देश में पेट्रोल डीज़ल के दाम(petrol diesel prices) लगातार बढ़ते ही जा रहे, और यह कई राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र के शहरों में 100 का आंकड़ा भी पार कर चुके हैं।
ऐसा आज तक पहले कभी नहीं देखा गया कि तेल की कीमते इतनी ऊंचाई पर गयी हों। ऐसा तब से अधिक देखने में आया है जब से पेट्रोल डीज़ल के दामों को नए तरीके से लागू करना शुरू किया गया।
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पेट्रोल डीजल के दाम(petrol diesel prices) बढ़ने का कारण क्या है?
इसके कई कारण हो सकते हैं। एक कारण यह भी हो सकता है कि कोरोना के समय में सभी व्यावसायिक गतिविधियां बंद हो गयी थी। और पेट्रोल और डीजल की मांग भी बहुत कम हो गयी थी। इस कारण घरेलू बाजार और दुनिया के अन्य देशों में , तेल निर्यातक देशों में भी तेल के दाम कम हो गए। अब जैसे जैसे फिर गतिविधियां सामान्य होती जा रही। कोरोना की दवा लोगों तक पहुँचती जा रही। लोग फिर से सामान्य स्थिति में आ रहे हैं। इसी कारण मांग पहले से भी अधिक तेज़ी से बढ़ रही है।
देश में टैक्स सिस्टम भी एक कारण है। 2020 के शुरुआत में केंद्र सरकार के द्वारा जो excise duty लगायी जाती थी वह 20 रुपये प्रति लीटर के लगभग थी, पर अभी 32.98 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से लग रही है। वहीँ राज्य सरकार भी vat tax को बढ़ती घटाती रहती है।
अगर सभी टैक्स को मिलाजुला कर देखें तो oil के base price पर 180% तक टैक्स लगाया जाता है। अगर अन्य देशों से तुलना की जाये तो भारत में लोग लगभग 13% अधिक पैसा दे रहे हैं वहीं ब्राजील, चीन जैसे देश 1 से 20% तक कम पैसा दे रहे हैं।
वहीँ सऊदी अरब के द्वारा कहा गया है कि वह अपने क्रूड आयल प्रोडक्शन को धीमे धीमे कम करेगा। मिडिल ईस्ट में टेंशन के चलते भी तेल की कीमते बढ़ रही हैं।
पेट्रोल डीजल के दाम(petrol diesel prices) बढ़ने में सरकार का तर्क
सरकार का कहना है कि global crude oil market में दाम 50% से अधिक बढ़ चुके हैं जो $63.3 per बैरल को भी पार कर चूका है। इसी कारण oil retailers भी petrol and diesel price बढ़ाते जा रहे।
किन्तु सरकार की इस बात में पूरी तरह सच्चाई नहीं है। क्यों कि भारतीय उपभोक्ता crude oil price के मुकाबले पहले से ही कई गुना ज्यादा कीमत दे रहे हैं। ऐसा इसलिए कहना सही है कि पिछले वर्ष जनवरी माह में क्रूड आयल के प्राइस इस वर्ष के क्रूड आयल के प्राइस से ज्यादा ही था फिर भी पेट्रोल और डीजल के दाम इतने अधिक ऊंचाई पर नहीं पहुंचे थे।
सरकार का यह भी कहना है कि हमारे देश में पेट्रोल और डीजल के दाम decontrolled है जिसका सामान्य सा अर्थ है कि ग्लोबल क्रूड आयल के प्राइस अगर बढ़ते हैं तो हमारे देश में भी प्राइस बढ़ेगें। अगर यही प्राइस ग्लोबल मार्किट में घटेगें तो देश में भी प्राइस घटेगें।
किन्तु ऐसा असल में देखने को नहीं मिल रहा। सरकार के द्वारा decontrolled के विषय में जैसा कहा जाता है। वैसा किया नहीं जा रहा। जब ग्लोबल बाजार में क्रूड आयल के रेट बढ़ते हैं तो, तेल के दाम बढ़ाये तो जाते हैं किन्तु जब तेल के दाम कम होते हैं तो, देश में तेल के दामों में कमी नहीं की जाती। इसका मतलब यह हुआ कि कथनी और करनी में समानता नहीं है।
सरकार ऐसा कर क्यों रही?
पेट्रोल और डीजल को अभी तक सरकार के द्वारा GST के अंतर्गत नहीं रखा गया। इस वजह से केंद्र और राज्यों के द्वारा पेट्रोल और डीजल पर टैक्स को बढ़ाया जा सकता है।
कोरोना के समय में बाजारू गतिविधियां बंद हो जाने से सरकार की आय में कमी हो रही थी। विकास के कार्य भी सुस्त अवस्था में थे। इस प्रकार की स्थिति में दुनिया के तेल निर्यातक देशों के क्रूड आयल के रेट बहुत गिर गए। किन्तु देश में उस स्थिति में भी तेल के दामों को कम नहीं किया गया। ऐसा सरकार के द्वारा सरकारी खजाने को बरकरार रखने के लिए किया गया।
सरकार के द्वारा 82 दिनों तक पेट्रोल और डीजल के दामों को थाम दिया। किन्तु बाद में फिर से सरकार के द्वारा क्रूड आयल के दाम बढ़ने पर एक्साइज ड्यूटी को लगातार बढ़ाते गए।
पेट्रोल डीज़ल के दाम(petrol diesel prices) का नकारात्मक असर क्या होगा?
देश में सबसे बड़ी समस्या inflation(मुद्रास्फीति) की रहती है। पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने से महंगाई तो बड़ी है किन्तु जानकारों के अनुसार इन्फ्लेशन दर को सही स्थिति में बताया जा रहा है।
ये अवश्य है कि जिन लोगों के द्वारा ट्रेवलिंग अधिक की जाती है। उनकी पॉकेट पर भार अधिक बढ़ रहा है।
अगर इस बार मानसून सही तरह से नहीं आता तो कृषि पर भी पेट्रोल और डीजल के दाम का असर दिखाई देगा। किसानों को सिचाई के लिए डीजल की मांग बढ़ेगी। जिस कारण कृषि पर खर्चा बढ़ जायेगा।
इस समय पेट्रोल डीजल के दाम(petrol diesel prices) ऑयल मार्केटिंग कंपनियां के द्वारा रोजाना(daily bases) के हिसाब से तय किये जाते हैं। जिस कारण पेट्रोल और डीजल के दामों में प्रति दिन के हिसाब से उतार चढ़ाव होता रहता है। जो अभी तो लगातार बढ़ ही रहा है और सरकार इसे रोकने का प्रयास नहीं कर रही।