What is Smart chips: आज के समय में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने अपनी जिंदगी में किसी भी प्रकार से चिप का इस्तेमाल न किया हो। मोबाइल, लैपटॉप, टीवी हर इलेक्ट्रॉनिक सामान चिप के बिना अधूरी ही है। इस चिपों को बनाने के लिए जिस चीज की आवश्यकता होती है उसे सेमीकंडक्टर कहा जाता है।
कोरोना के बाद इन दिनों में सेमीकंडक्टर की कमी से कंपनियां परेशान हैं इनमें ऑटोमोबाइल कंपनियों को अधिक समस्या है। सेमीकंडक्टर किसी भी डिवाइस के लिए दिमाग की भांति कार्य करता है। किन्तु इसकी कमी से कंपनियों के प्रोडक्शन में कमी आ रही है। अगर ऑटोमोबाइल सेक्टर की बात करें तो किसी भी कार में 1000 से अधिक चिपों का इस्तेमाल होता है। आज के समय की कारों को सेंसर्स के आधार पहले से आधुनिक बनाया जा रहा है इन सेंसर्स के लिए चिप की आवश्यकता होती है।
हालाँकि इस समस्या को हल करने के लिए भारत और ताइवान के बीच एक समझौते पर बातचीत चल रही है, जिसके तहत भारत में ही चिप का निर्माण किया जायेगा साथ ही सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को विकसित करने के लिए IIT मंडी हाई वॉल्यूम सेमीकंडक्टर चिप बनाने के लिए इंटरनेशनल टेक्नोलॉजी रेडीनेस कार्यशाला 2021 का आयोजन किया जा रहा है।
IIT मंडी के पूर्व प्रोफ़ेसर केनेथ के अनुसार भारत में सर्वश्रेष्ठ चिप डिज़ाइनिंग और उच्चतम शैक्षिक संस्थान दोनों हैं। भारत का इलेक्ट्रॉनिक उद्योग NM technology node chip के आयात पर निर्भर है और 2025 तक इसकी मांग में कई गुना इजाफा होने की उम्मीद है।
क्या है सेमीकंडक्टर ?(What is Smart chips)
यह एक ऐसा पदार्थ है। जो धातु एवं अधातु दोनों की तरह व्यवहार करता है। इन्हे अर्ध चालक भी कहा जाता है। चिप में सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल करंट को नियंत्रित करने में होता है। मुख्यतः सेमीकंडक्टर सिलिकॉन से बने होते हैं किन्तु अब चिप बनाने के लिए गैलियम, अर्सेनाइड, एवं कैडमियम सेलेनाइड का इस्तेमाल भी किया जाता है। चिप किसी भी डिवाइस का वह भाग है जो अलग अलग चीजों को चलाता है, जिन्हे माइक्रोसर्किट्स में फिट किया जाता है।
चिप्स का इतिहास
सुपर कंप्यूटर से लेकर इलेक्ट्रिक स्कूटर तक विज्ञान सेमीकंडक्टर और चिप के बिना अधूरा है। 1947 में अमेरिकी विज्ञानियों ने पहला सिलिकॉन ट्रांजिस्टर बनाया था। इससे पहले कंप्यूटिंग मशीनें वैक्यूम ट्यूबों द्वारा परामर्श करती थी। जो न सिर्फ धीमी बल्कि भारी भी होती थीं। लेकिन सिलिकॉन के आने से सब कुछ बदल गया। सिलिकॉन के ट्रांजिस्टर छोटे होते जिन्हे आसानी से माइक्रो चिप्स पर फिट किया जा सकता था। हालाँकि पहले भी इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस बनते थे लेकिन वह आज की तरह स्मार्ट नहीं होते थे।
कैसे तैयार होती हैं चिप ?
chip तैयार करने के लिए सिलिकॉन पाउडर को एक भट्टी में 1400 डिग्री सेल्सियस पर पिघलाया जाता है और गोलाकार सिल्लियां बनायीं जाती हैं। फिर इन्हे बेफर्स नामक डिस्क में काट दिया जाता है। इसमें हवा को लगातार फ़िल्टर किया जाता है।
चिप उत्पादक लाइन पर केवल एक या दो कर्मचारियों को ही जाने दिया जाता है और वह लोग सुरक्षात्मक उपकरणों को सिर से पैर तक लिपटे हुए रहते हैं।
सिलिकॉन के बेफर्स को मनुष्य द्वारा छुआ नहीं जा सकता व हवा के संपर्क में नहीं लाया जा सकता। चिप में कई परतें रहती हैं जिनमें कई परतें एक परमाणु जीतनी पतली होती हैं। चिप बनाने में अधिकांश काम स्वचालित रूप से वैक्यूम-शील्ड रोबोट द्वारा किये जाते हैं।
चिप डिज़ाइन आमतौर पर अमेरिका में और उत्पादन का कार्य ताइवान में किया जाता है। टेस्टिंग का कार्य अधिकांशतः चीन में होता है। इसे तैयार करने की प्रक्रिया अत्यंत जटिल है। एक सिंगल ट्रांजिस्टर एक वाइरस से कई गुना छोटा होता है। धुल कण का एक छोटा सा हिस्सा इसे बर्बाद कर सकता है। अधिकांश चिप्स एक सर्किट के समूह होते हैं जो सॉफ्टवेयर चलाते हैं और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को नियंत्रित करते हैं। चिप कंपनियां अधिक से अधिक ट्रांजिस्टर चिप पर लगाने के प्रयास करती रहती हैं ताकि डिवाइस की परफॉरमेंस बेहतर होने के साथ एनर्जी इफिशिएंट भी हो सके।
इंटेल के पहले माइक्रोप्रोसेसर-4004 को 1971 में जारी किया गया। इसमें 10 माइक्रोन साइज के हिस्से में 2300 ट्रांजिस्टर लगे हुए थे। जो आज के समय में प्रयोग होने वाले ट्रांजिस्टर से कई गुना कम है। आने वाले समय में स्मार्ट चिप(What is Smart chips)और भी अधिक आधुनिक होंगी।