हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने ‘हील इन इंडिया’ प्रोग्राम के लिये ‘लोगो प्रतिस्पर्द्धा’ की शुरुआत की जिसकी वजह से भारत में चिकित्सा पर्यटन(Medical Tourism in Hindi) लगातार चर्चा में बना हुआ है। ‘हील इन इंडिया’ प्रोग्राम चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में केंद्र सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना है। हील इन इंडिया के तहत एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से भारतीय चिकित्सा सहायता चाहने वाले विदेशी व्यक्ति भारत में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं और अस्पतालों की जानकारी प्राप्त करने में सक्षम होंगे और अपनी पसंद की चिकित्सा सुविधा का लाभ ले सकेंगे।
दरअसल ‘हील इन इंडिया’ पहल भारत को स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक वैश्विक नेतृत्वकर्त्ता के रूप में स्थापित करने और देश में चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। इस पहल में ‘मेडिकल वैल्यू ट्रैवल’ नामक एक डिजिटल पोर्टल भी शामिल है, जो विदेशियों के लिये ‘सिंगल विंडो’ की सुविधा प्रदान करेगा। यह पोर्टल अंतर्राष्ट्रीय रोगियों को भारत में उनकी संपूर्ण चिकित्सा यात्रा में सहायता करने के साथ-साथ भारतीय स्वास्थ्य सुविधाओं और स्वास्थ्य पेशेवरों की उपस्थिति के साथ ही इस क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के लिये उपयोगी है।
चिकित्सा पर्यटन और भारतीय अर्थव्यवस्था(Medical Tourism in Hindi)
वैश्विक रूप से आम लोगों में विदेशी स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर उत्सुकता देखी जा रही है। इस संबंध में भारत एक महत्त्वपूर्ण गंतव्य के रूप में उभरा है। चिकित्सा सेवाओं की उपलब्धता स्वास्थ्य पेशेवरों की कुशलता और वैश्विक महामारी ने भारत को वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में पहचान दिलाई है।
सरकार भी सक्रिय रूप से भारत को चिकित्सा सेवाओं के लिये सबसे अनुकूल गंतव्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में लगातार काम कर रही है। इस दिशा में संजीवनी, इंडिया हील्स, हील इन इंडिया, आयुष वीज़ा आदि पहल प्रमुख हैं। निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य उद्योग, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और अन्य हितधारकों के बीच एक सहयोग स्थापित करने के साथ-साथ भारतीय स्वास्थ्य सुविधाओं को विदेशी रोगियों के साथ जोड़ने के लिये एक रोडमैप भी तैयार किया जा रहा है।
इससे न केवल चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि देश में चिकित्सा बुनियादी ढाँचे और अनुसंधान एवं विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। भारत में चिकित्सा पर्यटन का बाज़ार वर्तमान में 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है और वर्ष 2026 तक इसके दोगुना होने की उम्मीद है। इस रास्ते को सुगम बनाने वाले प्रमुख कारक निम्न लिखित हैं- इलाज की कम लागत, उच्च प्रशिक्षित डॉक्टरों की अधिकता और अत्याधुनिक नैदानिक उपकरणों के कारण विदेशी रोगी स्वास्थ्य सुविधा की दृष्टि से भारत को अधिक तरजीह देते हैं। भारतीय डॉक्टर उच्च स्तरीय प्रशिक्षण से गुज़रते हैं, जो उन्हें अपने कौशल और ज्ञान के साथ चिकित्सा पर्यटन में सहायता करने के लिये एक लाभप्रद स्थिति में रखता है। इनमें से अधिकांश डॉक्टर विदेशों से उच्च प्रशिक्षण प्राप्त किये होते हैं। मुख्य रूप से कैंसर के इलाज, अंग प्रत्यारोपण सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी आदि के क्षेत्र में भारत ने हाल के वर्षों में अत्यधिक उन्नति की है जिसके कारण भी विदेशी मरीजों की संख्या भारत में बढ़ रही है।
दरअसल संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप आदि की तुलना में भारत में स्वास्थ्य उपचार सस्ता है। और हम जानते हैं कि सस्ते में बेहतर इलाज प्राप्त करना हर किसी की प्राथमिकता होती है। इस संबंध में विदेशियों के लिये भारत एक बेहतर गंतव्य साबित हो रहा है। भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर आने के बावजूद प्रतिबंधों में ढील दी गई। इसके अलावा सामान्य प्रतिबंधों के बावजूद मेडिकल वीजा के मामले में छूट दी गई।
साथ ही निजी अस्पतालों पर से सरकारी कोटा भी हटा दिया गया। यह एक बड़ी वजह है जिसे भारतीय चिकित्सा पर्यटन में वृद्धि के लिये ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है।
भारत को योग, आयुर्वेद और आध्यात्मिक शिक्षा के लिये जाना जाता है। भारत वर्षों से आयुर्वेद के जनक के रूप में प्रसिद्ध है जिसकी वजह से वैश्विक रूप में योग और आयुर्वेद उपचार के क्षेत्र में भारत, एशिया और अफ्रीका के साथ-साथ पश्चिमी देशों के लाखों रोगियों के लिये एक वैश्विक स्वास्थ्य केंद्र बन गया है।
वैश्विक रूप से आम लोगों में विदेशी स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर उत्सुकता देखी जा रही है। इस संबंध में भारत एक महत्त्वपूर्ण गंतव्य के रूप में उभरा है। चिकित्सा सेवाओं की उपलब्धता स्वास्थ्य पेशेवरों की कुशलता और वैश्विक महामारी ने भारत को वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में पहचान दिलाई है। सरकार भी सक्रिय रूप से भारत को चिकित्सा सेवाओं के लिये सबसे अनुकूल गंतव्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में लगातार काम कर रही है। इस दिशा में संजीवनी, इंडिया हील्स, हील इन इंडिया, आयुष वीज़ा आदि पहल प्रमुख हैं।
निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य उद्योग, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और अन्य हितधारकों के बीच एक सहयोग स्थापित करने के साथ-साथ भारतीय स्वास्थ्य सुविधाओं को विदेशी रोगियों के साथ जोड़ने के लिये एक रोडमैप भी तैयार किया जा रहा है। इससे न केवल चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि देश में चिकित्सा बुनियादी ढाँचे और अनुसंधान एवं विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। भारत में चिकित्सा पर्यटन का बाज़ार वर्तमान में 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है और वर्ष 2026 तक इसके दोगुना होने की उम्मीद है। इस रास्ते को सुगम बनाने वाले प्रमुख कारक निम्न लिखित हैं- इलाज की कम लागत, उच्च प्रशिक्षित डॉक्टरों की अधिकता और अत्याधुनिक नैदानिक उपकरणों के कारण विदेशी रोगी स्वास्थ्य सुविधा की दृष्टि से भारत को अधिक तरजीह देते हैं।
भारतीय डॉक्टर उच्च स्तरीय प्रशिक्षण से गुज़रते हैं, जो उन्हें अपने कौशल और ज्ञान के साथ चिकित्सा पर्यटन में सहायता करने के लिये एक लाभप्रद स्थिति में रखता है। इनमें से अधिकांश डॉक्टर विदेशों से उच्च प्रशिक्षण प्राप्त किये होते हैं। मुख्य रूप से कैंसर के इलाज, अंग प्रत्यारोपण सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी आदि के क्षेत्र में भारत ने हाल के वर्षों में अत्यधिक उन्नति की है जिसके कारण भी विदेशी मरीजों की संख्या भारत में बढ़ रही है।
दरअसल संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप आदि की तुलना में भारत में स्वास्थ्य उपचार सस्ता है। और हम जानते हैं कि सस्ते में बेहतर इलाज प्राप्त करना हर किसी की प्राथमिकता होती है। इस संबंध में विदेशियों के लिये भारत एक बेहतर गंतव्य साबित हो रहा है। भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर आने के बावजूद प्रतिबंधों में ढील दी गई। इसके अलावा सामान्य प्रतिबंधों के बावजूद मेडिकल वीजा के मामले में छूट दी गई।
साथ ही निजी अस्पतालों पर से सरकारी कोटा भी हटा दिया गया। यह एक बड़ी वजह है जिसे भारतीय चिकित्सा पर्यटन में वृद्धि के लिये ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है।
भारत को योग, आयुर्वेद और आध्यात्मिक शिक्षा के लिये जाना जाता है। भारत वर्षों से आयुर्वेद के जनक के रूप में प्रसिद्ध है जिसकी वजह से वैश्विक रूप में योग और आयुर्वेद उपचार के क्षेत्र में भारत, एशिया और अफ्रीका के साथ-साथ पश्चिमी देशों के लाखों रोगियों के लिये एक वैश्विक स्वास्थ्य केंद्र बन गया है।
आयुर्वेद आयुर्वेद, भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली है जो जीवन शैली और स्थानीय बीमारियों के लिये प्राकृतिक उपचार प्रदान करती है। कोविड-19 के बाद एक बार फिर से आयुर्वेदिक चिकित्सा की स्वीकार्यता में वृद्धि हुई है। आयुष मंत्रालय द्वारा आयुर्वेदिक चिकित्सा को वैश्विक मान्यता दिलाने के साथ-साथ एक वैकल्पिक उपचार प्रणाली के रूप में भी तैयार भी किया जा रहा है। आयुर्वेद चिकित्सा की वृद्धि और विकास के लिये एक बड़ा बाजार उपलब्ध है, जो भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा के मानकीकरण के साथ-साथ भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहचान को भी स्थापित करेगा। चिकित्सीय उपचारों के अलावा आयुर्वेद वजन घटाने, डिटॉक्स और डिस्ट्रेस के लिये भी उपचार प्रदान करता है जिनकी विश्व स्तर पर लगातार मांग भी बढ़ रही है। आयुर्वेद चिकित्सा के संबंध में भारत के पास सालाना 10 मिलियन लोगों की सेवा करने और सालाना 15 बिलियन डॉलर का कारोबार करने का अवसर है।
रोबोटिक सर्जरी: रोबोटिक सर्जरी भारतीय स्वास्थ्य सेवा में तेजी से स्थापित हो रही है। भारत इस क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने के साथ-साथ चिकित्सा पर्यटकों को भी स्वास्थ्य सेवा हेतु अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। रोबोटिक सर्जरी में अन्य सर्जरी के मुकाबले तेज़ी से उपचार होता है। साथ ही रोगी के शरीर पर किसी सर्जरी के निशान होने की गुंजाइश भी नाममात्र की होती है। मशीन और मानव कौशल का यह संयुक्त प्रयास भारत में रोगियों की एक बड़ी संख्या को लुभा रहा है, जो भविष्य में अपार संभावनाएँ पैदा करने की क्षमता रखता है। भारत में 5G नेटवर्क का आगमन होने के साथ संभावना जताई जा रही है कि रोबोटिक सर्जरी के माध्यम से भारत की स्वास्थ्य विशेषज्ञता विश्व के कोने-कोने तक पहुँच सकती है और इस तरह से भारत में बैठा सर्जन हजारों मील दूर हो रही सर्जरी को निर्देशित कर सकता है। इस संबंध में IIT कानपुर में एक अस्पताल बन रहा है, जो रोबोटिक सर्जरी पर कार्य करेगा। भारत में रोबोटिक सर्जरी की अपार संभावनाएँ मौजूद हैं, परंतु देखने वाली बात होगी की 5G से संपन्न भारत रोबोटिक सर्जरी के साथ स्वास्थ्य सेवा के भविष्य को विकसित करने में कितना सफल होगा।
सर्जिकल कैंप: भारतीय सर्जन न केवल भारत आने वाले मरीजों का इलाज कर रहे हैं, बल्कि पड़ोसी देशों में सर्जिकल कैंप करने के लिये विदेश यात्रा भी कर रहे हैं। हाल ही में, भारतीय सर्जनों की एक टीम ने सूडान में पहला सफल लीवर ट्रांसप्लांट किया। इराक, उज्बेकिस्तान और अन्य देशों में हर महीने भारतीय चिकित्सकों द्वारा सैकड़ों ऐसी सर्जरी हो रही हैं, जो चिकित्सा पर्यटन में एक अनूठी प्रवृत्ति स्थापित कर रही हैं। पड़ोसी देशों में सर्जिकल कैंपों की बढ़ती प्रवृत्ति के साथ, भारतीय स्वास्थ्य सेवा, छोटी सर्जरी की वैश्विक बाजार में अधिक हिस्सेदारी हासिल कर रही है, जो पहले भारत में अत्यधिक संकुचित थी।
स्टार्टअप: भारतीय आयुर्वेद, रोबोटिक सर्जरी और सर्जिकल कैंप को सफल बनाने में बहुत बड़ा हाथ ‘स्टार्टअप’ का है, जो भारतीय स्वास्थ्य सेवा और वैश्विक रोगियों के बीच सूचना की खाई को पाट रहे हैं। ये स्टार्टअप आयुर्वेदिक क्लीनिकों, अस्पतालों, सर्जनों, उपकरणों और पर्यटन से संबंधित विशाल जानकारी को व्यवस्थित कर उन्हें अंतर्राष्ट्रीय रोगियों के लिये ‘वन स्टॉप सॉल्यूशन’ के रूप में ला रहे हैं। ये स्टार्टअप NLP चैटबॉट्स, और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी तकनीकों के माध्यम से मरीज की जरूरत को समझते हैं और सुविधा भी उपलब्ध कराते हैं। ये स्टार्टअप, Text Consult, अपॉइंटमेंट, वीजा, होटल और फ्लाइट संबंधी सूचना और सुविधा देने के साथ-साथ जमीनी समर्थन भी देते हैं। सर्जिकल कैंप की पेशकश करके और 5G सक्षम रोबोटिक सर्जरी में नेतृत्व पैदा करके भारतीय स्टार्टअप पूंजी जुटाने में सफल रहे हैं; जिससे भारत, चिकित्सा पर्यटन के वैश्विक खेल में एक महत्त्वपूर्ण खिलाड़ी बनकर उभर रहा है।
चुनौतियाँ(Medical Tourism in Hindi)
कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन और वीजा समस्याओं के कारण भारत में चिकित्सा पर्यटक कम हुए हैं। आँकड़ों में देखा जाए तो वर्ष 2020-21 के दौरान पर्यटकों में लगभग 33% की गिरावट आई है। यह संख्या वर्ष 2021-22 में बढ़कर 50 फीसदी हो गई। वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में इसने महामारी से पहले के स्तर को पार कर लिया है। फोर्टिस हॉस्पिटल्स के मुताबिक, अस्पताल में वर्ष 2019 में विदेशी मरीज 45000 थे जो वर्ष 2020 में गिरावट के साथ 14000 हो गए। हालाँकि सितंबर 2022 तक मरीजों की संख्या बढ़कर 17000 हो गई।
दूसरी तरफ वीजा संबंधी दिक्कतों तथा सीमित संख्या में उड़ानों के कारण विदेशी मरीज कम हो गए हैं। चिकित्सा पर्यटन का पैटर्न महामारी के बाद एकदम से बदल गया है। पहले दिल्ली में अफगानिस्तान से सबसे ज्यादा चिकित्सा पर्यटक आते थे लेकिन, तालिबान के अधिग्रहण के बाद से मरीजों की संख्या में कमी आई है। इन सब के बावजूद कुछ सकारात्मक संकेत मिले हैं और मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। भारतीय अस्पतालों में विशेष रूप से कैंसर आर्थोपेडिक सर्जरी और अंग प्रत्यारोपण जैसी जानलेवा बीमारियों के विदेशी रोगियों की संख्या में सकारात्मक वृद्धि हुई है। चिकित्सा पर्यटकों की संख्या में और भी वृद्धि होने की उम्मीद है।
क्या और किया जा सकता है?(Medical Tourism in India)
असल में चिकित्सा पर्यटन के संबंध में भारत के पास स्वास्थ्य विशेषज्ञता के साथ-साथ एक बड़ा बाजार भी है। इस संबंध में सरकार विभिन्न हितधारकों और अस्पतालों के साथ भारत को चिकित्सा पर्यटन के अनुकूल बनाने का लगातार प्रयास कर रही है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा स्थापित सेवा निर्यात संवर्द्धन परिषद (एसईपीसी) को भारत के सेवा क्षेत्र के लिये वैश्विक व्यापार के अवसरों की सुविधा के लिये अनिवार्य किया गया है। SEPC की भूमिका व्यवसायों के लिये विशेष रूप से कोरोना संकट के बाद की अर्थव्यवस्था को सक्षम बनाना है। SEPC की भूमिका जिन क्षेत्रों में हम सक्रिय रूप से देख रहे हैं, उनमें से एक स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा पर्यटन है। SEPC, भारत को वेलनेस, फार्मा सोर्सिंग, सौंदर्य सर्जरी और आईवीएफ जैसी प्रजनन सेवाओं के लिये गंतव्य के रूप में बढ़ावा देने हेतु एक रोडमैप तैयार कर रहा है। यह न केवल चिकित्सा पर्यटन(Medical Tourism in Hindi) को एक सकारात्मक विकास ग्राफ पर ले जाने में मदद करेगा, बल्कि ‘इनबाउंड टूरिज़्म’ और ‘आतिथ्य’ जैसे संबद्ध उद्योगों की भी मदद करेगा। संयुक्त अरब अमीरात और तुर्किये में उपस्थिति के बिना भी भारत ग्लोबल केयर में मासिक रूप से 500+ रोगियों के लिये चिकित्सा पर्यटन की सुविधा प्रदान कर रहा है। और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। विभिन्न निजी अस्पतालों के साथ तालमेल बिठाते हुए भारत विदेशी मरीजों को उनके अनुकूल भाषा, यात्रा और भोजन की व्यवस्था कर रहा है, जिससे विदेशी मरीजों के लिये भारत एक आकर्षक स्थल बनता जा रहा है।