Hydrogen Fuel Cell/Hydrogen fruel क्या है? भारत के Hydrogen mission के मायने

आज पूरी दुनिया प्रदुषण मुक्त ऊर्जा स्रोतों की तलाश कर रही है। इस तलाश में पवन ऊर्जा, सोलर ऊर्जा, और लिथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है। इसके साथ ही दुनिया में Hydrogen Fuel cell एवं Hydrogen Fuel में भी संभावनाओं को तलाशा जा रहा है।

भारत सरकार के द्वारा 2021 के बजट में नेशनल हाइड्रोजन मिशन को लाने का एलान किया गया है। इसी प्रयास में भारत में हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली कारों को ऑटो एक्सपो में लाया जा रहा।

हाइड्रोजन फ्यूल सेल(Hydrogen Fuel Cell) क्या है?

Hydrogen Fuel Cell एक ऐसा यंत्र है जिसके माध्यम से ईंधन के रूप में हाइड्रोजन फ्यूल का प्रयोग कर, ऑक्सीकारक की सहायता से विद्युत रासायनिक प्रक्रिया द्वारा विधुत का निर्माण किया जाता है। इस प्रकार जो विधुत का निर्माण होगा उसका प्रयोग मोटर को ऊर्जा देने में किया जाता है।

इस प्रक्रिया में जल उपोत्पाद(Byproduct) के रूप में बहार निकल जाता है।

जिस प्रकार बैटरी से रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। उसी प्रकार से हाइड्रोजन फ्यूल सेल के द्वारा रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है।

हाइड्रोजन को कैसे प्राप्त किया जा सकता है?

आवर्तसारणी में हाइड्रोजन को पहले स्थान पर रखा जाता है। इसका एटॉमिक नंबर 1 है, और यह अत्यधिक क्रियाशील होता है। हाइड्रोजन का अत्यधिक क्रियाशील होने के कारण यह खाली स्टेट में नहीं रह सकता। ऑक्सीजन के साथ मिलकर पानी बना लेता है।

पृथ्वी पर हाइड्रोजन की कमी नहीं है किन्तु हाइड्रोजन को फ्यूल के रूप में इकठ्ठा करना एक जटिल कार्य है। हाइड्रोजन को प्राप्त करने की कई विधियां हैं। एक विधि में पानी का Electrolysis(वैद्युत अपघटन) से हाइड्रोजन को प्राप्त किया जाता है। यह साफ प्रक्रिया है। जिसमें प्रदुषण कम होता है। दूसरी प्रक्रिया में हाइड्रोजन जीवाश्म ईंधन मेथेन से प्राप्त किया जाता है। किन्तु इस प्रक्रिया में प्रदुषण अधिक होता है।

हाइड्रोजन फ्यूल के प्रकार

रंग के आधार पर हाइड्रोजन को 3 प्रकार से बांटा गया है।

  1. Grey Hydrogen – अगर हाइड्रोजन को जीवाश्म ईंधन, क्रूड आयल के जरिये पैदा किया जाता है तो इसे ग्रे हाइड्रोजन कहते हैं। इसमें प्रदुषण अधिक होता है।
  2. Blue Hydrogen – इस प्रक्रिया में प्राकृतिक गैस को हाइड्रोजन और कार्बन डाई ऑक्साइड में तोड़ दिया जाता है। और इस कार्बन डाई ऑक्साइड को स्टोर करके कार्बन स्टोरेज चैम्बर में रख दिया जाता है जिससे ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन कम होता है। इस कारण Blue hydrogen को पारिस्थितिक अनुकूल माना जाता है।
  3. Green Hydrogen – जब हाइड्रोजन को विद्युत अपघटन(Electrolysis) प्रक्रिया से प्राप्त किया जाता हो। एवं इस प्रक्रिया में ऊर्जा के रूप में renewable power source(पवन ऊर्जा, सोलर ऊर्जा) का इस्तेमाल किया जा रहा होता है तो इसे ग्रीन हाइड्रोजन कहते हैं।

Hydrogen Fuel Cell के लिए गाड़ी में कौन से बदलाव करने होगें?

आज के समय में चलने वाली गाड़ियों को हाइड्रोजन से चलाने के लिए, उनमें इंजन के स्थान को फ्यूल सेल से बदलना(replace) होगा। और साथ ही गाड़ी में हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में स्टोर करने के लिए एक सुरक्षित टैंक का निर्माण भी करना होगा। जिस प्रकार CNG की गाड़ियों में CNG को एक सिलेंडर में भरा जाता है।

नेशनल हाइड्रोजन मिशन क्या है?

नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में हाइड्रोजन फ्यूल भी एक अहम् भूमिका निभा सकता है। हाइड्रोजन फ्यूल की भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए ही सरकार के द्वारा यह मिशन लाया गया है। अभी पूरी दुनिया में हाइड्रोजन फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी पर शोध चल रहा है। हाइड्रोजन को प्राप्त करना एक महँगी और जटिल प्रक्रिया है, इस कारण अभी तक हाइड्रोजन फ्यूल को पूरी तरह अपनाया नहीं गया।

हाइड्रोजन फ्यूल और फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत को अग्रणी रखने के लिए इस मिशन से जुड़े पहलुओं पर रोड मैप तैयार किया जा रहा है। इस मिशन में ग्रीन हाइड्रोजन को वरीयता दी जाएगी। जिससे ग्लोबल वार्मिंग को रोका जा सके।

अभी हाइड्रोजन का इस्तेमाल स्टील इंडस्ट्री, केमिकल इंडस्ट्री आदि में किया जाता है किन्तु इसका सबसे अधिक इस्तेमाल ट्रांसपोर्ट सेक्टर में किया जा सकता है। पेरिस क्लाइमेट चेंज के अनुसार पृथ्वी के तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं बढ़ने देना। अगर ट्रांसपोर्ट सेक्टर को हाइड्रोजन फ्यूल के इस्तेमाल के अनुकूल बना दिया जाता है तो यह इलेक्ट्रिक गाड़ियों से भी अधिक किफायती साबित होगा। क्यों की एक प्रकार से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में बैटरी का उपयोग तो होता ही है।

भारत में हाइड्रोजन फ्यूल पर चल रहे प्रोजेक्ट

दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट के हिसाब से एक ट्रायल शुरू किया जा रहा है जिसके अंतर्गत CNG बसों को हाइड्रोजन फ्यूल के साथ चलाया जायेगा। इसमें CNG के साथ 18% हाइड्रोजन फ्यूल का इस्तेमाल किया जायेगा।

इंडियन आयल कारपोरेशन(IOC) के द्वारा कहा गया है कि उसके द्वारा हाइड्रोजन उत्पादन के लिए फरीदाबाद में एक प्लांट लगाया जायेगा। जिसकी सहायता से इन बसों को चलाया जायेगा। पिछले साल मिनिस्ट्री ऑफ़ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे के द्वारा सेंट्रल मोटर व्हीकल्स रूल्स , 1989 में बदलाव किया गया। ताकि हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित वाहनों के हिसाब से मानकों को तय किया जा सके।

Hydrogen Fuel/Hydrogen Fuel Cell से लाभ

हाइड्रोजन का सबसे बड़ा लाभ तो यह है कि उत्पाद के रूप में पानी निकालता है। जिस कारण प्रदुषण की समस्या खत्म होगी। ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में सहायता मिलेगी।

Hydrogen Fuel सेल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बड़े एवं लम्बी दूरी के ट्रांसपोर्ट व्हीकल में किया जाना लाभकारी रहेगा। और उसमें भी खासकर लम्बी दूरी के यातायात के साधनों में अधिक फायदा मिलेगा।

जैसे- वायुयान, जहाज, बस , ट्रक आदि में हाइड्रोजन फ्यूल सेल को बड़ी मात्रा में लगा कर, बड़े हाइड्रोजन फ्यूल टैंक का इस्तेमाल करके अधिकतम दक्षता के साथ आवाजाही को किया जा सकता है, जिसमें प्रदुषण भी नहीं होगा।

अगर हाइड्रोजन फ्यूल में दक्षता को प्राप्त कर लिया जाता है तो यह इलेक्ट्रिक व्हीकल में बैटरी के इस्तेमाल से कही ज्यादा फायदेमंद साबित होगा। ऐसा प्रदुषण के लिहाज से तो होगा ही बल्कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों में बैटरी को बार बार चार्ज करने की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा।

Hydrogen Fuel/Hydrogen Fuel Cell से हानि

यह बेहद ज्वलनशील एवं विस्फोट होता है। जिस कारण दुर्घटना होने की संभावना बानी रहती है। अभी हाइड्रोजन को जीवाश्म ईंधन से निकला जाता है जिसकी वजह से पर्यावरण प्रदुषण बहुत अधिक होता है।

अभी हाइड्रोजन फ्यूल सेल के अनुसार वाहनों के निर्माण पर, रिसर्च और डेवलपमेंट पर अधिक पैसा खर्च होगा। आज की आधुनिक गाड़ियों में बेसिक रूप से बदलाव करना होगा। अगर हाइड्रोजन कार सड़क पर आती हैं तो जगह जगह हाइड्रोजन फ्यूल टैंक बनाने होंगे। अभी दुनिया में बहुत कम जगह हैं जहाँ हाइड्रोजन फ्यूल को गाड़ी में भराया जा सकता है। साथ ही अभी हाइड्रोजन तकनीक पर आधारित व्हीकल बहुत मेहेगें हैं।

इसके साथ ही हाइड्रोजन को प्राप्त करना एक जटिल प्रक्रिया है। और उससे भी अधिक है इसे प्राप्त करके स्टोर रखना। हाइड्रोजन को तरल रूप में रखने के लिए -252.8 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। इस तापमान पर किसी भी धातु के लिए अपनी स्थिति को बनाये रखना कठिन होता है। जिस कारण इसे स्टोर करना बहुत मुश्किल है।

स्पेस मिशन में cryogenic engine के इस्तेमाल में तरल हाइड्रोजन का इस्तेमाल होता है। जिसे राकेट लॉन्च से पहले ही भरा जाता है।

जानकारों के अनुसार हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन बताया जाता है। हाइड्रोजन पर पहले लम्बे समय से परीक्षण किया जा रहा है। नमी गिनामि कार कंपनियां हाइड्रोजन फ्यूल पर कार का निर्माण कर चुकी हैं- जैसे BMW , AUDI आदि किन्तु इन्हे कोई खास सफलता नहीं मिली बल्कि इनके प्रोजेक्ट असफल ही रहे। और इन सभी कंपनियों का R&D पर बहुत अधिक पैसा भी खर्च हो गया था किन्तु दुनिया एक बार फिर से हाइड्रोजन फ्यूल के ऊपर ध्यान दे रही हैं। जिसमें भारत के भी प्रयास हैं कि वह भी दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बड़े। इसी के चलते Hydrogen Fuel/Hydrogen Fuel Cell पर ध्यान दिया जा रहा हैं। जिसके लिए नेशनल हाइड्रोजन मिशन को भी लाया गया है।

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