देश में सरकार और RBI दोनों डिजिटल मुद्रा को लेकर तेज़ी से कार्य कर रहे हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट सत्र के दौरान ही इस प्रकार की बाते कहीं थी। हालाँकि इस क्षेत्र में अपने देश का कार्य करना कोई नयी बात नहीं हैं, पहले से ही UAE जैसे देश डिजिटल मुद्रा के चलन को बहुत हद तक बड़ा चुके हैं और उनके द्वारा digital currency के अन्य रूपों को भी तेज़ी से अपनाया जा रहा हैं। इस आर्टिकल में CBDC क्या हैं(what is CBDC)? कागजी मुद्रा से यह किस प्रकार भिन्न हैं इस विषय पर चर्चा की गयी हैं?
RBI के द्वारा 1 DEC से e-Rupee नाम से एक डिजिटल रुपया पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया। इस प्रोजेक्ट को CBDC (Central Bank Digital Currency) कहा गया है, अभी इस प्रोजेक्ट को देश के 4 शहरों में शुरू किया गया है। इस प्रोजेक्ट को खुदरा रूप में उपयोग कर्ताओं के लिए शुरू किया गया है।
जिस प्रकार से कागजी मुद्रा का उपयोग करके खरीदारी की जाती है उसी प्रकार से e₹-R रूपये का इस्तेमाल किया जा सकता है।
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CBDC क्या है?(what is CBDC)
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) केंद्रीय बैंक द्वारा जारी की गयी कानूनी निविदा है। जिसका तात्पर्य RBI द्वारा इसे कानूनी मान्यता प्रदान की जाएगी। यह एक प्रकार की फ़िएट करेंसी के समान होगी। (फ़िएट करेंसी उस मुद्रा को कहते हैं, जिसे भौतिक रूप में छापा नहीं जाता है।) CBDC मुद्रा इसे आज के समय में प्रचलित मुद्रा के समान ही मान्यता दी गयी है, इस फ़िएट करेंसी की जगह आप मुद्रा भी प्राप्त कर सकते हैं। अर्थात यह मुद्रा exchangeable भी होगी।
पायलट प्रोजेक्ट का प्रथम चरण
इस पायलट प्रोजेक्ट के प्रथम चरण को 1 Dec से शुरू किया जा चूका है। इसे अभी केवल चार शहरों जैसे मुंबई, नयी दिल्ली, बंगलुरु, भुवनेश्वर में शुरू किया गया है। यह ग्राहक और व्यापारियों के बीच एक बंद उपयोगकर्ता समूह के रूप में कार्य करेगा।
इस व्यवस्था को उपयोग में लाने के लिए कुछ बैंकों को भी चुना गया है जिसमें SBI , ICICI , YES BANK , IDFC FIRST BANK शामिल हैं। आगे हो सकता है कि सरकार पायलट प्रोजेक्ट के रूप में आगे कई और भी चरण शुरू करे जिसमें कई अन्य बैंक और शहर शामिल हो।
खुदरा डिजिटल रूपया
खुदरा ई- रूपया नकदी राशि का एक इलेक्ट्रॉनिक संस्करण है। मुख्य रूप से अभी इसे खुदरा लेनदेन के तोर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। भुगतान और निपटान के लिए इसे अधिक सुरक्षित माना जा रहा है। और इसमें केंद्रीय बैंक मुख्य भूमिका में रहेगा।
डिजिटल मुद्रा कार्य किस प्रकार करेगी?
यह मुद्रा एक डिजिटल टोकन के रूप में कार्य करेगी। जिसे RBI के द्वारा कागजी मुद्रा के समान ही मान्यता प्राप्त होगी। इस मुद्रा को कागजी मुद्रा एवं के समान वर्गमूल में जारी किया जायेगा। यह कार्य बैंकों के माध्यम से किया जायेगा।
डिजिटल मुद्रा में लेनदेन के लिए सरकार के द्वारा QR कोड युक्त डिजिटल वॉलेट बनाया गया है। जिसके माध्यम से लेनदेन की प्रक्रिया को मोबाइल फ़ोन के द्वारा किया जा सकता है। इस व्यवस्था के द्वारा p2p (व्यक्ति से व्यक्ति) एवं p2m (व्यक्ति से व्यापारी एवं संस्था) को भुगतान किया जा सकता है।
डिजिटल मुद्रा में भौतिक मुद्रा के समान ही सुरक्षा, नकदी जैसा विश्वास एवं सेटलमेंट सुविधा होगी। डिजिटल मुद्रा पर अभी सरकार के द्वारा बैंकों में दिए जाते वाले ब्याज के समान किसी प्रकार के ब्याज की सुविधा नहीं दी गयी है।
डिजिटल रूपया का विभाजन
डिजिटल मुद्रा का विभाजन अभी दो रूप में किया गया है।
- खुदरा रूप में
- थोक रूप में (Wholesale) – इस रूप में 1 NOV 2022 से शुरुआत हो चुकी है। जिसका उपयोग चुनिंदा वित्तीय संस्थानों में लेनदेन के लिए एवं सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन के लिए इसकी शुरुआत की जा चुकी है।
पायलट प्रोजेक्ट की आवश्यकता क्यों?
इस पायलट प्रोजेक्ट के माध्यम से RBI रियल टाइम में डिजिटल मुद्रा का परीक्षण कर सकती है। जिससे भविष्य के लिए खामियों को खोजा जा सकता है। सरकार डिजिटल मुद्रा को लाने के लिए पूरी तरह सकारात्मक है एवं RBI ब्लॉकचैन तकनीक की सहायता से डिजिटल मुद्रा के लिए आने वाली चुनौतियों को दूर करने का प्रयास कर रही है। जिससे मुद्रा का वितरण, निर्माण, एवं खुदरा उपयोग की पूरी प्रक्रिया को मजबूती मिलेगी।
डिजिटल मुद्रा से लाभ
आज के समय में प्रचलित कागजी मुद्रा को छापने में RBI को अधिक मात्रा में धन खर्च करना पड़ता है किन्तु डिजिटल मुद्रा से इस खर्च से बचा जा सकेगा। भुगतान प्रणाली में तेज़ी आएगी। यह आभासी मुद्रा कागजी मुद्रा के समान जोखिमों से दूर होगी एवं लेनदेन के सेटेलमेंट को आसानी से पूरा किया जा सकेगा।
डिजिटल मुद्रा से चुनौतियां
डिजिटल मुद्रा के आने से बैंकों के अस्तित्व को खतरा हो सकता है। जब बैंक में पैसे रखने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी तो बैंक खत्म हो जायेंगे। बैंकिंग सेक्टर में जॉब कम होंगी, जिस कारण देश की बेरोजगारी में और अधिक इजाफा होगा।
डिजिटल मुद्रा में फ्रॉड होने की संभावनाएं भी बानी रहेंगी हालाँकि सरकार जिम्मेदारी ले रही है। लोगों को डिजिटल मुद्रा के बड़े रूप में जागरूक करना होगा अन्यथा यह भी विमुद्रीकरण के समान ही साबित न हो। सरकार क्रिप्टो करेंसी को लेकर चिंता में थी, उसी के चलते सरकार ने डिजिटल मुद्रा को चलन में लाया है। जिसकी सुरक्षा के लिए उसके द्वारा ब्लॉक चैन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। सरकार के द्वारा यह भी माना गया है कि इस तकनीक के माध्यम से ही नयी संभावनाएं तलासी जा सकती हैं।