Nanotechnology kya hai?/Nanotechnology Applications और उससे जुड़ी जानकारी

इस आर्टिकल में Nanotechnolgy kya hai? इसके लाभ-हानि, उपयोग एवं इसमें किस प्रकार से प्रगति हुई है, आदि के विषय में जानने का प्रयास किया गया है, आज के समय में nanotechnolgy से सम्बंधित वस्तुओं से हम घिरे हुए हैं। किन्तु इसके विषय में हमे साधारण तौर पर जानकारी नहीं होती। किन्तु इस तकनीक का व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर है।

Table of Contents

नैनो तकनीक क्या है?(Nanotechnology kya hai)

Nanotechnology defination- को सही शब्दों में पिरो पाना मुश्किल है साधारण भाषा में हम इसे ऐसे समझने का प्रयास करते हैं,- ऐसे पदार्थ या कण जो हमें आँखों से दिखाई नहीं देते हो। जिन्हे विज्ञान की भाषा में  (10−9  मीटर ) के आकर में लाकर अध्ययन किया जाता हो ऐसी तकनीक को नैनो प्रौद्योगिकी का नाम दिया जाता है।

Nano Technology में नैनो आकर के कणों को नियंत्रित तरीके से जोड़कर विभिन्न प्रकार के उत्पादों के निर्माण में किया जा सकता है। यह भिन्नता पदार्थ के अपने रूप और गुणों से एकदम अलग होती है। Nano Scale पर किसी भी पदार्थ के भौतिक और रासायनिक गुणों, परमाणु या अणु के स्तर पर अलग हो जाते है। उदाहरण के लिए तांबा एक अपारदर्शी धातु है किन्तु नैनो स्तर पर पारदर्शी रूप में आ जाता है।

 Top-down and Bottom-up technology क्या है?

नैनो प्रौद्योगिकी में नैनो स्तर के निर्माण के लिए टॉप-डाउन एवं बॉटम-अप की तकनीकों का प्रयोग किया जाता है।

टॉप-डाउन तकनीक में किसी बड़ी संरचना को ऊपर से नीचे की तरफ नैनो स्तर पर लाया जाता है। इस तकनीक में सबसे बड़ी चुनौती संरचना के निर्माण में सटीकता को लेकर होती है। वहीं अगर बॉटम-अप तकनीक में बात करें तो नीचे से ऊपर की तरफ कार्य किया जाता है अर्थात अणु या परमाणु को एक एक करके जोड़ते हुए किसी बड़ी संरचना का निर्माण किया जाता है। टॉप-डाउन तकनीक खर्चीली तकनीक है इसलिए बॉटम-अप तकनीक को कुशल रूप से प्रयोग करने के प्रयास किये जा रहे हैं। जो  अधिक किफायती साबित होगी।

Nano Matter(नैनो पदार्थ) क्या हैं?

ऐसा पदार्थ जिसकी संरचनात्मक घटक 100 नैनो मीटर से कम आयाम(dimension) की हो। नैनो पदार्थ एक आयाम से लेकर बहुआयामी तक बनाये जा सकते हैं। जैसे नैनो तार (दो आयामी), वर्षा की बूंदें (त्रिआयामी), नैनो क्रिस्टलीय पदार्थ भी इसी श्रेणी में आते हैं। ऐसा नहीं हैं कि नैनो कण केवल मानव निर्मित हैं यह प्रकृति में भी व्यापक रूप से फैले हुए हैं, जैसे फोटोरासायनिक अभिक्रिया, पौधो और शैवालों द्वारा निर्मित प्रक्रिया। और मानवी प्रदूषण में भी नैनो कणों का निर्माण होता है।

Some Important Nano Products(कुछ महत्वपूर्ण नैनो उत्पाद)

Carbon Nano Tube(कार्बन नैनो ट्यूब)

कार्बन नैनो ट्यूब ताप दाबित परतों की विस्तारित नलिका होती है। ये दो तरह कि होती है- एकल भित्ति(एक ट्यूब) और बहु भित्ति(कई ट्यूबों से बानी होती है।) ये यांत्रिक रूप से हीरे से भी अधिक कठोर होने के बावजूद इलेक्ट्रिसिटी की सुचालक होती है।

Fullerene (फुलेरीन)

यह कार्बन का बहु उपयोगी जटिल रूप है जो एक hexagonal or pentagonal structure का निर्माण करता है। फुलेरीन कार्बन-60 परमाणुओं से बना गोलाकार समूह है। यह रासायनिक रूप से स्थायी एवं अक्रियाशील होते हैं। इससे बनायी गयी संरचना को तोड़ने के लिए अत्यधिक तापमान(लगभग 1000 डिग्री सेल्सियस) की जरुरत होती है।

Micro Lens(माइक्रो लेंस)

स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिको ने मानव बाल के 1/10 आयतन वाले माइक्रो लेंस तैयार किये हैं, जो एक अकेली कोशिका में अवरक्त अवशोषण को माप सकते हैं।

Nanotechnology Applications ( नैनो प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग)

Information & technology (सूचना एवं संचार)

सूचना तंत्र में उपयोग से devices को और भी अधिक जटिल बनाया जा सकता है जिससे उनकाआकार को भी छोटा किया जा सकेगा। कार्बन नैनो ट्यूब का प्रयोग पिक्चर ट्यूब में करने से ऊर्जा के उपयोग को कम किया जा सकता हैं।

consumer products(उपभोक्ता उत्पाद)

खाद्य वस्तुओं की पैकिंग में प्रयुक्त होने वाले उपकरणों में नैनो टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा सकता है। वस्त्र उद्योग में Nano Fibes का उपयोग करके, ultravoilate rays से बचने के लिए आदि सभी में नैनो बहुलको का प्रयोग किया जा सकता है।

Nano Technology in Medical(चिकित्सा के क्षेत्र में नैनो प्रौद्योगिकी)

विभिन्न प्रकार के गंभीर रोगों की पहचना के लिए नैनो टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जा रहा है। जैसे अल्जाइमर, कैंसर,। चोट लगने पर घाव को भरने के लिए सिल्वर के नैनो पार्टिकल युक्त पट्टी को घाव पर लगाने से घाव में जल्दी आराम मिलता है। वैज्ञानिकों द्वारा नैनो पार्टिकल चिप पर कार्य किया जा रहा है इनके द्वारा किसी भी बीमारी का जल्दी से जल्दी पता लगाया जा सकेगा।

नैनो बोट्स या बायोमेम्स(Nano Bots or Biomems) ये ऐसे मैकेनिकल प्रोब हैं, जो रोगों की पहचान कर निदान में सहायक होगें। ये रक्त प्रवाह के साथ गमन कर,  बीमारियों को तलाश कर लच्छित तरह से दवा पंहुचा पाएंगे। ऐसा करने से हमें सिर्फ उस खास बीमारी वाले हिस्से में दवा पहुंचाने की आवश्यकता होगी न कि पूरे शरीर को। यद्यपि इसके लिए अभी वैज्ञानिकों को बहुत अधिक शोध की आवश्यकता होगी।

हालाँकि इस तकनीक के रिजल्ट भी मिलने लगे हैं, इस तकनीक के आधार पर लगभग 7 नैनो मीटर लम्बा बोट्स बनाया गया। जिसको शरीर में पंहुचाकर इन्सुलिन की पूर्ति की जा सकेगी। ये नैनो बोट्स पार्किंसन रोग से पीड़ितों के मस्तिष्क में डोपामीन की खुराक भी पंहुचा सकते हैं। वैज्ञानिक ऐसे बोट्स पर भी लगे हुए हैं जो रोगी कोशिकाओं को पकड़ कर उनमें डीएनए, प्रोटीन, सहित कुछ दवाओं को भी पंहुचा सकेगें

Nano Technology in Defence Operations(सैन्य कार्यो में नैनो प्रौद्योगिकी)

सैन्य उद्देश्यों के लिए नैनो टेक्नोलॉजी अत्यधिक फायदेमंद साबित हो सकती है। तापमान परिवर्तित अत्यधिक सहनशील सैन्य उपयोगी वस्त्रो को बनाने में सहायता मिल सकती है सस्ते किफायती हथियार बनाने में, समुन्द्र के नीचे शोध कार्य करने में, stealth technology के निर्माण में, ईंधन को अधिक किफायती बनाने, अनेकों तरह से सैन्य कार्यो में भी नैनो टेक्नोलॉजी का सहयोग लिया जा सकता है।

ब्रेन फिंगर प्रिंटिंग का प्रयोग आतंकवादियों के विरूद्ध पूछताछ या हवाई अड्डों की जाँच पड़ताल के लिए किया जा सकता है। माइंड मशीन इंटरफ़ेस के जरिये विमान चालक और सैनिक उच्च तकनीकी हथियारों को नियंत्रित करने में और भी अधिक कुशल हो सकते हैं।

Nano Technology in Agriculture(कृषि में नैनो प्रौद्योगिकी)

कृषि के विकास के लिए यह अत्यधिक आवश्यक हैं कि खेती में नैनो टेक्नोलॉजी कि भूमिका को बढ़ाया जाये। फसलों के बीजों से लेकर पशुधन में भी नैनो टेक्नोलाजी का सहारा लिया जाये। भूमि को हानिकारक रसायनों से बचाने के लिए नीम कोटेड यूरिया का प्रयोग किया जाये  ऐसा करने से भूमि कि उर्वरता में वृद्धि होगी बल्कि  खरपतवार को नष्ट करने में भी सहायता मिलेगी। उन्नत बीजों का निर्माण करके पैदावार को बहुत हद तक बढ़ाया जा सकता है। मृदा में नैनो नाइट्रोजन, नैनो जिंक और नैनो कॉपर का प्रयोग भी पैदावार को बढ़ाने में किफायती साबित हो रहा है।

Nano Technology in India(भारत में नैनो टेक्नोलॉजी)

भारत में नैनो टेक्नोलॉजी के लिए नोडल संस्था इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सूचना प्रौद्योगिकी विभाग है। यह संस्था ही अनुसंधान और विकास कार्य के लिए ध्यान केंद्रित करे हुई है। इसमें शामिल है- नैनो इलेक्ट्रॉनिक्स केन्द्रो का सृजन, सयुक्त उपक्रमों को प्रोत्साहन, व्यावसायिक पहुंच आदि।

IIT , मुंबई एवं IIMC , बंगलुरु में दो इलेक्ट्रॉनिक्स केंद्र बनाये गए हैं। इन केन्द्रो ने नैनो इलेक्ट्रॉनिक्स में उत्कृष्टता के केंद्र को पाया है, राष्ट्रीय और अंतराष्टीय स्तर पर भी ध्यान अपनी और खीचा है। ये दोनों संस्थान स्वास्थ्य देखभाल एवं पर्यावरण monitoring और organic bio polimar उपकरणों के विकास के लिए भी नैनो टेक्नोलॉजी का सहारा ले रहे हैं।

भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के द्वारा nano electronics user programe (INUP) नाम से प्रोग्राम चलाया गया है। इस परियोजना का उद्देश्य नैनो टेक्नोलॉजी में दक्षता एवं ज्ञान के सृजन की सुविधा एवं उसे समर्थन देना है। भारत सरकार का ध्येय नैनो टेक्नोलॉजी में भारत को अग्रणी बनाने का है।

12th FYP प्लान (2012-17) में सरकार के द्वारा 650 करोड़ रुपये नैनो टेक्नोलॉजी पर R&D(research and development) के लिए दिया गया।

भारत में प्रगति

  • बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के द्वारा कार्बन नैनो ट्यूब फिल्टरों के उत्पादन की एक आसान विधि विकसित की गयी है। जो पानी में महीन और नैनो प्रदूषकों तथा पेट्रोलियम के भारी हाइड्रोकार्बन को प्रभावी तरीके से अलग कर सकती है।
  • दिल्ली यूनिवर्सिटी के PRO. A. N. MITRA के नेतृत्व में एक शोध टीम ने नैनो कणों का प्रयोग कर, उन्नत दवा आपूर्ति प्रणाली बनायी है।
  • ग्वालियर स्थित डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट(DRDE) द्वारा टायफाइड डिटेक्शन किट का विकास किया गया है लेकिन इस किट में प्रयोग होने वाले नैनो संवेदकों का विकास भारतीय विज्ञान संस्थान बंगलुरु के A.K.Sood द्वारा किया गया है।
  • बंगलुरु के संस्थान ने कार्बन नैनो ट्यूब द्वारा तरल प्रवाह से विधुत उत्पन्न करने में सफलता प्राप्त की है।

नैनो टेक्नोलॉजी पर आधारित नीवनतम विकास

नैनो फोटोनिक्स

नैनोफोटोनिक्स नैनो तकनीक और फोटोनिक्स के संयोग से बना होता है। नैनोमीटर स्केल पर प्रकाश के व्यवहार का अध्ययन नैनो फोटोनिक्स के तहत किया जाता है। नैनो फोटोनिक्स में पराबैगनी दृश्य और अवरक्त प्रकाश का उपयोग किया जाता है। इस तकनीक के जरिये भविष्य में कंप्यूटर प्रणालियों में सूचना स्थांतरण के लिए विद्युत सिग्नल की जगह प्रकाश का उपयोग किया जायेगा।

नैनो टेक फाइबर

इसमें एक कार्बन नैनो तुबे फाइबर का निर्माण किया गया है। जो धागे की तरह दिखाई देता है तथा यह किसी धातु के तार की तरह विद्युत और ऊष्मा का संचालक है। इसका उपयोग जीन डिलीवरी उपकरणों, बैटरी , अन्य तकनीकों में किया जा सकता है।

नैनो सेंसर

नैनो सेंसर ऐसे संवेदक बिंदु होते हैं जिनका उपयोग नैनो कणो के बारे में सूचना प्रेषित करने के लिए किया जाता है। नैनो सेंसर शरीर की विशिष्ट कोशिकाओं और स्थलों की पहचान करने में सक्षम होते हैं। इनके जरिये कैंसर कोशिकाओं का आसानी से पता लगाया जा सकता है।

नैनो टेक्नोलॉजी से भविष्य की चिन्ताएं और हानियाँ

यह टेक्नोलॉजी जितना भविष्य को बदल सकती है उतने ही संभावित खतरे इसमें छुपे हुए हैं। नैनो कण बेहद छोटे होते है जो हमारे आम जीवन में प्रवेश कर उसे प्रभावित कर सकते हैं। नैनो स्तर पर किसी भी कण की प्रकृति और उसके रासायनिक गुण बदल जाते हैं।

जो कई बार बेहद जहरीले भी साबित हो सकते हैं। नैनो कण कोशिकाओं में भी तेज़ी से प्रवेश करते हैं। अभी तक ऐसी कोई तकनीक विकसित नहीं की गयी जिससे मनुष्य के लिए नैनो कणों की मात्रा निर्धारित की जा सके और ऐसा कोई अध्ययन सामने नहीं आया जिसमें ये साबित हो सके कि नैनो कणों का मानव शरीर पर क्या प्रभाव रहता है। ये कण Non-Biodegradable होते हैं।

अतः यह एक नए प्रकार के प्रदूषक के रूप में भी उभर रहे हैं जो वायु, जल एवं भूमि के लिए नया खतरा बन सकते हैं। नैनो पदार्थों के उत्पादन, पैकेजिंग में कार्यरत लोगों में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न हो रहे हैं। जैसेजैसे इन पदार्थों का उपयोग हमारी जिंदगी में बढ़ रहा है वैसे ही, खतरे भी सामने आ रहे हैं। Nanotechnology Applications में संभावनाएं और खतरे दोनों ही शामिल है किन्तु सकारात्मक पहल संभावनाओं की तरफ जाने की है। 

इस आर्टिकल से nanotechnology kya hai? इससे सम्बंधित बहुत ही जानकारियों से परिचय मिला होगा अगर इस जानकारी से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो कमेंट में आप पूछ सकते हैं। धन्यवाद्!

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