सरदार पटेल(Statue of Unity in Hindi)

नर्मदा नदी के किनारे गुजरात में सरदार पटेल की प्रतिमा(Statue of Unity in Hindi) बनी हुई है। इस प्रतिमा को साधु बेत नदी आइलैंड पर बनाया गया है। नर्मदा नदी गुजरात महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से होकर गुजराती है। यह नदी गुजरात और मध्यप्रदेश के लोगों के लिए जीवनदायनी मानी जाती है। सरदार पटेल की प्रतिमा नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर डैम के पास स्थित है, सरदार सरोवर डैम से प्रतिमा तक की दूरी मात्र 3.5 किलोमीटर है। इस प्रतिमा को सरदार सरोवर डैम की तरफ मुख करके बनाया गया है। Statue of Unity के निर्माण कार्य से गुजरात के इस क्षेत्र के लिए विकास की नयी संभावनाओं पैदा होने के अनुमान हैं।

गुजरता का यह क्षेत्र विकास के लिहाज से बहुत सम्पन्न क्षेत्र नहीं है। किन्तु इस प्रोजेक्ट की वजह से इस क्षेत्र में तेज़ी से विकास होने की संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र को सरकार के द्वारा टूरिस्ट प्लेस के रूप में बनाया जा रहा है। जिससे इस जगह पर स्थित लोगों और यहाँ के आदिवासी लोगों को अधिक फायदा होगा।

Statue of Unity in Hindi

सरदार पटेल की प्रतिमा statue of Unity की लम्बाई 182 मीटर है जो अभी तक की दुनिया में सबसे ऊँची प्रतिमा है। इस प्रतिमा के बनने से दुनिया में अब दूसरे स्थान पर चीन की प्रतिमा Spring Temple Of Buddha है। USA में स्थित Statue Of Liberty की लम्बाई 93 मीटर है। सरदार पटेल की यह प्रतिमा Statue of Liberty से लगभग दो गुना बड़ी है।

सरदार पटेल की मूर्ति के लिए गुजरात की सरकार के द्वारा एक ट्रस्ट(सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट) बनाया गया, इस ट्रस्ट का कार्य सरदार वल्लभभाई पटेल की कार्य प्रक्रिया की देखरेख करना था। मूर्ति को बनाने के लिए एकता ट्रस्ट के अंतर्गत ही Larsen & Toubro(L&T) कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिया गया। इस कम्पनी के द्वारा ही प्रतिमा को बनाने का कार्य Dec 2013 से शुरू किया गया जिसे मात्र 42 महीने में ही पूरा करना था। लेकिन कुछ अड़चनों की वजह से प्रोजेक्ट को 4 महीने और बढ़ाना पड़ा।

इस मूर्ति के निर्माण में 550 ब्रोंज प्लेट पैनल का इस्तेमाल किया जिन्हे चीन से मंगाया गया था। इस मूर्ति की समुद्र तल से 237.35 मीटर ऊंचाई है। इस प्रतिमा को इस हिसाब से बनाया गया है कि यह भूकंप और 60 मीटर/सेकंड की रफ़्तार से चलने वाली तेज़ हवाओं को भी झेल सकती हैं।

31 अक्टूबर 2018 को इस विशाल प्रतिमा को देश के लिए समर्पित कर दिया गया। इस प्रतिमा को बनाने में लगभग 3000 हज़ार करोड़ की लागत आयी। जिसमें 15 साल तक इसके मेंटेनेंस का खर्चा 657 करोड़ भी शामिल है।

टूरिस्ट के हिसाब से यहाँ एक श्रेष्ठ भारत भवन नाम से 3 स्टार होटल बनाया गया है। सरकार का प्रयास है कि दुनिया से यात्रियों को यहाँ लाया जाये। जिससे इस क्षेत्र के लोगों का आर्थिक रूप से विकास हो सके। इससे के साथ ही यहाँ आने वाले यात्री इस बात को जान सके कि किस प्रकार से इतनी बड़ी प्रतिमा का निर्माण किया गया है।

इस मूर्ति को बनाने के लिए सरकार के द्वारा एक अनोखा कार्यक्रम चलाया गया जिसमें किसानों को अपने औजार दान में देने के लिए कहा गया। इस कार्यक्रम के तहत अगर कोई किसान चाहे तो वह ऐसा कर सकता था। किसानों से प्राप्त लोहे को पिघलाकर इस प्रोजेक्ट में उपयोग में लाया गया।

सरदार पटेल की यह प्रतिमा यहाँ आने वाले हर भारतीय को आजादी के संघर्ष की याद दिलाएगी। स्वतंत्र भारत के गृहमंत्री एवं उप प्रधानमंत्री रहे सरदार पटेल ने आजादी के समय देश 562 रियासतों को एक किया। गाँधी जी ने सरदार पटेल के विषय में लिखा कि यह केवल तुम ही कर सकते थे। इसी लिए सरदार पटेल को भारत का बिस्मार्क भी कहा जाता है।

सरदार पटेल(Statue of Unity in Hindi) की यह प्रतिमा देश के गौरव और इस क्षेत्र की आर्थिक स्थिति दोनों के हिसाब से सराहनीय प्रयास है। सरकार इस क्षेत्र के विकास के लिए यहाँ एक कृषि अनुसंधान भी खोल रही है। हालाँकि अभी तक इस जगह से सरकार को टूरिस्म के लिहाज़ से उतना फायदा नहीं हुआ जिसकी उम्मीद की जा रही थी।

 

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