तमिलनाडु के हैदराबाद में रामानुजाचार्य (Statue of Equality in Hindi) जी की मूर्ति का निर्माण किया गया है। इस मूर्ति की लम्बाई 216 फ़ीट है। बैठने की मुद्रा में यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति है। इस मूर्ति को स्टेचू ऑफ़ इक्वलिटी के रूप में वर्णित किया गया है। रामानुजाचार्य की इस प्रतिमा की स्थापना हैदराबाद के बाहरी क्षेत्र में स्थित मुचिंतल गाँव में श्री चित्रा जीयर स्वामी आश्रम के 40 एकड़ के विशाल परिसर में की गयी है।
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स्टेचू ऑफ़ इक्वलिटी(Statue of Equality in Hindi)
इस प्रतिमा की स्थापना 11 वीं सदी के वैष्णव संत रामानुजाचार्य की 1000 वीं जयंती के मौके पर की गयी है। इस प्रतिमा का निर्माण चीन के एरोस्पन कॉर्पोरेशन द्वारा सोने, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता के संयोजन वाले पंचधातु या पंचलोहा से किया गया है।
इस प्रतिमा के लोकार्पण के लिए 5000 से अधिक वैदिक विद्वानों ने महायज्ञ किया। यह अपनी तरह का दुनिया का सबसे बड़ा यज्ञ हैं।
DNB Prashad इस प्रतिमा के मुख्य मूर्तिकार हैं।
रामानुजाचार्य कौन थे?
रामानुज का जन्म श्री परम्बुदुर(वर्तमान तमिलनाडु) में 1017 ईसवी में हुआ था। ये एक वैदिक दार्शनिक, समाज सुधारक और वैष्णव परंपरा के सबसे महत्वपूर्ण प्रतिपादकों में दुनियाभर में प्रशिद्ध हैं। इन्हे इलाया पेरुमल के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है- दीप्तिमान।
श्री रामानुजाचार्य का देहावसान 120 वर्ष की आयु में 1137 ईसवी में तमिलनाडु के श्रीरंगम में हुआ।
इसे स्टेचू ऑफ़ इक्वलिटी क्यों कहा गया?
रामानुजाचार्य लोगों के सभी वर्गों के बीच सामाजिक सरोकार के पैरोकार थे। उन्होंने मंदिरों को समाज में जाती या वर्ग की परवाह किये बिना सभी के लिए अपने दरवाजे खोलने के लिए प्रोत्साहित किया। यह ऐसा समय था जब कई जातियों को मंदिरों में प्रवेश करने के लिए मनाही थी। इन्होने शिक्षा को उन लोगों तक पहुंचाने का कार्य किया जो इससे वंचित थे। रामानुज का सबसे बड़ा योगदान “वसुधैव कुटुम्बकम” की अवधारणा का प्रचार है। जिसका अर्थ है- “पूरी धरती एक परिवार है”।
रामानुजाचार्य ने मंदिरों के मंचो से सामाजिक समानता और सार्वभौमिक भाईचारे के अपने विचारों का प्रचार करते हुए कई दशकों तक पूरे भारत की यात्रा की। उन्होंने सामाजिक रूप से हाशिये पर पड़े लोगों को गले लगाया और शाही अदालतों से उनके साथ समान व्यवहार करने को कहा। रामानुजाचार्य ने ईश्वर की भक्ति, करुणा, विनम्रता, समानता, और आपसी सम्मान के माध्यम से सार्वभौमिक मोक्ष की बात की, जिसे ‘श्री वैष्णव संप्रदाय के रूप में जाना जाता है।
वैष्णव संत चिन्ना जियर स्वामी के अनुसार Statue of Equality को रामानुजाचार्य के सामाजिक दर्शन पर पूरी मानवता को गले लगाने के सन्देश को फैलाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
श्री रामानुजाचार्य का महत्वपूर्ण योगदान
रामानुज ने भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया और उनके उपदेशों ने अन्य भक्ति विचारधाराओं को भी प्रेरित किया। जब रामानुज नवोदय युवा दार्शनिक थे तब से ही प्रकृति और उसके संसाधनों जैसे हवा, पानी और मिट्टी के संरक्षण की उनके द्वारा अपील की गयी। रामानुज को अन्नमाचार्य, भक्त रामदास, त्यागराज, कबीर और मीराबाई जैसे कवियों के लिए प्रेरणा और आदर्श माना जाता है।
इन्हे पूरे भारत में मंदिरों में किये जाने वाले अनुष्ठानों के लिए सही प्रक्रियाओं को स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है, जिनमें सबसे प्रसिद्ध तिरुमाला और श्रीरंगम हैं। रामानुज का प्रसिद्ध दर्शन विशिष्टाद्वैत के नाम से जाना जाता है इनके दर्शन ने शंकराचार्य के अद्वैतवाद दर्शन को कड़ी चुनौती दी। रामानुज के विशिष्टाद्वैत दर्शन के अनुसार जगत और जीवात्मा दोनों कार्यतः ब्रह्म से भिन्न हैं फिर भी वे ब्रह्म से ही उद्भूत हुए हैं और ब्रह्म से उनका उसी प्रकार का संबंध है जैसा कि किरणों का सूर्य से है। रामानुज के इस सिद्धांत में आदि शंकराचार्य के मायावाद का खंडन किया गया है। शंकराचार्य ने जगत को माया मानते हुए इसे मिथ्या बताया है, जबकि रामानुज ने अपने सिद्धांत में यह स्थापित किया है कि जगत भी ब्रह्म ने ही बनाया है परिणामस्वरूप यह मिथ्या नहीं हो सकता।
रामानुज ने वैदिक साहित्य को आम आदमी तक पहुंचाने का कार्य किया। श्री रामानुजाचार्य ने नव रत्नों या नौ ग्रंथों की भी रचना की थी। उनके सभी ग्रन्थ संस्कृत भाषा में हैं।
श्री रामानुजाचार्य के नव रत्न
वेदांत संग्रह – विशिष्टाद्वैत के सिद्धांतों को प्रस्तुत करने वाला एक ग्रन्थ
श्री भाष्य – वेदांत सूत्र का एक विस्तृत भाष्य
गीता भाष्य – भगवत गीता पर एक विस्तृत भाष्य
वेदांत दीप – वेदांत सूत्र पर एक संक्षिप्त टिप्पणी
वेदांत सार – नए लोगों के लिए वेदांत सूत्र पर संक्षिप्त टिप्पणी
शरणागति गद्यम – भगवान श्री नारायण के चरण कमलों के प्रति पूर्ण समर्पण की प्रार्थना
श्री रंग गद्यम – भगवान विष्णु के लिए आत्म समर्पण की नियमावली
श्री वैकुण्ठ गद्यम – श्री वैकुण्ठ लोक और मुक्त आत्माओं की स्थिति का वर्णन करता है
नित्य ग्रन्थ – यह भक्तों को दिन-प्रतिदिन की पूजा और गतिविधियों के बारे में मार्गदर्शन करने के लिए एक छोटी मार्गदर्शिका है
रामानुजाचार्य (Statue of Equality in Hindi) की प्रतिमा के बनने से इनकी शिक्षाओं के प्रसार को तो बल मिलेगा ही साथ ही इस क्षेत्र को धार्मिक टूरिज्म के तौर पर विकसित किये जाने में मदद मिलेगी।