हर साल 1-7 अगस्त के बीच विश्व स्तनपान सप्ताह(World Breastfeeding Week) के रूप में मनाया जाता है। 2021 की थीम Protest Breastfeeding: A shared Responsibility रखा गया
UNICEF के द्वारा कहा गया है कि स्तनपान सबसे बेहतर तरीका है बच्चे के स्वास्थ्य और माता के स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए। और शुरुआती दिनों में बच्चे की वृद्धि और विकास के लिए माँ का दूध अत्यंत आवश्यक है। बच्चे के जन्म से 1 घंटे के अंदर स्तनपान अवश्य देना चाहिए और जब बच्चे की उम्र 6 महीने की हो जाती है तो बच्चे को स्तनपान के साथ साथ semi-solid और soft food देने चाहिए और ऐसा बच्चे के 2 वर्ष के होने तक करना चाहिए।
Lancet एक मेडिकल जनरल है। इसके अनुसार स्तनपान के माध्यम से ग्लोबल अर्थव्यवस्था में $300 बिलियन तक जोड़े जा सकते हैं। और हर साल लाखों बच्चों को मृत्यु से बचाया जा सकता है। उनकी बीमारी पर होने वाले खर्चे को रोका जा सकता है। इस वजह से मानव संसाधन से ग्लोबल इकॉनमी में भागीदारी बढ़ेगी।
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स्तनपान कराने के फायदे
- बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है। बीमारियां और किसी प्रकार के इन्फेक्शन, अलेर्जी, कैंसर आदि से सुरक्षा मिलती है। बच्चे के मानसिक विकास के लिए भी स्तनपान अत्यंत आवश्यक है।
- माता के लिए भी स्तनपान करना उतना ही फायदेमंद हैं जितना बच्चे के लिए, जब महिला गर्भवती होती है तो उस समय महिला पर मोटापा आ जाता है। किन्तु बच्चे को जन्म के बाद स्तनपान कराने से माता का वजन भी संतुलित होता है तथा स्तन कैंसर नहीं होता।
- अगर बच्चे का स्तनपान अच्छे ढंग से हुआ है तो डायरिया, मोटापे और साँस सम्बन्धी इन्फेक्शन नहीं होते। बच्चे का IQ(Intelligence quotient) भी अच्छा होता है।
स्तनपान कराने में चिंताएं
आज के आधुनिक परिवारों में माताओं के द्वारा बच्चो को स्तनपान कराने की परंपरा कम हुई है। माता के द्वारा बच्चे के लिए स्तनपान को महत्व नहीं दी जाती।
जन्म के 12 हफ़्तों तक बच्चे और माँ दोनों ही बहुत नाजुक स्थिति में होते हैं। जिसमें 14 दिन तक का समय तो स्तनपान की आदत लगते हुए लग जाता है। ऐसी स्थिति में पिता का कार्य महत्वपूर्ण रहता है। किन्तु इस स्थिति में पितृत्व अवकाश सिर्फ 15 दिन का ही मिल सकता है।
स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए पहल
स्तनपान को बढ़ाने और जागरूकता फैलाने के लिए World Alliance for Breastfeeding Action(WABA) को 1991 में शुरू किया गया। WABA ने 1992 में UNICEF के साथ मिलकर अगस्त के पहले सप्ताह को World Breastfeeding Week के रूप में मनाना शुरू किया।
भारत में 1992 में इससे सम्बंधित एक कानून बनाया गया, Infant milk substitute, feeding bottle and infant foods act-1992 .
सरकारों के द्वारा प्रसूति अवकाश(maternity leave) को बढ़ाने की बात कही जाती है जो अभी 26 हफ्ते है।
क्या किया जा सकता?
गांव के स्तर पर अभी जागरूकता की कमी है। माता-पिता को काउंसलिंग की सहायता से जागरूक किया जाना चाहिए। सरकार के द्वारा ब्रैस्ट मिल्क बैंक बनायीं जायें। माताओं को सरकार की तरफ से कुछ खास सुविधाएँ देनी चाहिए। पुरुष को मिलने वाले पितृत्व अवकाश को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 16 हफ्ते का करना चाहिए जो अभी 14 दिनों के लिए है। समाज में जागरूकता लाने के लिए हेल्थ वर्कर, मीडिया, NGO को साथ में आगे आना चाहिए।
भारत एक निम्न मध्यम आय वाला देश है। सरकार पहले से ही हेल्थ पर बहुत कम खर्चा करती है। अगर सरकार breastfeeding पर ध्यान देती है तो बहुत से बच्चों को बचाया जा सकता है। किन्तु इस विषय पर जानकारी केवल महिलाओं तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए। बल्कि पिता और परिवार के सदस्यों को भी जागरूक होना चाहिए। breastfeeding के लिए सामाजिक और पर्यावरणीय कारकों को भी ध्यान में रखना चाहिए। कोरोना महामारी के समय स्तनपान की दर में कमी आयी है किन्तु अब हालात ठीक होने के साथ ही ब्रेस्टफीडिंग में जागरूकता अभियान को बढ़ाया जा सकता है।