विदेश मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) भारत में अपने रिकॉर्ड स्तर को पार कर रहा है। जो अभी $650 बिलियन से अधिक है। ऐसा होना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बेहतर कदम है। विदेशी मुद्रा भंडार के लगातार बढ़ने से यह साफ है कि भारत में विदेशी निवेशकों का रुझान लगातार बढ़ रहा है।
विदेशी मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) क्या है?
किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां हैं। भारत में RBI के द्वारा विदेशी मुद्रा भंडार का आंकलन किया जाता है और हर सप्ताह देश के विदेशी मुद्रा भंडार के आँकड़े प्रस्तुत किये जाते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) में शामिल है।
- विदेशी परिसंपत्तियां(Foreign currency asset)- इसमें बॉन्ड, शेयर, डिबेंचर इत्यादि को शामिल किया जाता है।
- गोल्ड रिज़र्व
- IMF के पास रिज़र्व ट्रेंच- यह वह मुद्रा होती है। जिसे हर सदस्य देश IMF को प्रदान करता है। जिसका उपयोग अपने स्वयं के लिए कर सकता है।
- SDR(Special drawing rights)- विशेष आहरण अधिकार कोई मुद्रा नहीं है। बल्कि एक दवा है जो IMF राष्ट्रों की मुद्राओं को प्रयोग करने योग्य दिया जा सकता है। SDG के अंतर्गत 5 देशों की मुद्राओं को शामिल किया गया है। डालर, यूरो, येन, रेनमिनबी, पाउंड
वित्तीय वर्ष 2019-20 में भारत द्वारा लगभग $525 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कुल निर्यात किया गया जबकि $600 बिलियन का आयात किया गया। जिस कारण $75 बिलियन का व्यापार घाटा हुआ। दुनिया में सर्वाधिक व्यापार डॉलर में किया जाता है। विदेशी मुद्रा भंडार के अधिक होने से केंद्रीय बैंक को रूपया देकर डॉलर खरीदने की आवश्यकता नहीं होती, भारत द्वारा आयत अधिक किये जाने से भुगतान के लिए विदेशी मुद्रा का इस्तेमाल किया जाता है।
भारत हर साल 6000-7000 वस्तुओं का आयत करता है। ऐसा विश्व के अलग अलग देशों से किया जाता है। जिस वजह से अलग अलग देशों की मुद्राओं को RBI अपने पास रखता है। दुनिया में सबसे अधिक व्यापार डॉलर में किया जाता है। ऐसे में किसी भी केंद्रीय बैंक में डॉलर का संग्रहण अधिक होना अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर है।
1991 के समय देश में विदेशी मुद्रा भंडार अत्यधिक कम हो गया था। इस समय देश के प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी थे। उस समय भारत की स्थिति ऐसी हो चुकी थी कि भारत के द्वारा लगातार 3 हफ्ते तक आयात नहीं किया जा सकता था। तब RBI ने 47 टन सोना गिरवी रखकर विदेशी मुद्रा प्राप्त की। जिसके उपरांत आयत की जरूरतों को पूरा किया जा सका।
विश्व के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर 62.7%, यूरो 20.2%, येन 4.9% है। भारत में विदेशी मुद्रा भंडार को RBI के द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
रुपये को संतुलित रखने में
रूपये को संतुलित रखने के लिए RBI के द्वारा ही डॉलर की खरीदी और बिक्री की जाती है। जब विदेशों से भारत में डॉलर का प्रवाह अधिक हो रहा होता है तब RBI के द्वारा डॉलर की खरीद की जाती है। किन्तु जब डॉलर की मांग अधिक होती है तो RBI डॉलर बेच देता है। डॉलर के मुकाबले रूपये की स्थिति को संतुलित बनाये रखने के लिए RBI के द्वारा विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल किया जाता है। कहने का तात्पर्य है कि डॉलर के मुकाबले रूपये का मजबूत होना या रूपये का गिरना संतुलित रहता है।
पिछले साल के मुकाबले इस साल भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 100 बिलियन डॉलर का इजाफा हुआ है। इस समय डॉलर और यूरो, विदेशी परिसंपत्ति के रूप में 560.890 बिलियन डॉलर का है और स्वर्ण भंडार 37.2 बिलियन डॉलर का। जबकि SDR 1.513 अरब डॉलर का है। IMF के पास आरक्षित रिजर्व ट्रेंच 5 बिलियन डॉलर का है। इन सभी को जोड़ने पर यह 600 बिलियन डॉलर का दिखाई देता है।
विदेशी मुद्रा भंडार में स्थान
विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में चीन 3330 अरब डॉलर के साथ पहले स्थान पर है। दूसरे स्थान पर जापान है- जिसका विदेशी मुद्रा भंडार 1378 अरब डॉलर का है। इसके बाद तीसरे स्थान पर स्विटज़रलैंड 1070 अरब डॉलर के साथ है। चौथे स्थान पर रूस है और अभी भारत की स्थिति पांचवें स्थान पर है। एक अनुमान के मुताबिक आने वाले कुछ महीनों में भारत रूस को पीछे छोड़ विदेशी मुद्रा भंडार में चौथे स्थान पर आ जायेगा।
विदेशी मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) बढ़ने के कारण
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) में वृद्धि होने के कई कारण है। जिसमें भारत में निवेश के बेहतर विकल्प का होना शामिल है, भारत अपने आयात में लगातार कमी कर रहा है। और निर्यात पर बल दे रहा है। अमेरिकी जैसे देशों ने हाल में अधिक नोटों की छपाई की है। जिस कारण भारत में भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए विदेशी निवेश भारत में अधिक आ रहा।