Marriage Age for Women: कुछ समय से सरकार के द्वारा महिलाओं की शादी की उम्र को परिवर्तन करने पर विचार चल रहा है। जिसे बढ़ाकर अब 18 से 21 वर्ष किये जाने का अनुमान है।
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शादी की उम्र पर पहले से प्रावधान(Marriage Age for Women)
- Child Marriage Restraint Act- 1929 के अनुसार जिसे शारदा एक्ट के नाम से भी जाना जाता है। इसके अनुसार शादी के लिए लड़कियों की उम्र को 14 वर्ष और लड़कों की उम्र को 18 वर्ष किया गया था।
- अभी शादी के लिए 2006 का कानून लागू है Prohibition of Child Marriage Act- 2006, यह कानून बाल विवाह को निषेध करता है। इस कानून के अनुसार लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाकर 14 से 18 वर्ष कर दी गयी वहीं लड़कों की उम्र बढ़ाकर 18 से 21 वर्ष कर दिया गया।
शादी की न्यूनतम आयु तय करने के कारण
इसका एक प्रमुख रूप से उद्देश्य तो यह दिखाई पड़ता है कि बाल विवाह को पूरी तरह गैर कानूनी घोषित किया जाये। महिलाओं पर हो सकने वाले अत्याचाओं को रोका जाये तथा नाबालिकों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को खत्म कर कानूनी रूप से सुरक्षा दी जाये। देश में अलग अलग धर्मों में विवाह के लिए अलग अलग व्यक्तिगत कानून और अपने मानक है।
देश में विवाह के लिए कई कानून है जिसमें-
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955
विशेष विवाह अधीयम, 1954
बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006
शादी के लिए न्यूनतम आयु तय करने की आवश्यकता क्यों?
लड़कियों की शादी जल्दी या कम उम्र में करने से कम उम्र में गर्भधारण से माँ और बच्चे दोनों के पोषण स्तर पर ख़राब प्रभाव पड़ता है। ऐसा भी देखा गया है कि कम उम्र में माँ बनने से शिशु मृत्यु दर(IMR) और मातृ मृत्युदर(MMR) की संभावनाएं अधिक बढ़ जाती है।
इसका प्रभाव संग्रह स्वास्थ्य एवं मानसिक स्तर पर पड़ता है, महिलाओं के सशक्तिकरण और शिक्षा के लिहाज से ऐसा करना एक सार्थक कदम है।
चर्चा में क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के द्वारा 2020 में जया जेटली समिति के द्वारा महिलाओं की शादी की आयु पर फिर से विचार करने के लिए समिति बनायीं गयी। इस समिति के द्वारा इस विषय पर व्यापक स्तर पर मुद्दों को शामिल करते हुए आयु को बढ़ाने के लिए सरकार को सलाह दी है। इस समिति के द्वारा महिलाओं की शिक्षा, अनीमिया रोग, मातृ मृत्युदर, शिशु मृत्युदर, महिलाओं के पोषण आदि को शामिल करते हुए सिफारिशें दी हैं।
समिति की सिफारिशें
इस समिति के द्वारा महिलाओं की शादी की उम्र को 21 साल करने की सिफारिश की गयी है। स्कूल और कॉलेज तक लड़कियों की पहुंच को बढ़ाना होगा। स्कूल में सेक्स एजुकेशन को भी एक सब्जेक्ट के रूप में लागू किया जाना चाहिए। महिलाओं को कौशल व्ययसाय से जोड़ना होगा। और जो भी नए कानून बनाये जाते हैं उन्हें व्यावहारिक स्तर पर समाज के द्वारा अपनाना होगा।
शादी की उम्र 21 साल करने से लाभ
- भारत में लड़कों और लड़कियों की शादी में आयु अंतर को रखा जाता है। किन्तु अब अगर लड़कियों की शादी की आयु को 21 साल किया जाता है तो इससे लैंगिक समानता का भाव भी पूरा होगा।
- शादी की आयु बढ़ने से महिलाएं परिवार को बढ़ाने में अधिक जिम्मेदारी के साथ निर्णय लेने में सक्षम होंगी।
- महिलाओं के स्वास्थ्य और बच्चे के स्वास्थ्य को अधिक लाभ होगा। जागरूकता कार्यक्रमों से समाज में बदलाव आएंगे।
चुनौतियां
- अगर सरकार के द्वारा शादी की आयु 21 साल कर दी जाती है तो इससे बाल विवाह की संख्या में वृद्धि हो सकती है। ऐसा इसलिए यदि किसी लड़की की शादी 18, 19, 20 साल में भी की जाती है तब भी वह बाल विवाह के दायरे में आएगी।
- हासिये पर मौजूद समाजों और लोगों में शादी की आयु 21 वर्ष करने पर अधिक प्रभाव होगा। आकड़ों के अनुसार बाल विवाह में बहुत हद तक कमी आयी है।
- समाज में लड़का और लड़की आयु(21 साल) समान कर देने से वयस्कता के स्तर पर सहमति बनना भी चुनौतीपूर्ण होगा।
- इनके अलावा एक सवाल यह है कि 18 साल के व्यक्ति को वयस्क मान लिया जाता है और उसे अपनी समझ वोट देने का अधिकार प्राप्त हो जाता है तो शादी करने की आयु 21 साल करना कितनी उचित है।
महिलाओं की शादी की उम्र(Marriage Age for Women) को बढ़ाने से ज्यादा जरुरी है कि कम उम्र में विवाह के कारणों को दूर किया जाये। ऐसा करने के लिए लड़कियों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा और आर्थिक अवसरों से जोड़ना भी अहम् कदम हो सकता है। लैंगिक समानता को बढ़ाने के लिए जागरूकता भी समाज के स्तर पर समझा पाना एक चुनौती है। जिनके बिना सरकार के प्रयास पूर्ण सार्थक नहीं हो सकते हैं।