Tata Success story(टाटा के सफलता की कहानी):
टाटा आज नाम नहीं एक ब्रांड है जो समय के साथ भरोसे पर तैयार हुआ है। टाटा आज के समय देश के लिए एक बेंच मार्क है जिसने विदेशों में अपनी पहचान बनायीं है। लैंड रोवर और जैगुआर जैसी कंपनी टाटा के द्वारा चलाई जाती है। हाल ही में टाटा ने IPL से Vivo को हटाकर खुद की जगह बनायीं है। टाटा के सफलता की कहानी के इस आर्टिकल में यह जानने का प्रयास किया गया है, कि टाटा आखिर टाटा कैसे बना।
टाटा ग्रुप की नींव Jamsetji Nusserwanji Tata ने रखी थी। यह वही टाटा हैं जिनके नाम पर झारखण्ड में जमशेदपुर इंडस्ट्रियल सिटी है। जमशेदपुर में कई फैक्ट्रियां हैं जिसमें टाटा की Iron & steel factory भी शामिल है।
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Jamsetji Tata
Jamsetji Tata का जन्म 1839 में हुआ था और शुरूआती शिक्षा के बाद बॉम्बे के Elphistone College से 1858 में उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की।
कहा जाता है कि बचपन से उनका रुझान व्यापार को विकसित करने पर था और इसी कारण कॉलेज से निकलते ही वह अपने पिता की व्यापार फर्म में शामिल हो गए। Jamsetji Tata ने ब्रिटिश इंडिया के अंतर्गत चीन के साथ हो रहे ट्रेड को और बढ़ाने का प्रयास किया। किन्तु जब अमेरिकन गृह युद्ध शुरू हुआ तो ब्रिटिश कंपनियों को मिलने वाली कपास की आपूर्ति अवरुद्ध होने लगी।
इसका फायदा भारतीय कपास उत्पादन को मिला। बॉम्बे कपास बाजार में कपास की मांग अधिक हो गयी। Jamsetji Tata अपने पिता के साथ एशियाटिक बैंकिंग कारपोरेशन में शामिल हुए। 1870 में Jamsetji Tata ने 21000 रूपये के साथ एक व्यापारिक कंपनी स्थापित की और बॉम्बे और नागपुर में कपास मिल को स्थापित किया। यहीं से टाटा के बनने की शुरुआत हुई जो पूरी दुनिया में पहचान बनाने वाला था। कहा जाता है कि jamsetji tata के चार सपने थे।
- आयरन और स्टील कंपनी खड़ी करना
- देश का एक भव्य होटल बनाना
- एक हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्लांट लगाना
- देश में विश्व स्तरीय शिक्षा संस्थान बनाना
Jamsetji Tata ने अपने सपने को भविष्य के भारत के साथ हर क्षेत्र से जोड़ा था। Jamsetji ने अपने जीवन के दौरान ही 1903 में कोलाबा में ताज होटल को शुरू किया। यह भारत का पहला होटल था जिसमें बिजली थी। Jamsetji tata की मृत्यु के बाद 1904 में उनके बड़े बेटे Dorabji Tata को कंपनी का चेयरमैन बनाया गया।
Dorabji Tata
इन्होने अपने पिता के सपने को पूरा करते हुए 1907 में Tata Iron & Steel Company(TISCO) की स्थापना की। इस कंपनी की स्थापना से भारत में इंडस्ट्रियल रेवोलुशन की स्थापना हुई। यह क्षेत्र भारत के अन्य इंडस्ट्रियल सेक्टर्स के लिए सहायक के रूप में उभरा। टाटा द्वारा उत्पादित स्टील से कई बड़े संस्थानों के लिए Row material की मांग को पूरा किया गया।
टाटा ने दुनिया की ओर देखते हुए अपना पहला विदेशी कार्यालय(overseas office) London में शुरू किया। कंपनी ने Jamsetji के दूसरे गोल को देखते हुए 1910 में Tata Power की स्थापना की जो 1910 में वेस्टर्न इंडिया का पहला हाइड्रो पावर प्लांट बना। इसके अगले ही साल इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस की स्थापना की गयी। इस संस्थान के पीछे भी एक रोचक कहानी है- 1893 में जापान से शिकागो जा रहे एक जहाज में Jamsetji Tata की मुलाकात स्वामी विवेकानंद से हुई जो खुद भी इस सफर पर थे। इस मुलाकात के दौरान स्वामी विवेकानंद ने Jamsetji Tata के साथ अपनी सोच को साझा किया। जिसका उन पर गहरा प्रभाव पड़ा, यहीं से Jamsetji के मन में शिक्षा संस्थान के निर्माण की बात बैठ गयी।
JRD Tata
Dorabji Tata के बाद JRD Tata इस ग्रुप के चेयरमैन बने। इनके दौर में TATA Group ने बड़ा विस्तार देखा। Dorabji Tata जब चेयरमैन थे उस समय टाटा ग्रुप में 14 उद्यम संस्थायें थीं जिसकी कुल परिसम्पत्ति 108 मिलियन डॉलर थी। 1988 तक यह संख्या 95 तक पहुंच गयी जिसकी कुल संपत्ति 5 बिलियन डॉलर से ज्यादा थी।
JRD Tata ने बिज़नेस को सभी क्षेत्रों में विस्तारित किया जिसमें केमिकल, टेक्नोलॉजी, मार्केटिंग, सॉफ्टवेयर, जैसे सभी जरुरी सेक्टर शामिल थे।
1952 में JRD Tata ने Tata Air Services को शुरु किया जिसे 1977 में भारत सरकार के द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया। 1977 तक JRD Tata इसके चेयरमैन रहे।
1945 में Tata motors को बनाया गया इसकी शुरुआत Railway Locomotives बनाने के लिए की गयी। जिसने 1954 से बाजार के लिए कमर्सिअल सर्विसेज देना भी शुरू कर दिया
1968 में Tata Consultancy services को शुरू किया गया
1991 से टाटा के लिए एक नया दौर आया जहाँ इंडियन इकॉनमी को तरल बनाने के प्रयास किये जा रहे थे तो देश में नयी आर्थिक निति को अपनाया जा रहा था। इस समय देश में LPG रिफार्म लाये गए और Tata group के चेयरमैन Ratan Tata को बनाया गया।
Ratan Tata
टाटा पहले से ही दुनिया में पहचान बना चुका था, किन्तु Ratan Tata ने टाटा ग्रुप को दुनिया के जाने माने प्लेयर्स में शामिल कराया। रतन टाटा की चेयरमैनशिप के दौरान टाटा ने 2000 में Tetley , 2007 में Corus , 2008 में Jaquar or Land Rover जैसी बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण किया।
Tata group ने देश के विकास में निरंतर भागीदारी दी है। देश के सबसे बड़े एक्सचेंज NSE और BSE के सॉफ्टवेयर TCS के द्वारा बनाये गए हैं। RBI और SBI के कोर बैंकिंग सिस्टम भी TCS के द्वारा नियंत्रित किये जाते हैं। इसके अलावा SEBI का सिस्टम भी टाटा के द्वारा ही बनाया गया है।
टाटा द्वारा बनाये गए सॉफ्टवेयर सिस्टम सिलिकॉन वैली से सिंगापुर तक 180 मिलीसेकंड में डाटा को ट्रांसफर करता है। टाटा का नेटवर्क दुनिया में फैला है।
टाटा स्टील 1930 से हमारे देश की 70% स्टील की पूर्ति करता है। कोलकाता के हावड़ा ब्रिज में 85% से अधिक स्टील को Tata Jamshedpur plant से लेकर लगाया गया है। देश जब दुनिया के आयत पर निर्भर था उस समय टाटा ने कृषि से लेकर रेलवे, मोटर गाड़ियों तक में अपने व्यवसाय को फैलाया। आज टाटा की विशालता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि boeing और airbus के हर मॉडल में टाटा की स्टील का उपयोग होता है। टाटा भारत के लिए इकॉनमी के रूप में रीड़ की हड्डी है। टाटा ने दुनिया की इकॉनमी को भी कनेक्ट कर रखा है।
भारत में विमुद्रीकरण के समय जब 2000 के नोट छापे गए तो उन्हें टाटा द्वारा डिज़ाइन फैक्ट्री में ही प्रिंट किया गया। टाटा आज दुनिया का सबसे बड़ा फाइबर नेटवर्क नियंत्रित करता है। 200 देशों का यह नेटवर्क दुनिया के 30% फाइबर नेटवर्क हिस्सा अकेले अपने पास रखे हुए है। लेह और कारगिल जैसी जगहों पर भी टाटा की ट्रांसमिशन लाइन की पहुंच है।
टाटा डिफेन्स और स्पेस के क्षेत्र में भी पीछे नहीं है । वर्ल्ड वॉर 1 के समय से ही टाटा ने इंडियन डिफेन्स को टाटा स्टील की पूर्ति की है। आज टाटा डिफेन्स में मल्टीकॉम्बेट ट्रांसपोर्टेशन के अलावा हथियारों की पूर्ति करने का भी प्रयास कर रहा है। देश की आर्टिलरी गन- पिनाका रॉकेट लांचर और प्रहार मोबाइल लांचर में टाटा का अहम् योगदान है। इसके अलावा मध्यम दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल में टाटा का योगदान है। इसके साथ हाल ही में टाटा ने लॉकहीड मार्टिन से F-16 साथ मिलकर बनाने के लिए समझौता किया है।
टाटा के यह प्रयास देश में रोजगार की वृद्धि तो करेंगे ही साथ ही उच्च गुणवत्ता वाली जटिल तकनीक को भारत के द्वारा प्राप्त किया जा सकेगा।
टाटा ने मंगल मिशन, GSLV और PSLV जैसे मिशन में भी योगदान दिया है। टाटा के द्वारा PSLV की क्षमता को बढ़ाने में मदद की गयी। आज के समय टाटा IIT के एग्जाम से लेकर गंगा सफाई तक की चुनौती से जुड़ा हुआ है। देश के महत्वपूर्ण परीक्षाओं को TCS के द्वारा ही कराया जाता है।
टाटा की सफ़लतों(Tata Success story) के बावजूद इस पर कई बार विवाद लगते रहे हैं। केरल सरकार ने वन सम्पदा को नुकसान पहुंचने के लिए टाटा पर आरोप लगाया था। टाटा नैनो के समय टाटा को अपने प्लांट को पश्चिम बंगाल से गुजरात में लगाना पड़ा था। टाटा आज लोगों के दिलों पर राज करता है। रतन टाटा आज देश के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक होते किन्तु यह अपनी आय का 60% दान कर देते हैं। टाटा के अच्छे चरित्र और उसकी कामयाबी का एक बड़ा कारण यह है कि यह अपने कर्मचारियों का हमेशा ख्याल रखता है जो कि टाटा के सफलता की कहानी(Tata Success story) असली कारण है।