बैंकों में फसे हुए कर्ज की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इन फसे हुए कर्ज से निजात दिलाने के लिए देश में Bad Bank की स्थापना की जा रही है। जिसके लिए सरकार ने नियम निर्देशों का खाका तैयार कर लिया है। 2021-22 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा asset reconstruction company अर्थात Bad Bank लाने की घोषणा पहले ही की गयी थी।
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Bad bank क्या है?(What is Bad Bank)
Bad Bank एक प्रकार की asset reconstruction company(संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी) होती है। जिसका कार्य बैंकों के फसे हुए कर्जों अर्थात NPA(non performing asset) को बसूलना होता है।
यदि साधारण शब्दों में कहें तो Bad Bank ऐसे वित्तीय संस्थान को कहा जाता है जो बैंकों की ख़राब या फसी हुई परिसम्प्पति की बसूली का समाधान निकालता है। अर्थात यह एक ऐसा बैंक है जो NPA की उगाही करता है।
NPA क्या होता है?
RBI के नए नियम के अनुसार जब किसी बैंक द्वारा किसी व्यक्ति या संस्था को कोई लोन या कर्जा दिया जाता है तो उस व्यक्ति या संस्था द्वारा यदि 90 दिन की समय सीमा के अंतर्गत अपनी किस्तों या कर्ज को चुकाना होता है। अगर इस समय सीमा के अंतर्गत बैंक में पैसा जमा नहीं किया जाता तो बैंक द्वारा ऐसे कर्ज को NPA घोषित किया जा सकता है।
NPA घोषित कर्ज से बैंक को किसी प्रकार की कोई कमाई नहीं होती है। साथ ही NPA की वजह से बैंक की बैलेंस शीट(वित्तीय स्थिति विवरण) की छवी ख़राब होती है।
Bad Bank कार्य कैसे करेगा?
बैंकों के फसे हुए कर्ज को Bad Bank के द्वारा ले लिया जायेगा और फिर बसूली का प्रयास किया जायेगा। कर्ज देना या जमा करना Bad bank की प्रक्रिया का भाग नहीं होता किन्तु यह बैंकों की बैलेंस शीट ठीक करने में मदद करता है। तय नियमों के अनुसार, यह 2 लाख करोड़ का Bad loan इखट्टा करके उगाही का कार्य करेगा।
Bad Bank में सार्वजिनक और निजी दोनों क्षेत्रों के बैंक अपने NPA की हिस्सेदारी सौंप सकते हैं। जिसमें अधिकतम हिस्सा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का होगा।
भारतके प्रस्तावित bad bank का नाम National Asset Reconstruction Company Limited (NARCL) है। जिसके साथ ARC(परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी) और AMC(परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी) का निर्माण भी किया जायेगा। इसमें ARC का कार्य कर्ज इकठ्ठा करना तथा AMC का कार्य एक प्रबंधक के रूप में होगा।
ARC बैंकों को तुरंत 15% कैश का भुगतान कर देगी बाकी का 85% के लिए वह बैंको को सिक्योरिटी रिसीट(SR) जारी करेगी। डूबे कर्ज की रिकवरी के हिसाब से ARC बैंक को SR के एवज में पैसे का भुगतान करेगी। उदहारण के लिए- माना किसी बैंक पर 50 करोड़ का NPA है। इस NPA को Bad bank द्वारा 25 करोड़ में खरीद लिया जाता है। अगर यदि Bad bank द्वारा 50 करोड़ के NPA को बसूल लिया गया तो उसे 25 करोड़ का फायदा होता है। अगर NPA को नहीं बसूला जा सका तो उसे 25 करोड़ की हानि हो जाएगी।
सबसे पहले Bad बैंक का प्रचलन अमेरिका से शुरू हुआ। 1980 के दशक में अमेरिका में बैंकों का NPA बहुत अधिक हो गया इससे निपटने के लिए अमेरिका में 1988 में पहला Bad bank शुरू किया गया। जिसके बाद अन्य देशों ने भी Bad bank को अपनाया।
भारत में Bad Bank की आवश्यकता क्यों ?
हाल ही में Bad loan की संख्या में अधिक तेज़ी से इजाफा हुआ है, कोरोना महामारी ने यह बढ़ोत्तरी और भी तेज़ी से देखी गयी है। वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार बैंकिंग क्षेत्र का सकल NPA सितम्बर 2020 के मुकाबले 7.5% से बढ़कर सितम्बर 2021 में 13.5% तक हो सकता है।
कामथ कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना महामारी में कॉर्पोरेट क्षेत्र में 15.52 लाख करोड़ के कर्ज के कारण तनाव की स्थिति बनी हुई है। देश में कृषि कर्ज का 9.8% NPA बन चूका है उसी प्रकार इंडस्ट्री में 11.3%, सर्विस सेक्टर में 7.5%, और पर्सनल लोन में 2.1% NPA है
इसीलिए बैंकों की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए Bad बैंक एक प्रभावी तंत्र की भूमिका निभा सकता है।
Bad Bank से लाभ
- बैंकों की बैलेंस शीट में सुधार होगा।
- देश के कई बड़े बैंक NPA से मुक्त हो सकते हैं।
- बैलेंस शीट साफ होने से सरकार को बैंक के निजीकरण करने में आसानी रहेगी।
- NPA को Bad Asset से Good Asset बनाने में मदद मिलेगी।
- अर्थव्यवस्था की ग्रोथ के लिए बैंक अधिक लोन दे सकेंगे।
जानकारों का मानना है कि Bad bank से कोई उचित लाभ मिल ही जाये ऐसा आवश्यक नहीं है। NPA को कम करने के लिए बैंकिंग सिस्टम में बुनियादी सुधार करने होंगे। इससे बैंको के पुनः पूँजीकरण की आवश्यकता नहीं होगी और सरकार के राजकोषीय घाटे पर पड़ रहे दवाब को कम किया जा सकेगा। इसलिए बैंकिंग सेक्टर में सम्पूर्ण सुधार की आवश्यकता है।