क्रिप्टो करेंसी आज के समय में लगातार चर्चा में बने रहने वाला विषय बन गया है। ऐसा इसलिए भी है कि RBI , भारत सरकार एवं देश दुनिया से इस पर कोई न कोई बहु चर्चित न्यूज सामने आती ही रहती हैं। इन न्यूज की दुविधाओं के समाधान के लिए थोड़ा तार्कित माध्यम से इस विषय पर सोचने का प्रयास किया गया है एवं यह अनुमान लगाया गया है कि क्या असल में क्रिप्टो करेंसी को बंद करना संभव भी है?
एक नजरिये से सोचे तो करने को तो सरकार कुछ भी कर सकती है? किन्तु यह देखना भी जरुरी होगा कि यह कितना तार्कित है।
जानकारों की माने तो क्रिप्टो करेंसी ब्लॉकचैन तकनीक पर कार्य करती है। जिसे hack कर पाना असंभव है। किन्तु इसके बावजूद अन्य कई माध्यमों से फ्रॉड के मामले सामने आते ही रहते हैं। जो कि कोई नई बात नहीं है।
RBI का तर्क
क्रिप्टो करेंसी को लेकर RBI के विभिन्न तर्क समय समय पर आते रहते हैं। जिनमें एक तर्क इसके चलन पर प्रतिबंध से भी जुड़ा हुआ है लेकिन अभी की माने तो RBI क्रिप्टो करेंसी में भुगतान(payment) को प्रतिबंधित करने के लिए अधिक पक्षधर है, न कि इसमें हो रही ट्रेडिंग को लेकर।
हालाँकि सरकार के द्वारा इसे नियमित करने के लिए बहुत से प्रयास किये जा रहे हैं। जिसके अंतर्गत 1% TDS और 30% टैक्स लगाना भी शामिल था। सरकार के इस कदम से कितना नुकसान और फायदा हुआ यह एक नया विषय है। किन्तु जिस प्रकार से 2023 में सरकार से क्रिप्टो टैक्स को कम करने की समभावनए जताई जा रही है।, अगर ऐसा होता है तो क्रिप्टो के नजरिये से यह एक सार्थक पहल ही होगी।
सरकार की पहल
सरकार की पहल क्रिप्टो करेंसी को लेकर पॉजिटिव ही दिखाई पड़ती है। जिस प्रकार से सरकार ने क्रिप्टो करेंसी पर टैक्स लगाया है। उसे देखकर तो यही लगता है की सरकार क्रिप्टो के बैन से ज्यादा उसे रेगुलेट करने के लिए अधिक प्रयासरत है।
इस बार 2023 में G20 देशों की प्रेसीडेंसी भारत के पास है। इस लिहाज से भारत क्रिप्टो करेंसी को लेकर अपनी बात को बुलंदी के साथ रख सकता है और वह G20 देशों को एकसाथ आकर क्रिप्टो पर एक फ्रेमवर्क बनाने के लिए अपील कर सकता है।
RBI ने अपनी फाइनेंसियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसमे RBI ने क्रिप्टो को लेकर 172 पन्नो की एक रिपोर्ट दी है। इस रिपोर्ट में उसने कई सारे चार्ट दिए हैं। जिसमें क्रिप्टो की स्टेबिलिटी, लूना क्रैश की बात कही गयी है। इसमें कहा गया है कि क्रिप्टो का खुद में कोई वजूद नहीं है। RBI का कहना है कि सीपीआई का ग्राफ बढ़ने के बावजूद क्रिप्टो का ग्राफ लगातार गिरा है।
RBI का कहना है की अगर क्रिप्टो को पेमेंट के रूप में मान्यता दे दी तो यह RBI के रेगुलेशन में नहीं रहेगा। RBI की एक चिंता यह भी है कि जनता बैंक से पैसे निकालकर USDT में क्रिप्टो के स्टेबल coins में रूपये रखना शुरू कर देगी। जिससे अनजाने में ही डॉलर और भी अधिक मजबूत हो जायेगा। जो RBI के दायरे से बाहर होगा। इसी वजह से RBI का कहना है कि क्रिप्टो की वजह से अगला फाइनेंसियल क्राइसिस आ सकता है।
अन्य देश की क्रिप्टो को लेकर पहल
दुनिया के अंदर क्रिप्टो को लेकर बहुत तेज़ी से बदलाव हो रहे हैं और वहां पर क्रिप्टो को लेकर बहुत तेज़ी से नए प्रोजेक्ट लाये जा रहे हैं। जर्मनी, कनाडा, जापान अर्जेंटीना, UAE क्रिप्टो को लेकर बहुत पॉजिटिव है। किसी भी देश में अधिकांशतः 2 रेगुलेटर होते है। जिसमें एक सेंट्रल बैंक और एक जिसका कार्य कमोडिटीज और शेयर्स को देखना होता है।
RBI का डर क्रिप्टो करेंसी में भुगतान से है। और ऐसा इसलिए कि INR के लिए वजूद नहीं रहेगा लोग बैंक में पैसा न रखकर क्रिप्टो में भुगतान करेंगे। जिसे रेगुलेट किया जाना चाहिए।
किन्तु एक तरह से देखा जाये तो यह mode of payment के रूप में जनता इसे देख ही नहीं रही है। दुनिया में कुछ चुनिंदा भुगतान ही किये जाते हैं जो क्रिप्टो के अंतर्गत किये जाते हैं और कई देशों में तो ऐसा करना पूरी तरह गैरकानूनी है। जनता का रुझान क्रिप्टो को एक नयी डिजिटल एसेट क्लास के रूप में मान्यता देने से हैं।