सरकार(Ministry of power) के द्वारा 2025 तक पूरे देश में स्मार्ट मीटर(What is Smart Meter in Hindi) लगाने की योजना को हरी झंडी दे दी है। यह आज के समय में उपयोग में लाये जा रहे परंपरागत बिजली मीटर्स तथा डिजिटल मीटर्स का स्थान लेंगे। इन मीटर्स में Prepayment बिजली भुगतान का विकल्प भी रखा जायेगा। इसके तहत पहले बिजली का भुगतान करना होगा उसके बाद बिजली दी जाएगी। इस प्रकार के मीटर्स को 2 भागों में लगाए जाने की बात कही गयी है। इस स्कीम के पहले फेज को 2023 तक तथा द्वितीय फेज को 2025 तक पूरा किया जायेगा।
मिनिस्ट्री ऑफ़ पावर के द्वारा सरकारी जगहों पर ऑफिस और निवास स्थानों पर इस स्कीम को तुरंत लागू करने को कहा गया है। अर्थात तत्काल रूप में इन जगहों पर नए बिजली मीटर्स को लगाया जायेगा।
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स्मार्ट मीटर होता क्या है?(What is Smart Meter in Hindi)
स्मार्ट मीटर बिजली आपूर्ति में पारदर्शिता को लाने के लिए सरकार के द्वारा लगाए जा रहे हैं। इस प्रकार के मीटर्स के चार भाग हैं।
- Two way Communication(दो तरफा संचार)- इसमें स्मार्ट मीटर जो कि आपके घर पर लगा हुआ है। वह स्वतः ही Discom को जानकारी पंहुचा सकता है और Discom चाहे तो स्मार्ट मीटर को भी इनफार्मेशन भेज सकती है। उदहारण के रूप में- आज के समय के मीटर की रीडिंग लेने के लिए कोई व्यक्ति मीटर की रीडिंग लेने के लिए आता है जो कि रीडिंग का बिल भी देकर जाता है। किन्तु डिजिटल मीटर्स में ये जानकारी डिस्कॉम को स्वतः ही पहुंच जाया करेगी।
- Network- डिजिटल मीटर्स में इस two way communication के लिए नेटवर्क की आवश्यकता होगी। जिसे Wifi या Cellular Data या किसी अन्य तकनीक के जरिये जोड़ा जा सकता है।
- Prepaid- जिस प्रकार से मोबाइल को रिचार्ज करने के बाद कॉल और डाटा प्लान मिलता है ठीक उसी प्रकार से उपभोक्ता को यह विकल्प दिया जा सकता है कि वह बिजली के इस्तेमाल के लिए स्मार्ट मीटर्स को पहले से रिचार्ज करा सकता है।
- Real Time Information- स्मार्ट मीटर्स में रियल टाइम यूनिट की जानकारी और लोड के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इससे ऊर्जा दक्षता में सुधार होगा।
अगर किसी मीटर में ये सभी तकनीक हैं तभी उसे स्मार्ट मीटर कहा जा सकता है। स्मार्ट मीटर बिजली प्रणालियों में प्रस्तावित प्रौद्योगिकी संचालित ट्रांसमिशन का तीसरा स्तम्भ है। जिसमें पहला नवीकरणीय ऊर्जा एवं द्वितीय ऊर्जा भण्डारण प्रौद्योगिकियां हैं।
पावर सेक्टर
बिजली उत्पादन तथा बिजली को उपभोक्ता के घरों तो पहुंचने के लिए एक पूरी प्रक्रिया से गुजरना होता है। इस प्रक्रिया में सबसे पहले ऊर्जा(बिजली) उत्पादन किया जाता है। जिसे ट्रांसमिशन लाइन के जरिये लोगों के घरों तक पहुंचाया जाता है।
बिजली को लोगों के घरों तक पहुंचने के लिए वितरण(Distribution) का कार्य बहुत सी कंपनियां करती हैं जिन्हे डिस्कॉम(Discom) कहा जाता है।
डिस्कॉम की समस्यायें
- डिस्कॉम कंपनियां ही उपभोक्ताओं को बिजली देती हैं अर्थात यह सीधे तौर पर उपभोक्ता से जुड़ी रहती हैं।
- यह एक बड़े क्षेत्र में फैले हुए नेटवर्क का प्रबंधन करती हैं।
- डिस्कॉम की सबसे बड़ी समस्या बिजली चोरी की रहती है। यह चोरी डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के बीच में ही होती है।
- सब्सिडी और बिना मीटर के बिजली का उपयोग करना भी इन डिस्कॉम की सबसे बड़ी समस्या रहती हैं।
AT&C Losses(Aggregate Technical & Commercial Losses)
जब डिस्कॉम से बिजली उपभोक्ता के पास पहुँचती है तो इस बीच सिस्टम की वजह से हानि होती है। इसके बाद बिजली चोरी की वजह से हानि होती है तथा जिन लोगों के पास बिजली का बिल पहुँचता है उनमें से बहुत से लोग बिल जमा करते हैं एवं बहुत से बिल जमा नहीं करते हैं। इन तीनों वजहों से डिस्कॉम को होने वाले नुकसान को AT&C Losses कहा जाता है।
डिस्कॉम के द्वारा अभी तक 11 लाख स्मार्ट मीटर्स को लगाया गया है। जिसकी वजह से डिस्कॉम को 264 करोड़ की अतिरिक्त आय प्राप्त हुई है। एक अनुमान के अनुसार स्मार्ट मीटर की मदद से AT&C losses को 11-36% तक कम किया जा सकता है तथा 21% तक बिल भुगतान को बढ़ाया जा सकता है।
स्मार्ट मीटर्स से लाभ
- डिजिटल मीटर्स बिजली वितरण कंपनियों के वित्तीय नुकसान को कम कर सकता है। इसमें मीटर के लोड को जरुरत के अनुसार बढ़ाया व घटाया जा सकता है।
- स्मार्ट मीटर्स में उपभोक्ता अपना आपूर्तिकर्ता(डिस्ट्रीब्यूटर) कभी भी बदल सकता है। जिसकी वजह से आपूर्तिकर्ताओं के बीच बेहतर योजना और प्रतिस्पर्धा होगी।
- स्मार्ट मीटर्स की सहायता से सौर ऊर्जा से उत्पन्न अतिरिक्त बिजली को लोगों द्वारा डिस्कॉम कंपनी को बेचा जा सकता है।
स्मार्ट मीटर्स के लगने में चुनौतियां
लोगों के घरों में लगे हुए मीटर्स की जगह पर स्मार्ट मीटर्स को लगाने का खर्च किसके द्वारा उठाया जायेगा। इस विषय पर अभी स्पष्टता की कमी है। देश में बहुत बड़ी संख्या स्मार्ट मीटर्स की आवश्यकता पड़ेगी। इतने बड़े खर्च को किसी एक निकाय पर डालना सही कदम नहीं होगा। अभी तक अधिकांश स्मार्ट मीटर्स को EESL के द्वारा बनाये गए हैं।
स्मार्ट मीटर(What is Smart Meter in Hindi) से चोरी की समस्या को कैसे रोका जायेगा इस पर कोई सीधा उपाय नहीं है। क्यों कि अधिकांश बिजली चोरी बिजली की लाइन से सीधे की जाती है। हाँ स्मार्ट मीटर्स से बिजली बिल भुगतान में आ रही समस्याओं से तो छुटकारा मिलेगा।