Space Tourism रोमांच और रहस्यों से जुड़ा

मनुष्य ने हमेशा से अंतरिक्ष में रुची ली है तथा ग्रहों तारों सूर्य आदि को वैज्ञानिक तरीके से इनके विषय को जानने का प्रयास किया है। जो आज भी ब्रह्माण्ड के अनेक रहस्यों को समेटा हुआ है।

अंतरिक्ष के क्षेत्र में मनुष्य द्वारा किये जा रहे प्रयासों का संकल्प उस समय और अधिक मजबूत हो गया जब नासा द्वारा भेजे गए वैज्ञानिक नील आर्म स्ट्रांग और उनकी टीम के द्वारा चाँद की सतह पर कदम रखा। इस प्रयास ने मनुष्य में यह एहसास जगाया कि भविष्य में एक समय ऐसा होगा जब विज्ञान और तकनीक की मदद से इंसान अंतरिक्ष के सफर के साथ उसके लिए दूसरे ग्रहों पर भी पहुंचना संभव होगा।

नयी जगहों की तलाश हमेशा ही रोमांच का विषय रहती हैं। चूँकि विज्ञान अब इतनी तरक्की कर चुका है तो अंतरिक्ष उत्पत्ति से जुड़ी पहेलियों में अब पर्यटन के अवसर भी तलाशे जा रहे हैं। इन्ही प्रयासों के चलते जापान के रईस बिजनेसमैन युशाकू मेजावा 12 दिनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन(ISS) पहुंचे। इस दौरान लोगों द्वारा सुझाये गए कार्यों को उनके द्वारा पूरा किया गया जिसमें बैडमिंटन खेलने को भी शामिल किया गया।

इस मिशन की अगुवाई रूसी अंतरिक्ष यात्री द्वारा की गयी।

Space Tourism क्या है?

यह एक नए प्रकार का टूरिज्म ही है। इसमें बस इतना अंतर है कि यात्री को धरती पर घूमने की जगह आसमान की यात्रा पर जाना होता है। स्पेस टूरिज्म में लोग अंतरिक्ष में मनोरंजन और घूमने के मकसद से जायेंगे। पहला स्पेस टूरिस्ट अमेरिकी रईस डेनिस टीटो को माना जाता है। जिन्होंने 2001 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 8 दिन बिताये थे। इसके लिए उनके द्वारा $2 करोड़ चुकाये गए थे। स्पेस टूरिज्म के क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों द्वारा तलाशे जा रहे अवसरों में स्पेस एडवेंचर्स, ब्लू ओरिजिन, वर्जिन गेलेक्टिक, स्पेस एक्स आदि प्रयास कर रहीं हैं। स्पेस टूरिज्म से जुड़े कंपनियों के ये अभियान इस क्षेत्र में विकसित हो रहे शुरुआती चरणों में से एक हैं। किन्तु फिर भी इसके मायने कई मायनों में खास है।

Space Tourism क्यों है खास ?

स्पेस टूरिज्म जो पहले केवल चर्चा का विषय था किन्तु अब हकीकत है। अब इससे कयास लगाए जा रहे कि एक समय आम लोग भी इससे रूबरू हो सकेंगे। स्पेस टूरिज्म से नवाचार को मदद मिलेगी। भविष्य में इस क्षेत्र में पैदा होती होड़ से नयी तकनीकों का विकास होगा। जिस प्रकार से परिवहन के लिए नए ईंधन विकल्पों की तलाश की जा रही है उसी तरह स्पेस के क्षेत्र में नई ईंधन विकल्पों को खोजना आवश्यक है। पूरी स्पेस इंडस्ट्रीज एक खर्चीला व्यवसाय है। जिसे कम करके इस क्षेत्र में टूरिज्म व्यवसाय को बढ़ाया जा सकता है।

अगर भविष्य में सुरक्षा के मानकों को पूरी तरह सुरक्षित करते हुए बेहतर और नए अंतरिक्ष यान बनाये जाते हैं तो इससे रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। अभी इस व्यवस्या की सबसे बड़ी कमी यह है कि केवल अमीर लोग ही इसके सफर का लुफ्त उठा सकते हैं। यह एक प्रकार से सामाजिक विषमता को दर्शाती है। हालाँकि एक अनुमान अनुसार मौजूदा मांग इसकी आपूर्ति से अधिक है।

चुनौतियां

इसमें सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अगर स्पेस के क्षेत्र में टूरिज्म को बढ़ाया जाता है तो इससे स्पेस कचरे के बढ़ने की समस्या बढ़ जाएगी। रॉकेट के ईंधन से ओज़ोन परत को नुकसान होगा। साथ ही स्पेस के सफर पर जाने वाले व्यक्तियों को खास तरह से तैयार किया जिया जाता है किन्तु फिर भी सूर्य की पराबैगनी किरणों से उनमें भविष्य में नए रोगों का खरता बना रहेगा।

स्पेस टूरिज्म से जुड़ा हुआ एक मुद्दा नैतिक भी है। कुछ लोगो का मानना है कि क्या स्पेस के क्षेत्र पर हमारा अधिकार है। पृथ्वी पर इंसानों के द्वारा पहले ही इतना अधिक नुकसान पहुंचाया गया है तो स्पेस की सुरक्षा को कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है। देशों तथा कंपनियों के मध्य स्पेस में पहुंचने की होड़ विकसित देशों को आगे पंहुचा देगी किन्तु गरीब और विकासशील देश इसमें पीछे रह जायेंगे। जो स्पेस के क्षेत्र में एक नए उपनिवेशवाद को जन्म देगी।

इसके साथ चुनौतियों में यह भी शामिल है कि सभी देश अंतरिक्ष का उपयोग केवल शांति और सहयोग स्थापित करने के लिए करेंगे। इसे जंग का मैदान नहीं बनने दिया जाना चाहिए।

भारत की स्पेस टूरिज्म में स्थिति

भारत में अंतरिक्ष शोध को बढ़ावा देने का कार्य ISRO का है तथा इसी के द्वारा स्पेस से जुड़ी हुई गतिविधियां की जाती है। भारत की दुनिया के स्तर पर स्पेस के क्षेत्र में हिस्सेदारी विश्व का केवल 2 प्रतिशत है और इस हिस्सेदारी को पाटने के लिए केवल इसरो(ISRO) पर्याप्त संस्था नहीं है। इसी लिए भारत में स्पेस के क्षेत्र में प्राइवेट संस्था (निजी क्षेत्र) की भागेदारी को तय किया जा रहा है। इससे आर्थिक लाभ के साथ रणनीतिक फायदे भी है।

भारत के लिहाज से स्पेस टूरिज्म(Space Tourism) एक गैर जरूरती काम लग सकता है किन्तु दुनिया के स्तर पर साथ ही तकनीक के स्तर पर संतुलन स्थापित करने के लिए यह जरुरी कदम है। भारत को स्पेस टूरिज्म से नयी चुनौतियां मिलेंगी जो उसे तकनीक के स्तर पर मजबूत करेंगी।

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