता) तक 123 देशों के द्वारा GATT पर हस्ताक्षर किये जा चुके थे।
GATT के बावजूद WTO की आवश्यकता क्यों?
- GATT की शक्तियां सीमित थी। कृषि और टेक्सटाइल को इसमें शामिल नहीं किया गया।
- GATT केवल merchandise goods पर ही केवल लागू होता था।
- GATT एक organization नहीं थी बल्कि एक agreement था। जिसमे कई देश शामिल थे।
GATT के द्वारा कुल 8 ट्रेड राउंड हुए
- Geneva(1947)
- Annecy(1949)
- Torquay(1951)
- Geneva(1956)
- Geneva(Dillon Round)(1960-61)
- Geneva(Kennedy Round)(1964-1967)
- Geneva(Tokyo Round)(1973-1979)
- Geneva(Uruguay Round)(1986-1994)
Geneva(Uruguay Round)(1986-1994) के ट्रेड राउंड में चीन 123 वां देश था जो सदस्य राष्ट्रों में शामिल हुआ यह ट्रेड राउंड 87 महीने चला। इसमें WTO के स्थापना की पहल की गयी।
विश्व व्यापार संगठन (WTO kya hai)?
1 जनवरी 1995 को GATT के स्थान पर WTO की स्थापना हुई। इसे मराकेश समझौता भी कहा जाता है।
Headquarters- Centre William Rappard , Geneva Switzerland
Official Language- English , French , Spanish
WTO के अंतर्गत पहला ट्रेड राउंड दोहा में 2001 में आयोजित किया गया। उसके बाद आज तक WTO के द्वारा कोई ट्रेड राउंड आयोजित नहीं किया गया। किन्तु हर 2 साल में WTO के द्वारा Ministerial Conferences की जाती है।
WTO से लाभ
- WTO में merchandise goods के साथ intellectual property rights को भी शामिल किया गया।
- GATT की संरचना नौकरशाही युक्त थी किन्तु WTO में ऐसा नहीं है। इसके पास विवादों को सुलझाने के लिए अधिक अधिकार हैं।
- WTO एक संस्था है। जबकि GATT नियमों का पिटारा था। उसे चलाने के लिए कोई सेंट्रल बॉडी नहीं थी।
- विकासशील देशों की मांग पर WTO में कृषि और टेक्सटाइल को शामिल किया गया।
WTO के महत्वपूर्ण नियम
- most-favored-nation (MFN)- किसी भी देश द्वारा अन्य किसी देश को उसकी कर और सेवाएं के लिए यह दर्जा दिया जा सकता है। जैसे- रूस द्वारा चीन को कई वस्तुओं पर MFN का दर्जा दिया हुआ है।
- National Treatment- इसके तहत किसी भी देश द्वारा ऐसी पालिसी नहीं बनायीं जा सकती जिस कारण उस देश के उत्पाद अधिक बिकें और बहार के देश के उत्पाद कम।
- Reciprocity- iske तहत दोनों देश एक दूसरे लिए tariff कम करते हैं। जैसे- इंडिया ने चीन के लिए tariff को घटाया है तो चीन को भी भारत के लिए tariff घटना होगा।
आज भी विश्व व्यापार संगठन(WTO kya hai) के वजूद को लेकर सवाल उठाये जाते हैं। और कई देशों के द्वारा WTO के एक और ट्रेड राउंड बुलाने की आवश्यकता समझी जा रही है।