Right to Information-RTI Act के 15 साल होने पर प्रासंगिकता/क्या सरकार ने RTI को कमजोर किया है?

भारत में RTI act को 2005 में लाया गया। 2020 में इसे 15 साल पूरे हो रहे हैं। सूचना का अधिकार कानून (Right to Information-RTI Act) को लाने में गरीब लोगों की अहम् भागीदारी रही थी RTI को लाने में, सरकार पर दवाब बड़ा जिसके बाद सरकार को RTI को लागू करना पड़ा।

RTI कानून के आने के बाद लोगों में विश्वास बड़ा है, उनको भी शक्ति मिली है कि वह सरकार, प्रशासनिक अधिकारीयों की जवाबदेही को तय कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी RTI को फंडामेंटल राइट(मूल अधिकार) माना हैं- आर्टिकल 19 के अंतर्गत। जो हर नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है।

सूचना का अधिकार कानून (Right to Information-RTI Act) है क्या?

Right to Information Act-RTI Act नागरिक को सरकार से प्रश्न पूछने का अधिकार देता है इसमें दस्तावेज, अभिलेखों, सारांश आदि कि प्रमाणित प्रतियों या सामग्रियों के प्रमाणित नमूनों कि मांग भी कि जाती है।

यहां सूचना से तात्पर्य ऐसी सामग्री से है जिसके अंतर्गत किसी इलेक्ट्रॉनिक रूप से धारित अभिलेख, आदेश, ज्ञापन, सलाह, प्रेस विज्ञप्ति, रिपोर्ट, कागज पत्र, आंकड़े, आदि से सम्बंधित सामग्री सम्मिलित हो साथ ही साथ किसी प्राइवेट निकाय से सम्बंधित ऐसी सूचना भी सम्मिलित हो, जिस पर विधि के अधीन किसी लोक अधिकारी की पहुँच हो सकती हो।

अधिकार में शामिल क्या है

अधिकार में शामिल है-

  1. दस्तावेजों एवं अभिलेखों का निरीक्षण
  2. दस्तावेजों या अभिलेखों का प्रमाणित प्रतिलिपि लेना
  3. सामग्री के प्रमाणित नमूने लेना
  4. फ्लॉपी डिस्क, टेप, वीडियो, के रूप में या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक रीति में सूचना लेना
  5. सूचना जिसके प्रकट होने से किसी न्यायालय की अवमानना हो

सूचना प्राप्त करने का तरीका

सूचना के अधिकार अधिनियम के अधीन सभी नागरिकों को सूचना प्राप्त करने का अधिकार होगा। जिसके तहत कोई व्यक्ति लिखित रूप में या इलेक्ट्रॉनिक रूप से, अंग्रेजी या हिंदी में अथवा क्षेत्र की राजभाषा में जिसमें आवेदन किया जा रहा हो। सूचना प्राप्त कर सकता है।

सूचना के अधिकार कानून का उद्देश्य

  • लोक प्राधिकारी के क्रियाकलापों में पारदर्शिता लाना एवं उनका उत्तरदायित्व बढ़ाना।
  • देश में एक केंद्रीय सूचना आयोग तथा राज्यों में राज्य सूचना आयोग का गठन करना।
  • इस अधिनियम द्वारा आम लोगों की पहुँच सरकार के पास जानकारी एवं प्राधिकारियों पर स्थित जानकारी तक पहुँचाना।
  • नागरिकों के सूचना के अधिकार की व्यवहारिक पद्धति स्थापित करना, जो सबकी पहुंच में आ सके।

सूचना का अधिकार कानून (Right to Information-RTI Act) के महत्वपूर्ण प्रावधान

  • इसके अनुसार प्रत्येक कार्यालय में अधिनियम लागू होने के 100 दिनों के भीतर आवश्यक जन सूचना अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी जो मांगे जाने पर सूचना देने के लिए जिम्मेदार होगा।
  • अधिनियम की धारा 4 के अनुसार प्रत्येक सरकारी कार्यालय अपने सभी रिकॉर्ड्स इस तरह वर्गीकृत तथा व्यवस्थित करेगा कि मांगे जाने पर कोई सूचना दी जा सके। अधिनियम लागू होने के 120 दिनों के भीतर वह अपने संगठन से सम्बंधित प्रमुख सूचनाएं( जैसे अधिकारीयों एवं कर्मचारियों के नाम, उनके अधिकार व उत्तरदायित्वा, कागजातों के प्रकार) को वेबसाइट के माध्यम से प्रकाशित करना होगा।
  • मांगी गयी सूचना किसी व्यक्ति के प्राण एवं स्वतंत्रता से सम्बंधित है तो 48 घंटे के भीतर, और यदि साधारण है तो 30 दिन के भीतर दिया जाना आवश्यक है।
  • अधिनियम की धारा 8 और 9 में ऐसे आधार हैं जिनके कारण किसी विशेष सूचना को देने से माना किया जा सकता है। किन्तु नागरिकों को ऐसे निर्णय के विरुद्ध निर्दिष्ट अधिकारी के समक्ष अपील करने का अधिकार होगा।
  • यदि बिना कारण सूचना देने से माना कर दिया जाये तो केंद्रीय सूचना आयोग सम्बंधित अधिकारी पर 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगा सकता है।
  • इसमें कहा गया कि किसी भी आदेश के विरुद्ध किसी भी न्यायालय में कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। जिसे न्यायालय के द्वारा असंवैधानिक घोसित करते हुए स्पस्ट किया गया कि न्यायिक पुनरावलोकन संविधान का मूल लक्षण है। जिसे किसी भी हालत में समाप्त नहीं किया जा सकता।

सूचना का अधिकार कानून (Right to Information-RTI Act) से लाभ

हर साल लगभग RTI एक्ट के अंदर 60 लाख RTI डाली जाती है यह पारदर्शिता से सम्बंधित दुनिया में सबसे अधिक उपयोग में लाये जाने वाला कानून है। ज्यादातर यह देखा जाता है कि जो RTI डाली जाती है वह देश के गरीब तबके से डाली जाती है। उनमें यह विश्वास है कि इस इस कानून के द्वारा उन्हें अपने बेसिक अधिकार प्राप्त होते हैं।

सरकार के द्वारा बहुत सी स्कीम चलायी जाती है लेकिन सरकार उन स्कीम के लिए पर्याप्त जवाबदेही तय नहीं करती है। जिससे लोग अपने हकों से वंचित रह जाते हैं। अभी कोरोना के समय में भी बहुत से लोगों ने RTI डाली यह पता करने के लिए हॉस्पिटलों की हालत किसी है, दवा उपलब्ध हो रही है या नहीं, बेड्स है या नहीं।

साधारण तोर पर अधिकारीयों के द्वारा जवाब दिया ही नहीं जाता किन्तु RTI के अंदर सरकारी जवाबदेही तय होती है। RTI के कारण ही यह संभव हुआ है कि हमारे देश कि 130 करोड़ की जनता मुखबिर और ऑडिटर बन गयी है।

सूचना का अधिकार कानून (Right to Information-RTI Act) को कमजोर करने के पक्ष में

सरकार के द्वारा लगातार प्रयास किया गया है RTI Act को कमजोर करने के लिए। 2019 में RTI कानून में एक संशोधन किया गया जिसके तहत इनफार्मेशन कमिशनर्स जो फाइनल निर्णायक अधिकारी है RTI के उल्लंघन को देखने के लिए, के पद को कमजोर करने का प्रयास किया गया है।

इसमें सरकार के द्वारा इनफार्मेशन कमिसनर की सैलरी, कार्यकाल को निर्धारित किया जा सकता है। यह एक तरह से इनफार्मेशन कमिसनर पर दवाब बनाने के लिए किया गया है- सरकार के खिलाफ कोई ऐसी सूचना न दे जो सरकार के खिलाफ हो। 2014 के बाद से जितने भी इनफार्मेशन कमिसनर अपॉइंट हुए हैं वह कोर्ट के आदेश के बाद हुए है। सुप्रीम कोर्ट ने डायरेक्शन भी दी सरकार को लेकिन सरकार मानने के लिए तैयार ही नहीं है।

देश भी देश में 11 केंद्रीय इनफार्मेशन कमिसनर की पोस्ट में से 6 पोस्ट खली पड़ी हुई हैं। और भी तो चीफ इनफार्मेशन कमिसनर की पोस्ट भी खली पड़ी हुई है। ऐसा 6 साल में 5 वीं बार है कि पोस्ट खली पड़ी हुई है। अगर स्टेट कि बात करें तो 8 स्टेट ऐसे हैं जहाँ बिना इनफार्मेशन कमिसनर के काम हो रहा है जिसमें झारखण्ड और त्रिपुरा की स्थिति तो मरणासन है।

ऐसी स्थिति में सूचना का अधिकार कानून(RTI) कैसे काम करेगा। कहते हैं कि सवाल ही डेमोक्रेसी का हॉलमार्क है। कहने का तात्पर्य है कि डेमोक्रेसी में बहुत जरुरी है ज नता का सरकार से प्रश्न पूछना। अगर इस कानून को कमजोर किया जाता है तो डेमोक्रेसी की जो नीव है उस पर प्रहार किया जा रहा है। सरकार चाहती ही नहीं है की सरकार से सवाल किये जाये।

 

 

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Gender gap
General

जेंडर गैप(Gender gap) को पाटने की पहल

Gender gap: हाल ही में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने महिला क्रिकेटरों के लिये समान वेतन की घोषणा की है। यह बोर्ड की तरफ से उठाया गया जिम्मेदारी भरा कदम है। 21 वीं सदी में लोग महिला और पुरुषों के बराबरी की बात तो करते हैं, पर ऐसा बातों के अलावा कहीं और दिखाई […]

Read More
coral reef in hindi
General

कोरल रीफ क्या है? संकटग्रस्त में कैसे (Coral Reef in Hindi)

Coral Reef in Hindi: ऑस्ट्रेलिया की पर्यावरण समूह की क्लाइमेट कॉउंसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार ग्रेट बैरियर रीफ ( The Great Barrier Reef) एक व्यापक विरंजक घटना का सामना कर रही है। वर्ष 1998 के बाद से यह रीफ की छठी ऐसी व्यापक विरंजन घटना थी। यह रिपोर्ट वर्ष 2016 से 2020 तक पिछली […]

Read More
ondc in hindi
General

ONDC क्या है(ONDC in Hindi)?

ONDC क्या है?(ONDC in Hindi): बढ़ते हुए बाजार में ऑनलाइन इंटरनेट यूजर के द्वारा ऑनलाइन बाजार की सम्भावनायें तेज़ी से विकसित हो रही हैं जो कि e-commerce बिज़नेस के नाम से जानी जाती है। इस क्षेत्र में amazon , flipkart , myntra जैसी कुछ चुनिंदा कंपनियों का ही प्रभुत्व है। e-commerce इंडस्ट्री के वर्चस्व को […]

Read More