Supreme Court Chief Justice, की नियुक्ति और हाल ही में पैदा हुए विवाद।

यह सर्वोच्च न्यायालय में अन्य जजों की तरह ही शक्ति लिए होते हैं। लेकिन इसके साथ ही इनको एक खास शक्ति और मिली हुई हैं- केस के एलोकेशन से संबंधित, कौन सा केस, किस जज की बेंच के पास जायेगा इसकी शक्ति सिर्फ Supreme Court Chief Justice के पास होती हैं।

Chief Jastice की नियुक्ति

संविधान में मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति के लिए अलग से कोई प्रावधान नहीं हैं। अनुच्छेद 124(1) के प्रावधान ही मुख्य न्यायमूर्ति पर लागू होते हैं। जिसमें सिर्फ इतना कहा गया है कि भारत का एक सर्वोच्च न्यायालय होगा जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश और जब तक संसद विधि द्वारा न्यायाधीशों की बड़ी हुई संख्या निर्धारित नहीं करती तब तक 7 से अधिक अन्य न्यायाधीश नहीं हो सकते। इससे स्पष्ट है कि 1 मुख्य न्यायमूर्ति तथा 7 अन्य न्यायाधीशों को मिलाकर कुल 8 न्यायाधीशों का प्रावधान था। अभी यह संख्या  मुख्य न्यायमूर्ति सहित 31 है।

अनुच्छेद 124(2) में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति का तरीका बताया गया है इसमें कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय और राज्यों के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों से राष्ट्रपति परामर्श करेंगें जिनसे राष्ट्रपति परामर्श करना उचित समझें, राष्ट्रपति अपने signature और  मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को नियुक्त करेंगें। इसमें कहीं भी CJI के बारे में नहीं कहा गया अर्थात Chief Justice of india के लिए एक परंपरा चली आ रही है जिसे माना जाता है।

कि Supreme Court का सबसे वरिष्ठ जज CJI बनेगा और यह वरिष्ठता उम्र के हिसाब से नहीं बल्कि Supreme Court में बिताये समय(अनुभव) के हिसाब से देखी जाएगी। अगर यह समान पायी जाती है तो High Court के अनुभव के हिसाब से देखा जायेगा। CJI और सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक ही पद धारण कर सकते हैं।

अभी हाल के वर्षों में Supreme Court Chief Justice से सवाल क्यों?

अभी हाल के वर्षो में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कुछ ऐतिहासिक फैशले दिए गए है जिस पर पूरे देश को गर्व है जैसे- ट्रिपल तलाक के विषय पर निर्णय, बेटियों को प्रॉपर्टी में समान अधिकार। किन्तु कुछ विवाद भी सामने आते है :-

विवाद

  • कुछ समय पहले Supreme Court के चार judges ने CJI की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े करे। इन चार jadges के साथ दीपक मिश्रा भी थे जो मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं जिनके राज्य सभा में प्रवेश करने पर सवाल खड़े किये गए।
  • Harley Davidson motorcycle के साथ  Chief justice S.A.Bobde का विवाद।
  • प्रशांत भूषण के द्वारा कोर्ट की अवमानना का केस।

ऐसे सभी मामले न्यायपालिका में जनता का भरोसा कम करते हैं। हाल के समय में ऐसा कोई न कोई विवाद सामने आता रहता है जिससे Supreme Court Chief Justice, media की खबरों में जगह बना लेते हैं। किसी भी व्यक्ति के लिए न्याय का अंतिम दरबार सर्वोच्च न्यायालय है किसी भी कारण से कोई ऐसा सन्देश नहीं जाना चाहिए जिससे सर्वोच्च न्यायालय और CJI की साख ख़राब हो। इसका ये मतलब कतई नहीं होना चाहिए कि freedom of speach को अवमानना के नाम पर दबा दिया जाये। इस संबंध में तार्किक अंतर होना चाहिए।

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