देश की बदलती परिस्थितियों के साथ स्टार्टअप्स संस्कृति(Starup India Kya Hai) का विकास भी रफ़्तार पकड़ रहा है। इस संस्कृति को लोगों द्वारा अपनाये जाने के कई मायने हैं। जिनमें सरकार और समाज में जन्म ले रही परिस्थितियां समान रूप से शामिल हैं।
किसी भी समाज के लिए व्यवसाय एक महत्वपूर्ण गतिविधि है। यह अर्थव्यवस्था को आकार देने में लगातार योगदान देती है। किसी व्यापार को छोटे स्तर से शुरू करके असीमित स्तर तक बढ़ाया जा सकता है। व्यापार को बढ़ावा देने तथा छोटे स्तर के व्यापार(स्टार्टअप्स) को बढ़ावा देने के लिए इंडिया ग्लोबल फोरम की सालाना बैठकों का आयोजन किया जाता है। इस बैठक में छोटे व्यापारियों से लेकर बड़े उद्योगपतियों द्वारा भाग लेकर भारत में स्टार्टअप्स और उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विस्तार से चर्चा की जाती है।
इकनोमिक सर्वे 2021-22 के आंकड़ों में भारत के स्टार्टअप्स की स्थिति का आंकलन किया गया है। इस सर्वे के अनुसार वर्ष 2021 में 14000 स्टार्टअप्स को मान्यता प्राप्त हुई। इसके साथ ही भारत में यूनिकॉर्न की संख्या भी 83 हो गयी है। यूनिकॉर्न हब में अमेरिका और चीन के बाद भारत का तीसरा स्थान हो गया है। (यूनिकॉर्न- जिन स्टार्टअप्स कंपनियों का मूल्य 1 अरब डॉलर से ज्यादा होता है उन्हें यूनिकॉर्न कहा जाता है।)
भारत में 2021 में रिकॉर्ड 44 यूनिकॉर्न स्थापित हुए। इन घटनाओं ने आज के समय में स्टार्टअप्स को चर्चा का विषय बना दिया है।
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स्टार्टअप्स क्या है/स्टार्टअप्स इंडिया क्या है?
स्टार्टअप्स से तात्पर्य किसी व्यवस्याय के शुरुआती चरण से है। स्टार्टअप्स कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत पंजीकृत एक ऐसी निजी कंपनी होती है। जिसकी अस्तित्व अवधि 10 साल से कम तथा वार्षिक टर्नओवर 100 करोड़ रुपये से कम हो। हालाँकि पहले किसी कंपनी को स्टार्टअप्स माने जाने के लिए अस्तित्व अवधि 5 वर्ष टर्न ओवर सीमा 25 करोड़ रुपये थी। वर्तमान समय में दुनियाभर में लगभग 150 मिलियन स्टार्टअप्स मौजूद हैं और लगभग 50 मिलियन स्टार्टअप्स हर साल स्थापित किये जा रहे हैं
आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 में नए मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स की संख्या 14000 से अधिक हो गयी है। जो 2016-17 में केवल 733 थी। पिछले 10 वर्षों में स्टार्टअप्स की संख्या तेज़ी से बड़ी है। बेंगलुरु मुख्यरूप से स्टार्टअप्स हब के रूप में उभरा है। लेकिन महानगरों के अलावा कुछ छोटे शरह भी स्टार्टअप्स की दौड़ का हिस्सा बन रहे हैं। राज्यों की दृष्टि से देखें तो महाराष्ट्र में सबसे अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स मौजूद हैं।
भारत में कुल 83 यूनिकॉर्न मौजूद हैं। जिनका कुल मूल्य 277 अरब डॉलर है। भारत में बढ़ती स्टार्टअप्स की संख्या भारतीय अर्थव्यवस्था में भागीदारी को बढ़ाएगी। हालाँकि अधिकांशतः यूनिकॉर्न सेवा क्षेत्र में कार्यरत हैं
स्टार्टअप्स की भारतीय अर्थव्यवस्था में भूमिका
भारत में नौकरियों के सृजन और रोजगार के अवसर प्रदान करने में स्टार्टअप्स की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। स्टार्टअप्स ने लाखों बेरोजगार लोगों को नौकरियां प्रदान की हैं। चूंकि स्टार्टअप्स को एक सीमा से बड़ा बनाने के लिए निवेशकों की आवश्यकता पड़ती है। अतः निवेशकों से निवेश जुटाकर निवेशकों को भी लाभ मिल रहा है।
स्टार्टअप्स ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लघु उद्योगों को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। लघु उद्योगों के निरंतर विकास से अंततः शिक्षा, बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य जैसे विभिन्न विकाशसील क्षेत्रों को बढ़ावा मिलता है। इसी के साथ भारत में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम स्थापित कंपनियों को कड़ी प्रतिस्पर्धा देने के साथ कम कीमतों पर बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद बेचे जाते हैं। जिससे बिक्री में वृद्धि के साथ बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पादों का उत्पादन होता है। इन उत्पादों के इस्तेमाल से स्वास्थ्य में सुधार के साथ साथ जीवन स्तर में भी बदलाव होता है।
स्टार्टअप्स अपने उत्पादन में सुधार के लिए नवीन तकनीकों के विकास के साथ रचनात्मक कार्यों को भी बढ़ावा देते हैं। जो भारत के विकास के लिए आवश्यक है। भारत में विनिर्माण क्षेत्र में स्टार्टअप्स की महत्वपूर्ण भूमिका है जिससे उत्पादों और सेवाओं का निर्यात बढ़कर विदेशी मुद्रा को अर्जित करने में मदद मिलती है। स्टार्टअप्स संस्कृति का विकास वैश्विक रूप में भारत की भूमिका को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकता है। स्टार्टअप्स इकोसिस्टम किसी देश के समग्र आर्थिक विकास के लिए जरुरी कदम है। यह देश की GDP में वृद्धि करके आर्थिक विकास को बढ़ाने में मददगार हो सकता है।
स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करके घरेलु स्तर पर अधिक राजस्व उत्पन्न करना संभव है। एक इकाई से शुरू हुआ एक व्यवसाय विभिन्न प्रकार की इकाइयों में मांग सृजित करके अन्य उद्योगों के आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहित करता है। विश्वबैंक के मुताबिक आने वाले समय में भारत आर्थिक विकास के साथ सबसे अधिक तेज़ी से आर्थिक समृद्धि करने वाला देश बन सकता है।
स्टार्टअप्स के सरकार के द्वारा किये जा रहे प्रयास
आजादी के बाद से ही भारत का विनिर्माण क्षेत्र सरकारी नियंत्रण में रहा है। इस वजह से प्रतिस्पर्धा के अभाव में सीमित मात्रा में ही विकास हो सका। 1991 में नयी आर्थिक नीतियां अपनाने से विकास का कार्य शुरू तो हुआ लेकिन उसकी गति बहुत धीमी रही। लेकिन सरकार के द्वारा अभी के प्रयास विनिर्माण क्षेत्र को खड़ा करने में स्टार्टअप्स की भूमिका को साथ लिए हुए है।
सरकार का ‘स्टार्टअप्स इंडिया’ कार्यक्रम DPIIT(Department for Promotion of Industry and Internal Trade) के तहत शुरू की गयी एक प्रमुख पहल है। स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख प्रयासों में मुद्रा योजना, स्टैंड अप इंडिया योजना, मेक इन इंडिया, स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम आदि की शुरुआत की गयी है। DPIIT का मकसद स्टार्टअप्स के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम का विकास करना है। जो स्टार्टअप्स व्यवसायों के विकास के लिए अनुकूल होने के साथ स्थायी आर्थिक विकास को बढ़ावा दें और बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा करें।
10000 करोड़ के फण्ड से शुरू की गयी इस योजना से स्टार्टअप्स को पूंजीगत लाभ और टैक्स से छूट दी गयी है। इसके साथ सरकार के द्वारा कई अन्य लाभ भी दिए जा रहे हैं। जैसे- पेटेंट पंजीकरण में 80% की कमी करने, मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने, बौद्धिक सम्पदा अधिकारों की सुरक्षा आदि।
16 जनवरी को स्टार्टअप्स दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की गयी है।
स्टार्टअप्स के चुनौतियां
स्टार्टअप्स की सफलता दर बहुत कम है। अनुमान के मुताबिक 10 में से केवल एक उद्यम ही सफल हो पाता है। भारत में स्टार्टअप्स की विफलता का कारण उद्यमशीलता का विकास नहीं हो पाना है। इसमें लोगों का सरकारी नौकरियों की ओर झुकाव भी एक कारण है। भारत में शुरुआत से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया जाता है। शिक्षा में भ्रष्टाचार का बोलबाला है।
स्टार्टअप्स के विकास में वित्त की समस्या भी बड़ी बाधक है। ज्यादातर स्टार्टअप्स वित्त की समस्या के कारण बंद हो जाते हैं। कोरोना महामारी ने तो स्टार्टअप्स पर एकदम ग्रहण सा लगा दिया। इस महामारी ने बेरोजगारी को चरम पर पहुंचाया और यह समस्या देश और दुनिया के लिए बड़ी चुनौती बनी।
नए स्टार्टअप्स के लिए एक बड़ी चुनौती साइबर सुरक्षा है। नए व्यवसाय इतने सक्षम नहीं होते कि वह बड़े स्तर के साइबर हमले को रोक सकें। ऐसे में नए व्यवसाय साइबर हमलों का आसान शिकार होते हैं।
स्टार्टअप्स में एक बड़ी चुनौती यह भी है कि बहुत से स्टार्टअप्स केवल लाभ के मकसद से शुरू किये जाते हैं और उसके बाद बंद कर दिए जाते हैं। यह सीधे रूप में उपभोक्ताओं के साथ ठगी करते हैं। ऐसे स्टार्टअप्स को शुरुआत में ही पहचान पाना बेहद मुश्किल काम है। ऐसे बहुत से स्टार्टअप्स हैं जो बैंकों से कर्जा लेकर भाग जाते हैं। जिससे बैंकों के NPA में वृद्धि होती है।
स्टार्टअप्स की विफलताओं को पहचानकर उन्हें कम करने के प्रयास करने चाहिए व्यावसायिक शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण और लुभावना बनाने की आवश्यकता है। जो भी योजनाएं चलायी जा रही हैं उन्हें निरंतर रूप में मॉनिटर किया जाना चाहिए। भले स्टार्टअप्स(Starup India Kya Hai) की सफलता दर कम है फिर भी इन्हे प्रोत्साहन देते रहना चाहिए।