नीति आयोग के द्वारा लिटिल अंडमान(Little Andaman) द्वीप पर एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार किया गया है। जिसके अनुसार लिटिल अंडमान को भारत के सिंगापुर के रूप में बनाया जायेगा। भौगोलिक स्थिति के अनुसार अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह को 10 डिग्री चैनल मध्य से अलग करता है।
पिछले 50 साल से भारत सरकार अंडमान और निकोबार आयरलैंड को विकसित करने का प्रयास कर रही है। ऐसा करके भारत के नेशनल इंट्रेस्ट पूरे हो सकते हैं। इसमें सबसे बड़ी बाधा, यह भारत की मुख्य भूमि से अधिक दूर हैं। वहीं म्यांमार और बांग्लादेश से इसकी दूरी कम है।
किन्तु नीति आयोग के द्वारा एक नया प्लान लाया गया है जिसमें लिटिल अंडमान(Little Andaman) के sustainable development(सतत विकास) की बात कही गयी है।
लिटिल अंडमान(Little Andaman) के लिए चरणबद्ध प्लान
लिटिल अंडमान का कुल क्षेत्रफल 675.16 sq.km का है। इसको Zone में अलग करके बसाया जायेगा।
- Zone 1 – Financial District + Medical City
इस जोन में मल्टीटैलेंटेड ऑफिसर्स को नियुक्त किया जायेगा। यहां एयरपोर्ट, होटल्स बनाये जायेंगे साथ ही एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाया जायेगा। प्लान में इस जगह पर एक बड़ा हॉस्पिटल बनाने की बात कही है जहाँ रिसर्च और डेवलपमेंट पर कार्य हुआ करेगा। इसे एक प्रकार से सिंगापुर की तर्ज पर Eco tourism एवं medical tourism के रूप में विकसित किया जायेगा।
- Zone 2 – Leisure
इस जोन में एक फिल्मसिटी को बसाया जायेगा, साथ ही वॉटरस्पोर्ट, ड्रामा इंस्टिट्यूट, स्पोर्ट कॉम्प्लेक्स बनाये जायेंगे। इसके अलावा लोगों के रहने के लिए रेसिडेंस क्षेत्र बसाये जायेंगे एवं यात्रियों के एक टूरिस्ट इकोनॉमिक जोन बनाया जायेगा।
- Zone 3- Nature
इस जोन में एक Nature Cure Institute बनाया जायेगा। यह फारेस्ट रिसोर्ट और nature healing district की तरह होगा। इस क्षेत्र में अंडर वाटर रिसोर्ट होंगे, Beach Hotels and Residential Vilas बनाये जायेंगे।
इस प्रोजेक्ट में समस्या एवं निवारण
यह एक लम्बा प्रोजेक्ट है। जिसको पूरा होने में 40-50 साल लगेंगे। इस प्रोजेक्ट को बनाने के लिए कुशलतम कार्य प्रणाली को लगाना होगा। यह प्रोजेक्ट south china sea में चीन के द्वारा बनाये जा रहे कृत्रिम द्वीपसमूह के समान खर्चीला है।
सरकार इसे financial medical tourism hub की तरह बनाना चाहती है। लेकिन जानकर यह मानते हैं कि इस जगह को Eco Tourism Hub की तरह बनाया जाये तो अधिक फायदा उठाया जा सकता है।
लिटिल अंडमान आयरलैंड पर 70365.2 हेक्टेयर का Forest क्षेत्र है। जिसमें से 20540 हेक्टेयर क्षेत्र सीधे तोर पर इस प्रोजेक्ट से प्रभावित होगा। यह ऐसा क्षेत्र है जो किसी भी प्रकार के ह्यूमन डेवलपमेंट से जुड़ा नहीं है। यहां ऐसी प्रजातियां और पौधे हैं, जो केवल यहां पाए जाते हैं। इस प्रोजेक्ट से उनके नष्ट हो जाने का खतरा है। एक अनुमान के अनुसार, यहां 2500 से अधिक फूल वाले पौधे हैं। जिनमें 233 ऐसे हैं जो केवल यही पर पाए जाते हैं। यहां 5100 प्रकार के animal species पायी जाती हैं। अगर डेवलपमेंट कार्य होता है तो उम्मीद है कि प्राकृतिक लिहाज से बड़ा नुकसान हो।
1970 में यहां palm oil plantation किया गया था जिसे बाद में बंद कर दिया गया। जानकर कहते हैं कि इसे टूरिज्म के हिसाब से फिर से तैयार करना चाहिए।
सरकार को मालदीव से सीखने चाहिए। मालदीव इंडियन ओसियन में tourism Hub बना हुआ है। उसकी इकॉनमी का मुख्य आधार टूरिज्म है। यह भी एक बेहतर उपाय हो सकता है कि भारत सरकार Eco Tourism Hub की तरह लिटिल अंडमान को बनाये न कि सिंगापुर की तर्ज पर।
अभी अंडमान में हर साल लगभग 3 लाख यात्री पहुंचते हैं। यदि इसे ट्रेवल और टूरिज्म के हिसाब से बनाया जाये तो यह संख्या 10 लाख से अधिक पहुंच सकती है। नीति आयोग द्वारा जो प्लान तैयार किया गया है उसमें इस बात को नहीं बताया गया कि, इसमें वहाँ की लोकल कम्युनिटी को कितना लाभ होगा। यह इतना अधिक बड़ा प्लान है कि इसके रिजल्ट 30-40 साल बाद ही देखने को मिलेंगे।
नीति आयोग के प्लान के इतर देखें तो, यह जगह ऐसी है, जिसे प्राकृतिक और कला संस्कृति के नजरिये से सहेज कर रखना चाहिए। सरकार के द्वारा लिटिल अंदमान(Little Andaman) को लेकर कोई कदम उठाये जाने से पहले, फायदे और नुकसान के विषय पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए।