OBC आरक्षण(Obc Reservation in hindi) पर दोनों सदनों से पास हुआ बिल

OBC आरक्षण(Obc Reservation in hindi) को मंडल कमीशन के द्वारा लाया गया। तो उसे इंद्रासाहनी VS यूनियन ऑफ़ इंडिया केस में चुनौती दी गयी। यहां पर बोला गया कि मंडल कमीशन के द्वारा 27% कोटा OBC के लिए सरकारी जॉब और उच्च शिक्षा के लिए दिए जा सकते हैं। ये सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी जाती हो सकती है।

OBC आरक्षण में बदलाव(Obc Reservation in hindi)

सरकार के द्वारा राज्यों को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने की शक्ति के विषय बिल में बदलाव किया जा रहा है।

OBC आरक्षण की पृष्ठभूमि(Obc Reservation in hindi)

अभी हाल ही 5 मई 2021 को उच्चतम न्यायालय के द्वारा मराठा आरक्षण पर फैसला दिया गया। जिस फैसले में मराठा आरक्षण को रद्द कर दिया गया। यहाँ पर उच्चतम न्यायालय द्वारा तर्क दिया गया कि आरक्षण के 50% की सीमा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। इसके लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा 1992 के मंडल कमीशन को आधार बनाया। उच्चतम न्यायालय द्वारा यह साफ कर दिया गया कि किसी भी ऐसे निर्णय को स्वीकार नहीं किया जायेगा जो मंडल कमीसन के निर्णय की अवहेलना करता हो।

मंडल कमीशन को इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ मामला भी कहा जाता है। इस मामले में कहा गया कि OBC को 27% का आरक्षण दिया जाना चाहिए। जिसके लिए बी पी मंडल की अध्यक्षता में एक कमीशन गठित किया गया। इस कमीशन के द्वारा यह सिफारिश की गयी कि OBC को 27% आरक्षण दिया जाये। इस सिफारिश को ही उच्चतम न्यायालय द्वारा स्वीकृति दे दी गयी।

मराठा आरक्षण को रद्द करते समय उच्चतम न्यायालय द्वारा यह भी कहा गया कि 102 वें संविधान संशोधन अधिनयम के तहत यह बात साफ हुई कि केंद्र सरकार ही सामाजिक और शैक्षणिक रूप में पिछड़ी जाती के लिए कार्य कर सकती है। इसके लिए राज्य सरकार के पास कोई शक्ति नहीं है।

केंद्र सरकार के द्वारा इसी सन्दर्भ में 127 वें संविधान संशोधन लाने की बात कही गयी है। जिसके तहत पहले से मौजूद 102 वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत स्थित आर्टिकल 338 B , 342 A , 366(26 C), में 127 वें संविधान संशोधन द्वारा परिवर्तन किया गया है। ताकि राज्य की शक्तियों का भी उल्लेख किया जा सके।

127 वां संविधान संशोधन विधेयक में जोड़े गए भाग

आर्टिकल 338 B(9) : भारत संघ और प्रत्येक राज्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए कोई भी यदि व्यापक पालिसी बनाना चाहता है तो उसके लिए उसे कमीशन से परामर्श लेना होगा। कमीशन से तात्पर्य NCBC(राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग) से है। इस स्थिति में राज्य को NCBC से परामर्श लेना होगा। राज्य की इस स्थिति को स्पष्ट करते हुए 127 वें संविधान संशोधन के तहत स्पष्टीकरण जोड़ा गया है। जिसमें कहा गया है कि-

आर्टिकल 338 B(9) में जो बाते कहीं गयी हैं वह आर्टिकल 342 A के भाग 3 पर लागू नहीं होंगी।

आर्टिकल 342 A में क्या कहा गया ?

आर्टिकल 342 A(1): राष्ट्रपति भारतीय संविधान के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए  किसी भी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के मामले में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों को निर्दिष्ट(उल्लेखित) करेंगे। किन्तु इस प्रावधान को अब बदला गया है। जिसमें राष्ट्रपति केंद्र सरकार अथवा केंद्रीय सूची(central list) के परिपेक्ष में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए संविधान में परिवर्तन करेंगे।

आर्टिकल 342 A(2): इस आर्टिकल में कहा गया है कि संसद के द्वारा सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग को केंद्रीय सूची(central list) में शामिल किया भी जा सकता है और हटाया भी जा सकता है।

आर्टिकल 342 A के भाग 1 और 2 का उद्देश्य, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए जो केंद्र सूची तैयार की जाती है। उसके उद्देश्यों की पूर्ति के सन्दर्भ में ही इन दोनों भागों को देखा जायेगा। जिसमें राज्य का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।

आर्टिकल 342 A(3): इसे संविधान संशोधन 127 के तहत जोड़ा गया है। जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि आर्टिकल 342 A के भाग 1 और 2 के तहत कोई भी बात रहते हुए प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने स्तर पर एक राज्य सूची बना सकते हैं। जिसके लिए उन्हें NCBC आयोग से परामर्श लेने की आवश्यकता नहीं होगी। इस आधार पर 338 B(9) में कही गयी बात को यहां पलट दिया गया है।

आर्टिकल 366 में बदलाव

इस आर्टिकल में परिभाषा के सन्दर्भ में बदलाव किये गए हैं। जिसमें 366 26C के तहत सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग को केंद्र सरकार, राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश के परिपेक्ष में देखा जायेगा।

संविधान संशोधन प्रक्रिया(Obc Reservation in hindi)

आर्टिकल 368 में इसका उल्लेख है। इस बिल को विशेष बहुमत के द्वारा पारित किया गया है। विशेष बहुमत के लिए संसद के दोनों सदनों में बहुमत(सदन की कुल सदस्य संख्या के आधे से एक अधिक) होना चाहिए साथ ही सदन में उपस्थित सदस्यों का 2/3 बहुमत प्राप्त होना चाहिए।

विशेष बहुमत में कम से कम आधे राज्यों के राज्य विधान मंडलों का समर्थन भी प्राप्त होना चाहिए किन्तु इस संविधान संशोधन में इसकी आवश्यकता नहीं है। यदि विषय संघात्मक ढांचे से सम्बंधित हो तब इसका पालन किया जाना आवश्यक है।

सरकार का मत(Obc Reservation in hindi)

आर्टिकल 15(4), 15(5) और 16(4) में राज्यों को यह शक्ति है कि राज्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के उन्नयन के लिए कार्य करे। ऐसे में यदि राज्यों को शक्ति नहीं दी जाती है तो इन आर्टिकल के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं होगी।

देश में संघात्मक ढांचे के लिहाज से भी यह आवश्यक है। साथ ही OBC वर्ग के प्रोत्साहन के लिए लिए भी ऐसा करना चाहिए।

OBC वर्ग के आरक्षण को लेकर विश्लेषक वर्ग का मानना है कि जल्द ही कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं जैसे उत्तर प्रदेश, मणिपुर, उत्तराखंड, पंजाब। इन राज्यों में OBC वोट बैंक का प्रतिशत आंकड़ा बहुत अधिक है।  जिसके चलते सरकार OBC आरक्षण के माध्यम से वोट बैंक में लाभ लेने का प्रयास कर रही है।

OBC आरक्षण (Obc Reservation in hindi) में बदलाव से संघ और केंद्र शासित प्रदेशों की शक्ति बढ़ेगी। जिससे राज्य सामाजिक न्याय की अवधारणा को मजबूती प्रदान कर सकेंगे।

 

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