केंद्र सरकार ने कोरोना के पश्चात् PLI scheme को शुरू किया जो एक सार्थक कदम है मेक इन इंडिया प्रोग्राम एवं डिजिटल भारत के सपने को साकार करने के लिए। चीन की स्थिति को देखते हुए परिस्थतियाँ कुछ हद तक भारत के फेवर में कार्य कर रही हैं।
कोरोना से पहले भी चीन में कई महामारी पैदा हुई जिनकी वजह से कम्पनीज को भी नुकसान झेलना पड़ा।
अभी PLI स्कीम के चलते लगभग 22 कम्पनीज ने रजिस्ट्रेशन किया जिनके द्वारा $1.5 billion का निवेश करने की उम्मीद जताई गयी है। अभी तक 16 कंपनियों को अनुमति मिल चुकी है। इसमें से 10 मोबाइल निर्माता कंपनी हैं और बाकि की 6 इलेक्ट्रॉनिक्स कम्पोनेंट बनाने वाली कंपनी हैं।
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PLI scheme है क्या?
नेशनल पॉलिसी ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक्स के तहत इस स्कीम को जारी किया गया है। इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के द्वारा 1 अप्रैल 2020 के बाद PLI scheme को अधिसूचित किया गया। इस स्कीम में कहा गया है कि अगर कोई कंपनी भारत में आकर इलेक्ट्रॉनिक्स कम्पोनेंट को बनती है जिसमें मोबाइल फ़ोन का निर्माण भी शामिल है तो उस कंपनी को 4-6% तक का प्रोत्साहन दिया जा जायेगा।
16 कंपनियों में शामिल कौन-कौन है?
इसमें विदेशी कंपनियों में SUMSANG , FOXCONN (यह एप्पल के प्रोडक्ट्स का निर्माण करती है), RISING STAR , WISTRON , PEGATRON(asus के प्रोडक्ट बनाये जाते हैं)
दुनिया में 60% से अधिक आय मोबाइल फ़ोन के जरिये SAMSUNG और APPLE इन दो कंपनियों के द्वारा ही किया जाता है।
अगर भारतीय कंपनियों की बात करे तो यह 5 कम्पनियाँ लिस्ट में हैं। LAVA , BHAGWATI(Micromax) , PADGET ELECTRONICS(Subsidiary of Dixon Technologies(MI के फ़ोन भारत में बनाती है)) , UTL NEOLYNCS(Karbonn Manufacturer) , OPTIEMUS ELECTRONICS(Blackberry के phones को भारत में बनाती है)
यह 10 कंपनी हैं जो भारत में electronics & mobile उत्पादन को बढ़ायेंगी। इसके अलावा 6 कंपनी ऐसी हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स कम्पोनेंट के क्षेत्र में कार्य करती हैं। इनमें शामिल हैं – AT&S , ASCENT CIRCUITS , VISICON , WALSIN , SAHASRA और NEOLYNC .
भारत को फायदे
इस स्कीम के तहत कहा गया है कि यदि कोई कंपनी 15000 या उससे ऊपर के मोबाइल फ़ोन बनाना चाहती है तो उसके लिए कुछ नियम बनाये गए है।
अगर वह विदेशी मोबाइल कंपनी है तो उस कम्पनी का समेकित वैश्विक विनिर्माण राजस्व(consolidated global manufacturing revenue) आधार वर्ष (base year) में 10000 करोड़ से अधिक होना चाहिए।
अगर वह कम्पनी घरेलु है तो तो उस कम्पनी का समेकित वैश्विक विनिर्माण राजस्व(consolidated global manufacturing revenue) आधार वर्ष (base year) में 100 करोड़ से अधिक होना चाहिए।
स्कीम के मुताबिक यह कार्य पांच साल तक चलेगा जो 1 जुलाई 2020 से 2025 तक है। जिसमें 10.5 trillion रूपये तक प्रोडक्शन होने का अनुमान है। इस उत्पादन का 60% से अधिक निर्यात किया जायेगा। इस स्कीम से लगभग 3 लाख जॉब पैदा होगी जो रोजगार की समस्या को कुछ हद तक कम करेगा एवं स्कीम के लिए 11000 करोड़ अलग से निवेश करने का भी विचार है।
कंपनियों द्वारा भारत में निवेश
एप्पल सप्लायर फोक्सकोन कंपनी के द्वारा भारत में $1 billion की निवेश करने का अनुमान है। साथ ही साथ भारतीय कम्पनीज (lava, micromax) कुछ साल से भारतीय बाजार में अपनी पकड़ को कायम रखने में कमजोर साबित हुई है अब वह फिर से वापस बाजार में आने की तैयारी कर रही है।
micromax कंपनी के अनुसार R&D पर 500 करोड़ खर्च किया जा रहा है। पूरे देश में micromax के सर्विस सेंटर पहले से ही मौजूद हैं। प्रोडक्शन लाइन भी पहले से ही तैयार है। इस आधार पर उसे बाजार में वापिस आने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी होगी। हाँ इस बात पर अवश्य ध्यान देना होगा कि जिस टेक्नोलॉजी के साथ भारत में वापस बाजार बनाने का प्रयास है वह आज के अनुसार दूसरी कंपनियों को टक्कर देने में सक्षम हो।
जिस प्रकार की खबर है उस आधार पर micromax IN series में मोबाइल को लांच करने वाली है।
इसी प्रकार से LAVA कंपनी भी अपनी प्रोडक्शन लाइन को चीन से छोड़, भारत में लगाने पर विचार कर रही है। यहाँ पर LAVA के द्वारा 800 करोड़ R&D पर खर्च किया जायेगा।
एक अनुमान के मुताबिक भारत में भविष्य में मोबाइल उपभोक्ताओं की मांग में भारी इजाफा होने की उम्मीद है उस मांग को पूरा करने के लिए भारतीय कंपनियों के द्वारा “Local ke liye Vocal” स्लोगन को मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है। अभी भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन उत्पादक देश है। कोरोना के समय भारत की चीन पर निर्भरता ने अधिकांश बाजार को ठप्प कर दिया था ऐसे में सरकार के द्वारा PLI scheme को लाना सही कदम था। सरकार का प्रयास है कि चीन पर भारत की निर्भरता को कम किया जाये।