E-governance क्या है? (what is e-governance in Hindi) अंग्रेजी माध्यम में इस विषय पर बहुत से आर्टिकल उपस्थित हैं। किन्तु हिंदी में लिखे गए लेखों की संख्या कम है। e-governance के विषय पर निजी जीवन में कहीं न कहीं किसी भी सरकारी ऑफिस में सामना अवश्य हुआ होगा।
Table of Contents
E-governance क्या है(what is e-governance in Hindi)?
E-governance शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। जिसमें E- शब्द का सम्बन्ध इलेक्ट्रॉनिक सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी से है। जबकि governance शब्द का शासन से है, जिसका मूल उद्देश्य नागरिकों का कल्याण है।
E-governance में E-सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से आंकड़ों के इकठ्ठा करने, डिजिटल माध्यम से सूचना और आंकड़ों को भेजने, सरकारी कार्यों में तीव्रतर और न्यायसंगत निर्णय लेने, शासन में पारदर्शिता को बढ़ाने आदि में सहायक तथा सुविधाजनक सिद्ध होता है। वहीं गवर्नेंस(शासन) सभी नागरिकों के क़ानूनी अधिकारों को सुरक्षित रखने तथा सार्वजनिक सेवाओं तथा आर्थिक विकास के लाभों तक सभी की समान पहुँच सुनिश्चित करने से सम्बंधित है।
E-governance के लिए विभिन्न संस्थाओं द्वारा दी गयी परिभाषा
वर्ल्ड बैंक के अनुसार: E-governance प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सूचना एवं संचार तकनीक की मदद से पुनः परिभाषित करना है, ताकि ये प्रक्रियाएं सरल, सुगम और पारदर्शी बने। वर्ल्ड बैंक के अनुसार शासन के तीन भाग हैं। सरकार + बाजार + जनता।
यूरोपीय परिषद ने e-governance को सार्वजनिक कार्यवाही के तीन क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक प्रौद्योगिकी के प्रयोग के रूप में परिभाषित किया है। सरकारी एजेंसियों तथा समाज के मध्य सम्बन्ध, राज्य के सभी सरकारी प्राधिकारियों का इलेक्ट्रॉनिक कायाकल्प(इलेक्ट्रॉनिक प्रजातंत्र(democracy)) तथा सार्वजनिक सेवाओं(public services) का प्रावधान(इलेक्ट्रॉनिक सार्वजनिक सेवाएं)।
अन्य शब्दों में –
इलेक्ट्रॉनिक सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी(ICT) की समझ को प्रशासन या शासन में सकारात्मक तरीके से लागू करना E-गवर्नेंस है। अथवा इलेक्ट्रॉनिक पद्धति की मदद से जनता तथा शासन के संबंधों को पुनर्परिभाषित करना, डिजिटल तकनीक के युग में साइबर स्पेस की मदद से शासन के उद्देश्यों को पाने का प्रयास e-govenance है।
E-governance में अंतक्रियाएँ
E-governance में विचारों, तथ्यों, भावनाओं एवं सूचनाओं के आदान प्रदान को निम्नलिखित प्रकार से उल्लेख किया गया है।
G2G(सरकार से सरकार)
इस मामले में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का प्रयोग सरकारी संगठनों तथा सरकारी प्रक्रियाओं में सूचना और सेवाओं के प्रवाह की वृद्धि के लिए किया जाता है। इस प्रकार की परस्पर क्रियाएं राष्ट्रीय, प्रांतीय और स्थानीय सरकारी एजेंसियों तथा संगठन के भीतर विभिन्न स्तरों पर हो सकती हैं। इसका प्राथमिक उद्देश्य क्षमता, कार्य निष्पादन(Performance) और उत्पादन बढ़ाना है।
G2C(सरकार से नागरिक)
इस मामले में सरकार और नागरिकों के बीच परस्पर संबंध स्थापित किये जाते हैं। जो नागरिकों को सार्वजानिक सेवाओं से लाभान्वित होने में समर्थ बनाती हैं। यह सार्वजनिक सेवाओं की उपलब्धता और पहुँच का विस्तार करती है, बल्कि सेवाओं की गुणवत्ता सुधारती है। यह नागरिक को एक प्रकार से विकल्प देती है कि सरकार के साथ कब परस्पर क्रिया की जाये।
G2B(सरकार से व्यवसाय)
G2B का उद्देश्य लालफीताशाही को कम करना, प्रचलित लागत में कमी करना, सरकार के साथ सम्बन्ध स्थापित करते समय अधिक पारदर्शी व्यावसायिक वातावरण तैयार करना है। G2B के लेनदेन में लाइसेंसीकरण, परमिट, अधिप्राप्ति(Procurement) और राजस्व ग्रहण शामिल हैं इसके अलावा व्यापार, पर्यटन और निवेश भी हो सकता है।
G2E(सरकार से कर्मचारी)
सरकार सबसे बड़ी मालिक(Employer) है और अन्य किसी संगठन(organization) के समान इसे नियमित आधार पर अपने कर्मचारियों के साथ परस्पर क्रिया करनी होती है। यह परस्पर क्रिया संगठन और कर्मचारी के बीच साधनों के प्रयोग को तीव्र और सक्षम बनाती है। तथा कर्मचारियों में संतुष्टि स्तर को बढ़ाने में सहायता करती है।
E-governance के आधार
E-governance मुख्यतः कंप्यूटर एवं संचार प्रणालियों के नेटवर्किंग के विकास से सम्बंधित है। जो धीरे-धीरे विकसित होने की और बढ़ रहा है। E-governance के विकास के आधार निम्नलिखित हैं।
Digital Infrastructure
E-governance को मजबूत करने के लिए इंटरनेट सुविधा होना जरुरी हैं। इंटरनेट की पहुंच गांव, कस्बे, दूरदराज के क्षेत्रों तक होनी चाहिए। इंटरनेट के इस्तेमाल के लिए कंप्यूटर एवं कंप्यूटर से सम्बंधित अन्य डिवाइस की उपलब्धता बड़ी मात्रा में बड़ाई जानी चाहिए। सभी सरकारी कार्यालयों को कम्प्यूटरीकृत करने की आवश्यकता है।
Digital Connection
पहले चरण में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के बाद दूसरे चरण में कनेक्टिविटी पर ध्यान दिया जाना जायेगा। सूचना एवं आंकड़ों को इकठ्ठा करने के लिए एवं उनके प्रवाह के लिए एक HUB का निर्माण करना होगा।
इंटरनेट की पहुंच को सभी क्षेत्रों में आसान बनाते हुए सरकारी विभागों तथा सगठनों को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर लाना होगा। प्रयास यह होना चाहिए कि सरकार के द्वारा उपलब्ध सभी जरुरी सूचनाएं वेब पेज, वेबसाइट के माध्यम से जनता को उपलब्ध हो।
Digital Litracy
सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों का लाभ उठाने के लिए आवश्यक है, कि जनता डिजिटल माध्यमों का उपयोग करना जानती हो। उसे इंटरनेट की समझ हो एवं डिजिटल रूप में साक्षरता प्राप्त की हुई हो।
तीसरे चरण में सरकार का प्रयास होगा कि डिजिटल साक्षरता की समझ के स्तर तक लोगों की पहुंच पूरी हो सके। ऐसा होने पर सरकारी संगठनों, विभागों, नागरिकों, समाज आदि के बीच संचार(online) के माध्यम से संपर्क स्थापित होगा।
E-Governance में 6C की अवधारणा
- content: प्रशासन से जुड़ी सूचनाओं को भविष्य के लिए सुरक्षित करना।
- connect: सूचनाओं का समयबद्ध रूप में जनता तक पहुंच।
- competence: प्रशासन और उससे जुड़ी सूचनओं की सरल उपलब्धता।
- capital: डिजिटल तंत्र को चलाने के लिए पूँजी का प्रबंधन।
- citizen centric: डिजिटल माध्यम से उपलब्ध प्रक्रिया को उपयोग में लाना लोगों के लिए आसान हो।
- cyber security: आंकड़ों और सूचनओं को सुरक्षित रखने के लिए ।
E-governance की आवश्यकता क्यों ?
- कल्याणकारी राज्य में सरकारी कामकाज का बढ़ना, उसके प्रबंधन के लिए ।
- पारदर्शिता एवं जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए।
- ज्ञान युक्त समाज का बढ़ता दवाब।
- मोबाइल क्रांति एवं भारत में चल रही सूचना क्रांति के दवाब से।
- Maximum Governance Minimum Government के विचार को सार्थक बनाने के लिए।
- Think Global work local के विचार को लाना।
- प्रशासन को जनता तक सीधे पहुंचने के लिए।
- शिकायत निवारण तंत्र के रूप में।
E-governance के अनुप्रयोग(Applications of e-governance)
E-governance मुख्यतः नैतिक, जिम्मेदार, रेस्पोंसिव, पारदर्शी एवं स्मार्ट शासन व्यवस्था लेन के लिए सरकारी कार्यों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग है। इन अनुप्रयोगों में कुछ इस प्रकार है।
- नागरिकों, व्यवसायों तथा अन्य सरकारी विभागों के साथ सूचना का आदान प्रदान।
- लागत कम करने एवं राजस्व को बढ़ाने में उपयोगी।
- सार्वजानिक सेवाओं की तीव्रतर और अधिक सक्षम पहुंच।
- सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने में मददगार।
इनके आवला अपने क्षेत्र के अनुसार अनुप्रयोग
राजनीतिक क्षेत्र में
चुनाव के समय इलेक्ट्रॉनिक साधनों के माध्यम से प्रचार करना, मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्म का इस्तेमाल, EVM के माध्यम से वोटिंग को सुनिश्चित करना, हलफनामा को डिजिटल रूप से देना, लोकतंत्र को E-governance के माध्यम से मजबूत करने की ओर कदम हैं।
प्रशासन में
सरकार के द्वारा G2G , G2C , G2B , G2E , इन चार क्रियाओं के उपयोग से E-governance को मजबूत किया गया है।
आर्थिक क्षेत्र में
खरीदी, बिक्री, पेमेंट, GST , E- मंडी , लाइसेंसीकरण व्यवस्था के माध्यम से E-governance को मजबूत बनाने के प्रयास किये गए हैं।
सामाजिक संस्कृति(socio culture)
e-governance के लिए एजुकेशन प्रमुख भूमिका में है। जिसे प्राथमिक स्वरुप के रूप में हैं। आज के समय में e-मीडिया, e-टूरिज्म, e-लाइब्रेरी e-education आदि शब्द प्रचलन में हैं। यह डिजिटल माध्यम से सभी क्षेत्रों के विकास को बल दे रहे हैं तथा ग्रामीण क्षेत्रों को मुख्यधारा में जोड़ रहे हैं। जो कि लोकतंत्र में e-गवर्नेंस को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।
द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग रिपोर्ट (ARC-2nd report) में e-governance के लिए अनुप्रयोग
द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग(ARC-2nd report) ने 2008 में अपनी रिपोर्ट में पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों से सम्बंधित मामलों में e-governance के साधनों के कुछ विशिष्ट प्रयोगों पर विचार किया। जो निम्नलिखित हैं।
- सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग स्थानीय शासन निकायों द्वारा प्रक्रिया सरलीकरण, पारदर्शिता और जिम्मेदारी बढ़ाने तथा सिंगल विंडो के माध्यम से सेवाओं की आपूर्ति करने के लिए किया जाना चाहिए।
- स्थानीय शासन निकायों के लिए एकल सेवा केंद्र होना चाहिए। इसके लिए स्थानीय शासन निकायों में क्षमता निर्माण की अपेक्षा हैं।
- नगर पालिका निकायों के पास अपनी संपत्ति का अपडेटेड डाटाबेस होना चाहिए।
- स्थानीय संसाधन मानचित्रण और स्थानीय सूचना आधार सृजित करने के लिए ग्राम और मध्यवर्ती पंचायत स्तर पर सूचना और प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी समर्थ संसाधन केंद्रों की स्थापना के लिए उपाय किये जाने चाहिए|
- एक साल के भीतर शहरी स्तर पर निर्धनों की पहचान कर, निर्धन उन्मूलन कार्यक्रम चलाना चाहिए।
भारत में e-शासन सम्बन्धी प्रयास
भारत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिकी के महत्व को समझते हुए 1970 में इलेक्ट्रॉनिकी विभाग की स्थापना की। वर्ष 1977 में राष्ट्रीय सूचना केंद्र(NIC) की स्थापना भारत में e-शासन की ओर पहला मुख्या कदम था। 1980 के बाद सरकारी कार्यालयों में कंप्यूटर के उपयोग को बड़ी मात्रा में बढ़ाया गया। जिसके बाद धीरे धीरे सॉफ्टवेयर, डाटाबेस, सूचना प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया गया।
e-governance के लिए मुख्य विकास 1987 में ‘निकनेट’ (NICNET) राष्ट्रीय उपग्रह आधारित कंप्यूटर नेटवर्क को प्रारम्भ किया गया। इसके बाद देश में सभी जिला कार्यालयों को कंप्यूटर युक्त करने के लिए राष्ट्रीय सूचना केंद्र की जिला सूचना प्रणाली प्रारम्भ किया गया। वर्ष 1990 तक “निकनेक” का राज्य की राजधानियों से होकर सभी जिलों मख्यालयों तक विस्तार किया गया। 1999 सरकार के द्वारा केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय बनाया गया। वर्ष 2000 तक केंद्र सरकार के द्वारा सभी मंत्रालय एवं विभागों में कार्यान्वयन के लिए भारत सरकार द्वारा e-governance के लिए न्यूनतम कार्यसूची जारी की गयी।
वर्ष 2006 के पूर्व भारत सरकार ने राष्ट्रीय e-शासन योजना(NEGP) प्रारम्भ की जिसके बाद भारत सरकार के कुछ विभागों तथा साथ ही राज्य सरकारों ने e-शासन अपनाने के उपाय प्रारम्भ किये।
राष्ट्रीय e-governance योजना
भारत के सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग और प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग ने इस योजना का प्रारूप तैयार किया। 18 मई,2006 को e-governance में प्रभावी अनुप्रयोगों को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने 31 मिशन मोड परियोजनाएं(MMP) और 10 संघटकों के साथ राष्ट्रीय e-governance परियोजना को मजूरी दी। इस योजना का उद्देश्य आम आदमी के लिए उसके आसपास के सामान्य सेवा प्रदायगी बिंदुओं के माध्यम से सभी सरकारी सेवाओं को उपलब्ध कराना और आम आदमी की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए वहनीय मूल्यों पर उपलब्ध सेवाओं की दक्षता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना है।
E-governance में बाधाएं
- पूंजी की मांग
- समाज का यथास्थिति या तकनीक से दूरी
- कानूनी ढांचे की परिपक्वता
- प्रशासनिक ढीलापन
- तकनीक के स्तर पर बाधाएं
- सुविधाओं की दूर दराज के क्षेत्रों में पहुंच नहीं
- जनता में जागरूकता की कमी
- भौगोलिक स्थिति में भिन्नता |
E-governance से सम्बंधित चिंताएं
- e-governance से शासन का यंत्रीकरण हो गया है। अगर किसी स्थिति में डिजिटल माध्यम ठप होता है तो सभी क्रियाएं सुस्त हो जाएँगी।
- e-governance ने प्रशासन को जनता के समीप लाया है। लेकिन एक प्रकार से जनता को प्रशासन से दूर कर दिया है।
- e- शासन के आने से प्रशासनिक व्यय में तात्कालिक रूप से वृद्धि हुई है।
- साइबर अपराधों को रोकना चुनौती है। डाटा चोरी होने का डर, साइबर हैकिंग की चुनौती बनी रहती है।
- e- शासन से प्रशासकों की स्वविवेकी सत्ता में कटौती आयी है।
E-governance क्या है(what is e-governance in Hindi)? इस आर्टिकल से सम्बंधित अगर कोई सवाल है तो कमेंट में आप वह सवाल लिख सकते हैं। और यह भी बता सकते हैं कि हमारे द्वारा लिखी गयी सूचना आपको किसी लगी। वैसे हमारा प्रयास है कि हम आपको किसी भी विषय पर जानकारी को सटीकता के साथ प्रस्तुत करें।