दुनिया में व्यापार परिवहन के लिए सबसे सस्ता साधन जल परिवहन है। इसी प्रयास में पनामा नहर(panama nahar) के निर्माण में अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ा गया।
समुद्री मार्गों में सबसे अधिक व्यस्त जल परिवहन वाला क्षेत्र उत्तरी अटलांटिक महासागर है। दुनिया में सबसे अधिक व्यापार इसी समुद्री मार्ग के माध्यम से किया जाता है।
पनामा नहर(panama nahar) की आवश्यकता क्यों?
पनामा नहर(panama nahar) के बनने से पहले किसी समुद्री जहाज को न्यूयोर्क से सानफ्रांसिस्को पहुंचने के लिए, उसे पूरे दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप को पार करके पहुंचना पड़ता था। जिस कारण अतिरिक्त समय और यात्रा पर होने वाला खर्च अधिक होता था। एवं मॉल की कीमत में भी बढ़ोत्तरी हो जाती थी।
इस समस्या को दूर करने के लिए कैरेबियन सागर में स्थित पनामा नामक देश से नहर को बनाने का कार्य शुरू किया गया। पनामा देश को चुनने का मुख्य कारण यह था कि, इस देश के दोनों छोरों के बीच की चौड़ाई(अटलांटिक महासागर से प्रशांत महासागर के बीच) बेहद कम है जो एक स्थान पर मात्र 80 KM ही बचती है एवं इसके मध्य में Gatun lake है। इस कारण दोनों तरफ से नहर के निर्माण में कम दूरी तय करनी पड़ती है।
पनामा नहर(panama nahar) के निर्माण में समस्या?
पनामा नहर(panama nahar) को पहाड़ों को काट कर बनाया जा सकता था। किन्तु यह तकनीकी और भौगोलिक दोनों रूप से बहुत जटिल कार्य था। दूसरा उपाय पहले की तुलना में आसान था। क्यों कि दूसरे तरीके में, इस प्रोजेक्ट के बीच में झील थी जिसकी वजह से इस प्रोजेक्ट में सफलता के आसार दिख रहे थे।
पनामा देश में स्थित Gatun Lake की ऊंचाई अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर के स्तर से ऊपर है। जमीनी स्तर हमेशा समुद्री स्तर से ऊपर होता है। उसी तरह पनामा की जमीन पर यह झील स्थित है। नहर के निर्माण के लिए झील को गहरी किया गया ताकि जहाज निकल सके। साथ ही Gatun lake के दोनों तरफ की ऊंचाई समुद्री सतह से अधिक थी। इस चुनौती के समाधान के लिए एक लॉक सिस्टम बनाया गया।
जिसे झील के दोनों तरफ बनाना था। इस लॉक सिस्टम में झील के एक तरफ 3 चैम्बर बने हैं। जिनके द्वारा जहाज को ऊपर उठाकर Gatun lake तक पहुंचाया जाता है। इस प्रक्रिया में सबसे पहले जहाज को पहले चैम्बर में लाया जाता हैं। फिर जहाज को ऊपर उठाने के लिए चैम्बर में पानी भरा जाता हैं। इन चैम्बरों में पानी भरने के लिए विशाल जलाशय(Reservoir) बनाये गए हैं। जिनके द्वारा पानी चैम्बर में भेजा जाता हैं। पहले चैम्बर में पानी का जल स्तर उतना ऊपर किया जाता हैं कि, वह अगले चैम्बर के जलस्तर के बराबर हो जाये। फिर जहाज को क्रेन(mules) की मदद से खींचकर अगले चैम्बर में कर देते हैं। जहाज को खीचनें के कारण जहाज का संतुलन बरकरार रहता हैं। अन्यथा संकरी जगह पर जहाज के टकराने का खतरा बना रह सकता हैं।
उसके बाद यही प्रक्रिया अगले चैम्बर के साथ दोहराई जाती है। तीसरे चैम्बर के बाद जहाज को लेक में उतार दिया जाता है। उसके बाद जहाज लेक में खुद आगे जा सकता है। किसी भी जहाज को पनामा नहर से गुजरते समय दो बार(नहर में चढ़ते समय और नहर से उतरते समय) लॉक सिस्टम से गुजरना होता हैं।
जब जहाज को नहर में पहुंचना होता हैं तो उस स्थिति में चैम्बरों में पानी को भर दिया जाता हैं। और जब जहाज को नहर से समुद्र में उतारा जाता है तब चैम्बर में से पानी के स्तर को कम किया जाता हैं।
पनामा नहर से जुड़े अन्य फैक्ट
पनामा नहर की लम्बाई 320 मीटर हैं और चौड़ाई 34 मीटर की हैं। इसका मतलब साफतौर पर यह हैं कि इससे बड़ी लम्बाई और चौड़ाई के जहाज यहां से नहीं गुजर सकते। शुरुआत में इस नहर को बनाने का कार्य फ़्रांस के द्वारा लिया गया किन्तु बाद में फ़्रांस इस प्रोजेक्ट से दूर हो गया। फिर इस प्रोजेक्ट को अमेरिका के द्वारा पूरा किया गया।
यह प्रोजेक्ट अमेरिका के लिए सबसे जरुरी था। अमेरिका के एक कौने से दूसरे कौने तक पहुंचने के लिए पहले 15 दिन लगते थे जिसे नहर बनने के बाद 10 घंटे में पूरा कर किया जा सकता हैं।
इस नहर को बनाने में 21000 मजदूरों की जान चली गयी। 1914 में यह नहर पूरी तरह बनके तैयार हो गयी।
यह नहर पनामा की कमाई का मुख्य आधार है। पनामा इस नहर से गुजरने वाले जहाजों से टोल टैक्स लेता है। एक कंटेनर पर $90 बसूल किया जाता है। किसी भी जहाज पर हजारों की संख्या में कंटेनर होते हैं। जिस कारण प्रति जहाज से करोड़ों की संख्या में टोल लिया जाता है। उसी प्रकार किसी भी क्रूज शिप से भी टैक्स लिया जाता है। एक क्रूज शिप पर लगभग 4000 लोग रहते है। और एक व्यक्ति से $150 टैक्स लिया जाता हैं। जिस कारण एक क्रूज शिप से भी करोड़ों में टैक्स बसूल लिया जाता हैं।
एक अनुमान के अनुसार पनामा नहर(panama nahar) से पनामा को प्रति वर्ष 51000 करोड़ रूपये की कमाई होती हैं।