यूनिकॉर्न का नया स्थान बनता भारत(Unicorn kya hai)

Unicorn kya hai: कुछ समय पहले तक भारत में कुछ ही यूनिकॉर्न कंपनियां थी लेकिन 2021 में भारत ने कई यूनिकॉर्न कंपनियों को जन्म दिया है और इनकी संख्या में तेज़ी से इजाफा हो रहा है।

2021 में संख्या के हिसाब से ध्यान दिया जाये तो भारत में लगभग 33 यूनिकॉर्न ऐसे थे जिन्हे यूनिकॉर्न के रूप में शामिल किया गया। इसका तात्पर्य यह हुआ कि हर महीने लगभग 3 यूनिकॉर्न सफलता पूर्वक देश में स्थापित हुए। भारत की इस बदलती ताजा आर्थिक स्थिति को दुनिया के देश पहचान रहे हैं और वह इसे एक अवसर के रूप में देख रहे हैं।

Haroun Research Institution के अनुसार एक रिसर्च में यह कहा गया है कि भारत 54 यूनिकॉर्न के साथ UK(United Kingdom), कनाडा, जर्मनी, ब्राजील जैसे देशों को पीछे छोड़ते हुए तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। आज भारत के लगभग 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न पूरे विश्व में फैले हुए हैं। इनमें से 94 इंडिया में मौजूद हैं, जबकि 65 इंडिया के बाहर कार्य कर रहे हैं।

उदहारण के लिए- Mexico based fintech unicorn- CLIP , UK based gaming unicorn- Improbable , Germany based E-commerce unicorn- OMIO आदि। ये सभी उन सफल यूनिकॉर्न के उदहारण हैं। जिन्हे कोई इंडियन चला रहा है या वह किसी इंडियन द्वारा co-founded है। दुनिया में आज फ्लिपकार्ट, भारत पे, ओला कैब, जोमाटो आदि ऐसे भारत के अनेकों यूनिकॉर्न हैं जिन्होंने अपनी सेवाओं के जरिये दुनिया को आज पूरी तरह से बदल दिया है।

यूनिकॉर्न क्या है? (Unicorn kya hai)

डिक्सनरी में खोजने पर यही देखने को मिलता है कि एक सफ़ेद घोड़ा जिसके सर पर सींग हो। पौराणिक कथाओं में यह एक दैवीय घोड़ा माना जाता है। किन्तु इकोनॉमिक्स में उन कंपनियों को यूनिकॉर्न कहा जाता है जिनका मूल्यांकन 1 बिलियन डॉलर या उससे अधिक हो। यूनिकॉर्न यह नाम एक बिज़नेस लेडी Aileen Lee ने दिया था। यह एक Business farm Cowboy Ventures को चलाती हैं।

क्या भारत में यूनिकॉर्न बनना आसान है?

2017 में cryptocurrency exchange से सम्बंधित प्लेटफार्म coinswitch kuber की शुरुआत हुई जो कुछ समय में ही देश का no.1 क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफार्म बन गया। उसी प्रकार Nykaa बेहद कम समय में जानेमाने यूनिकॉर्न के रूप में स्थापित हो चुका हैं। इन सब बातों तो ऐसा ही लगता है कि देश में यूनिकॉर्न बनाना बहुत आसान कार्य है। किन्तु इससे पहले यह समझना होगा कि इकॉनमी में बिना संख्याओं के कुछ हो ही नहीं सकता। भारत की एक संस्था है NASSCOM , इस संस्था के द्वारा कुछ आंकड़े जाहिर किये गए जिनमें कहा गया कि 2022 में जनवरी से अप्रैल महीने के मध्य में 6.5 बिलियन डॉलर का व्यापार कंपनियों को मिला है। इन यूनिकॉर्न में 60% फण्ड Fintech , Ecommerce , SaaS(Software से सम्बंधित ऐसा प्लेटफार्म जो कोई खास सर्विस देता हो जैसे-Netflix) इन तीन सेक्टर में इन्वेस्ट हुए हैं। देश की लगभग 1/3 कंपनियों का मुख्यालय बंगलुरु में है जबकि 20% कंपनियों का मुख्यालय दिल्ली में स्थित है।

अब सोचने की बात यह है कि नयी पैदा हो रही कंपनियों को यूनिकॉर्न बनने में इतना कम समय कैसे लग रहा है। जबकि zoho , makemytrip जैसी कंपनियों को यूनिकॉर्न बनाने में 10 साल से अधिक का समय लग गया। इसके लिए जवाब इन्वेस्टमेंट की दुनिया में है। नए प्रोजेक्ट में venture capital और angle investor का इन्वेस्टमेंट तेजी से बड़ा है। इसके साथ ही उपभोक्ताओं को जो कंपनियां लुभाने में कामयाब रहती है वही प्रॉफिट को बनाकर रख पाती हैं। (venture capital यानि कि कोई बड़ी संस्था किसी नयी कंपनी या स्टार्टअप में अपना पैसा लगाती है। यह पैसा लगाने वाली कंपनी उस स्टार्टअप में कुछ हिस्सेदारी लेती है। उस हिस्सेदारी के हिसाब से ही फायदा और नुकसान होता है। अगर यह स्टार्टअप नहीं चलता तो ऐसे में यह एक साझा नुकसान होता है जिसमें स्टार्टअप को वेंचर कैपिटल को कुछ देना नहीं पड़ता। वेंचर कैपिटल की तरह ही यही काम angle investor भी करते हैं, इसमें फर्क बस इतना है कि angle investor individual कोई व्यक्ति होता है।)

भारत में नयी कंपनियों के लिहाज़ से बाजार की बहुत बड़ी पहुंच मौजूद है। इसका कारण भारत की जनसँख्या को भी माना जा सकता है। भारत में आज की नौजवान जनसँख्या का झुकाव खर्च करने और Mutual Funds या इन्वेस्टमेंट ने नए अवसर तलासने की ओर है। और आज का समय ऐसा नहीं है कि किसी व्यक्ति को फ़िनलैंड की कोई सर्विस लेने के लिए फ़िनलैंड में होना पड़ेगा। दुनिया की प्रख्यात फाइनेंसियल संस्था Morgan Stanley के द्वारा 2017 में एक रिपोर्ट दी गयी जिसमें कहा गया कि 2020 तक भारत की नौजवान आबादी हर साल 330 बिलियन डॉलर खर्च करेगी। हालाँकि यह दुनिया के हिसाब से अभी भी कम है किन्तु भारत अभी विकसित होता बाजार है।

इसके अलावा भारत ने अभी तक ऐसे कई सेक्टर हैं जिन पर कोई काम ही नहीं किया था, ऐसा तकनीक की पर्याप्त पहुंच नहीं होना हो सकता है। किन्तु अब भारत की पहुंच इन अलग थलग पड़े हुए क्षेत्रों में भी हो रही है। साथ ही आज की सरकार स्टार्टअप को बढ़ाने के लिए मदद कर रही है। सरकार के द्वारा स्टार्टअप्स को बढ़ाने के लिए startup india स्कीम की शुरुआत की गयी थी और इस ओर सरकार के द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।

 

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