ONDC क्या है(ONDC in Hindi)?

ONDC क्या है?(ONDC in Hindi):

बढ़ते हुए बाजार में ऑनलाइन इंटरनेट यूजर के द्वारा ऑनलाइन बाजार की सम्भावनायें तेज़ी से विकसित हो रही हैं जो कि e-commerce बिज़नेस के नाम से जानी जाती है। इस क्षेत्र में amazon , flipkart , myntra जैसी कुछ चुनिंदा कंपनियों का ही प्रभुत्व है। e-commerce इंडस्ट्री के वर्चस्व को इस बात से जाना जा सकता है। कि 2018 में एक्सपोर्ट लगभग 20 बिलियन डॉलर था जो बढ़ाकर 2027 तक 200 बिलियन डॉलर हो जाने का अनुमान है। यह भारत की 5 ट्रिलियन इकॉनमी के सपने को साकार करने में सहायक सिद्ध होगा।

आज हमारे देश में Amazon टॉप पर e-commerce बाजार के रूप में उपस्थित है। उसके बाद Flipkart और Myntra का नाम सामने आता है। 2020 में किये गए सर्वे के अनुसार lockdown के समय e-commerce कंपनियों की बिकवाली में भारी इजाफा देखने को मिला। इसके अलावा UPI पेमेंट, Internet की हाई स्पीड ने भी लोगों को ऑनलाइन प्लेटफार्म से जुड़ने में तेज़ी से मदद की है।

2018 तक e-commerce retail market ने प्रत्येक उपभोक्ता से लगभग 50$ कमाया। जिसे 2024 तक 75 डॉलर हर व्यक्ति तक पहुचाये जाने का अनुमान है। किन्तु इस पुरे मार्किट में एक बात देखी गयी कि कुछ चुनिंदा प्लेटफार्म ही पूरी मार्किट को काबू किये हुए हैं। इसमें भी खास बात यह है कि कंपनियों द्वारा उपभोक्ताओं को वही दिखाया जा रहा है जो कंपनियां उन्हें दिखाना चाहती थी।

ONDC की शुरुआत(ONDC in Hindi)

इसी समस्या को देखते हुए 31 dec 2021 को सरकार के द्वारा ONDC को एक (Non-Profit) Company की तरह स्थापित किया गया है। Quality Council Of India में  DPIIT द्वारा ONDC को इंडिया में e-commerce व्यवसाय को लोकतान्त्रिक बनाने के लिए लाया गया है।

ONDC को कामयाब करने के लिए 9 सदस्यों की एक टीम बनायीं गयी है। जिनमें कुछ जाने माने नाम यहां उपस्थित हैं।

  • Nandan Nilekani
  • RS Sharma(National Health Authority , CEO)
  • Adil Zainulbhai(Chairman of QCI)
  • Anjali Bansal(Avaana Capital Foundation)
  • Arvind Gupta(Co-founder of Digital India Foundation)

देश में e-commerce बिज़नेस में कुछ ही कंपनियों की मोनोपोली को देखते हुए सरकार का प्रयास है कि e-commerce बिज़नेस को ईमानदार प्रतियोगिता के अंतर्गत लाया जाये। जहाँ हर छोटा या बड़ा ऑपरेटर एक दूसरे के साथ बराबरी से बाजार का हिस्सा बन सके। इसके अलावा सरकार डिजिटल मार्किट के नियंत्रण को बढ़ाकर छोटे व्यवसायियों और ट्रेडर्स को इंडिया के बड़े क्षेत्रफल में अपनी पहुंच बढ़ाने में मदद करना चाहती है।ONDC की मदद से सरकार देश को एक विकल्प देना चाहती है।

29 अप्रैल को दिल्ली एनसीआर, भोपाल, शिल्लोंग, कोयम्बटूर, बेंगलुरु में इसे पायलट प्रोजेक्ट की  तरह शुरू किया गया है। ONDC की शुरुआत के साथ ही सरकार ने उपभोक्ताओं के साथ इसके उद्देश्य को साझा किया गया। सरकार के द्वारा कहा गया कि ONDC को non-platform centric की तरह बनाया गया है। ONDC ऑनलाइन कंस्यूमर्स की डिमांड पास के सप्लाई सेंटर से पूरी करेगा। इस प्लेटफार्म की मदद से उपभोक्ता किसी भी app या प्लेटफार्म से प्रोडक्ट एवं सर्विसेज को ले पाएंगे। जिससे real freedom of choice मिलेगी।  खरीदार और विक्रेता दोनों बिना किसी e-commerce portal से जुड़े ONDC पर भुगतान की प्रक्रिया को पूर्ण कर सकेंगे। 

ONDC के सामने दिक्कतें(ONDC in Hindi)

ONDC एक बार पूरे देश में शुरू होने के बाद भारत की सभी e-commerce कंपनियां एक प्लेटफार्म पर कार्य करने लगेंगी। किन्तु कई बड़े संस्थानों ने सरकार के इस कार्य का विरोध किया है। ऐसा करने के पीछे ONDC से जुड़ने के लिए सभी संस्थानों को तकनीकि स्तर पर कार्य करना होगा जिसमें इन सस्थानों पर अतिरिक्त खर्च बढ़ेगा।

बिज़नेस के इस नए मॉडल में e-commerce से जुड़े हुए सभी कंपनियां शामिल होंगी। सरकार के इस प्रयास को समझते हुए  20 से ज्यादा सरकारी और प्राइवेट संस्थानों ने 2.55 बिलियन रूपये की इनवेस्टमेंट सुनिश्चित की है। इस इनवेस्टमेंट में SBI , PNB , HDFC , KOTAK BANK , अनेक नाम शामिल हैं।

इकनोमिक टाइम के अनुसार आज लगभग 80 फर्म्स ONDC(ONDC in Hindi) के प्लेटफार्म से मार्किट प्लेयर्स को जोड़ने में लगी हुई हैं। ये फर्म आज खरीदार, विक्रेता, logistics Platform , payment gateways के लिए सॉफ्टवेयर और एप्लीकेशन बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में Nandan Nilekani(chairman of Infosys) का नाम सबसे ऊपर है। इनके अनुसार e-commerce सेक्टर में ONDC एक बड़े बदलाव के रूप में सामने आएगा।

सरकार का प्रयास  छोटे व्यवसायियों को भी ऑनलाइन मार्किट से जोड़ना है। ताकि वह भी बढ़ते हुए ऑनलाइन बाजार में अपनी स्थिति को बरकरार रख सके। e-commerce व्यवसाय में मौजूद कंपनियां भारी मात्रा में डिस्काउंट देकर कंस्यूमर्स को अपनी ओर आकर्षित करने में कामियाब हो जाते हैं जिसकी वजह से परंपरागत बाजारों को हानि हो रही है।

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