सागरमाला प्रोजेक्ट(sagarmala project in hindi) भारत के सम्पूर्ण तटीय क्षेत्र से जुड़ी एक महत्वपूर्ण परियोजना है। यह परियोजना हिन्द महासागर में भारत की स्थिति को मजबूत बनाती है। अगर भारत को एशिया में अपनी स्थिति को मजबूत रखना है तो हिन्द महासागर और अरब सागर के क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत रखना होगा। यह भारत के लिए आर्थिक और समुद्री सैन्य सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है। चीन की इस क्षेत्र में बढ़ती उपस्थिति भारत के लिए चिंता का कारण भी है।
सागरमाला प्रोजेक्ट भारत की 7500 किलोमीटर लम्बे तटीय क्षेत्र के बहुत सारे निर्माण प्रोजेक्टर बुनियादी ढांचे के विकास से सम्बंधित प्रोजेक्ट्स का नाम है।
सागरमाला परियोजना को 15 अगस्त 2003 को अटल बिहारी वाजपेयी के द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस परियोजना में गोवा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात शामिल हैं तथा केंद्रीय शिपिंग मंत्रालय इस परियोजना की नोडल एजेंसी के रूप में कार्य कर रहा है।
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सागरमाला प्रोजेक्ट की आवश्यकता क्यों?(sagarmala project in hindi)
समुद्री रसद सामग्री भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है। जो आयात निर्यात का 90% हिस्सा है। 2015 में भारत के 200 पोर्ट ने 1 बिलियन टन से ज्यादा का कार्गो भार सम्हाला था। इतनी बड़ी संख्या के बावजूद यह काफी नहीं था।
रसद सामग्री का खर्चा(Logistics Cost) भारतीय गैर सेवा सकल घरेलू उत्पाद(Indian non service GDP) का बहुत बड़ा हिस्सा है। जो विकसित देशों की तुलना में बहुत कम है।
भारत में आयात निर्यात के कंटेनर 700-1000 किलोमीटर का सफर तय करते हैं तब जाकर वह प्रोडक्शन हाउस से पोर्ट तक पहुंच पाते हैं। जबकि हमारे पड़ोसी चीन में यह दूरी 150-300 किलोमीटर की है। भारत में कंटेनरों को पहुंचाने में 7-17 दिनों का समय लग जाता है जबकि चीन में अधिकतम समय 6 दिन ही लगते हैं। भारत में एक बेहतर कनेक्टिविटी के न होने से पारगमन समय (transit time) बढ़ जाता है। इसकी वजह से logistic cost बढ़ जाती है।
इसका उपाय Maritime Logistics Sector के द्वारा किया जा सकता है। जिसके तहत बंदरगाहों और जहाजों को अर्थव्यवस्था में श्रेय देना होगा इसके साथ ही क्षेत्रीय विकास में भी सहयोग को जोड़ना होगा।
सागरमाला प्रोजेक्ट का उद्देश्य(sagarmala project in hindi)
इसका उद्देश्य बंदरगाहों के सम्पूर्ण विकास से सम्बंधित है साथ ही साथ Logistic Intensive Industries(रसद गहन उद्योग) को विकसित करना है। जिसमें transportation logistics costs(परिवहन रसद लागत) का बड़ा भाग शामिल है। रसद को समय में पूरा करने के लिए शहरों की बंदरगाहों से निकटता होना आवश्यक है। जिसकी वजह से cost cutting(लागत में कटौती) होना संभव है। जो कि प्रतियोगिता(competition) में भागीदारी को सुनिश्चित करेगी।
सागरमाला प्रोजेक्ट से आधुनिक पत्तन आधारभूत संरचना का विकास होगा। इसके साथ ही Multi-Model connectivity(सड़क मार्ग,वायु मार्ग,तथा समुद्री मार्ग) तीनों के माध्यम से यातायात को जोड़ा जायेगा। शहरों के साथ यातायात के संपर्क को बेहतर और तेज़ किया जायेगा। बंदरगाहों के विकास से तटीय क्षेत्र में बसे लोगों का अर्थव्यवस्था में सहयोग बढ़ेगा साथ ही लोगों सतत विकास सुनिश्चित होगा।
सागरमाला प्रोजेक्ट में जुड़े प्रमुख बिंदु(sagarmala project in hindi)
- रसद गहन उद्योग(logistic intensive industries)
- कुशल बंदरगाह(efficient port)
- निर्बाध कनेक्टिविटी(seamless connectivity): रूकावट रहित यातायात व्यवस्था
- अपेक्षित कौशल आधार(requisite skill base)
सागरमाला प्रोजेक्ट में जुड़े यह प्रमुख बिंदु भारतीय अर्थव्यवस्था को सच में ग्रोथ की ओर बढ़ाएंगे। 2016 में इन चारों बिंदुओं के अंतर्गत फ़ास्ट रेंज ऑफ़ प्रोजेक्ट खोजे गए। तथा बंदरगाहों का विकास होने से बंदरगाहों की स्थिति में क्रांतिकारी परिवर्तन आने की संभावनाएं हैं।
इसके अंतर्गत 12 प्रमुख बड़े बंदरगाह और 200 छोटे बंदरगाह शामिल हैं।
Centre for Financial Accountability की रिपोर्ट के अनुसार सरकार सागरमाला प्रोजेक्ट के साथ BLUE REVOLUTION(नीली क्रांति) लाने का प्रयास कर रही है। सरकार तटवर्ती क्षेत्रों की आबादी को नीली क्रांति के माध्यम से बुनियादी ढांचा परियोजना से जोड़ेगी ताकि कोस्टल कम्युनिटी को मजबूत किया जा सके।
एक अनुमान के अनुसार सागरमाला प्रोजेक्ट से 8 लाख करोड़ का निवेश आने की संभावना है। इस प्रोजेक्ट से निवेश के साथ साथ सम्पूर्ण तटीय क्षेत्र पर टूरिज्म की संभावनाएं बढ़ेंगी। सागरमाला प्रोजेक्ट के लिए कोई तय बजट नहीं है किन्तु सरकार के द्वारा इस पर 15 लाख करोड़ रूपये खर्च करने का अनुमान है। इसके अलावा 4 लाख करोड़ पहले से मौजूद पोर्ट के आधुनिकीकरण पर खर्च किये जायेंगे।
इस प्रोजेक्ट में नदियों को inland waterways के रूप में बनाया जायेगा। जिससे घरेलू रसद लागत(domestic logistics cost) की बचत होगी। भारत में ट्रांसपोर्ट कॉस्ट GDP का 18% है जो जो अन्य देशों की तुलना में बहुत अधिक है। बंदरगाहों का विकास जहाजों के आगमन के लिए, समुद्री यातायात से जुड़ने के लिए आवश्यक है। इसके बिना Make in India मुहिम को कारगर बना पाना मुश्किल है।
परियोजना का महत्व (sagarmala project in hindi)
राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य रिपोर्ट के अनुसार सागरमाला परियोजना के माध्यम से 2025 तक merchandise export में $110 बिलियन तक होने की उम्मीद है। इस परियोजना से 1 करोड़ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर जॉब पैदा होंगी जिसमें से लगभग 40 लाख जॉब प्रत्यक्ष रूप से पैदा होंगी।
अगर पोर्ट डेवलपमेंट की तुलना चीन से की जाती है तो चीन में 1978 के बाद से इस क्षेत्र में 7 मिलियन जॉब पैदा हुई शहरों की जीडीपी में 50 गुना तक वृद्धि देखी गयी। इसी प्रकार का अनुमान भारत के विकास में लगाया जा रहा है।
सागरमाला प्रोजेक्ट से समस्या (sagarmala project in hindi)
नेशनल फिशर वर्कर ग्रुप और नेशनल अलायन्स ऑफ़ पीपल मूवमेंट के द्वारा इस प्रोजेक्ट को विघटनकारी बताया है। National Fishworkers Forum(NFF) के द्वारा कहा गया है कि ऐसे प्रोजेक्ट बनते तो हैं किन्तु लोकल कम्युनिटी का इसमें ध्यान नहीं रखा जाता।
पर्यावरण के लिहाज से भी यह प्रोजेक्ट चिंताजनक हो सकता है। तटीय कटाव, तटीय अभिवृद्धि, समुद्र तल का निकर्षण जैसी समस्याएं भविष्य में देखी जा सकती हैं। ब्रिक बेल्ट से समुद्री लहरों में रूकावट हो रही है। जिससे मछुआरों को मछली पकड़ने में समस्या हो रही है।
2016 में बंदरगाहों पर 2 दिन की परामर्श बैठक हुई। जिसमें Enayam port के विषय में कहा गया कि इस पोर्ट की वजह से तटीय जनसँख्या अधिक जनसँख्या घनत्व वाले क्षेत्रों में पलायन हो रही है। उसी प्रकार vizhinjam port को प्राइवेट फर्म को दे दिया है। जो पुरे तटीय क्षेत्र को निगल रहा है, अडानी पोर्ट के कारण मैंग्रोव पर खतरा बढ़ रहा है।
एक्सपर्ट्स की मांग है कि सागरमाला प्रोजेक्ट के सभी पहलुओं पर गहराई से अध्ययन हो। क्यों कि ऐसा माना जा रहा कि इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, इकनोमिक कॉरिडोर, स्मार्ट सिटीज, PCPIR & सागरमाला प्रोजेक्ट indian coastline को नष्ट कर रहा है।
Security and Growth for all in the Region(SAGAR) प्रोजेक्ट को सागरमाला से तुलना किया जाता है। और कई का मानना है कि सागरमाला से ऊपर इस प्रोजेक्ट को रखना चाहिए। क्यों कि इस प्रोजेक्ट में लम्बी ग्रोथ दिखाई देती है। किन्तु यह तो भविष्य ही तय करेगा कि सागरमाला प्रोजेक्ट(sagarmala project in hindi) कितना किफायती साबित होता है।