Kya hai Metaverse: फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग के द्वारा एक नए शब्द को प्रयोग में लाया गया। जिसे उनके द्वारा मेटावर्स(Metaverse) नाम से सम्बोधित किया गया एवं उसके पश्चात उन्होंने फेसबुक का नाम बदलकर मेटा रखने की घोषणा की। यह फेसबुक की parent company है जिसका नाम अब फेसबुक से बदलकर मेटा किया गया है तथा अन्य social media company जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सप का नाम वही रहेगा।
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क्या है मेटावर्स (Kya hai Metaverse)?
यह एक ग्रीक शब्द है। फेसबुक में मेटा शब्द का उपयोग अम्रेला कंपनी के रूप में किया जायेगा। अभी के समय में मेटावर्स केवल एक विचार है। जो नयी तकनीकी अपेक्षाओं से जुड़ा हुआ है। साधारण शब्दों में कहें तो मेटावर्स एक तरह की मिक्स रियलिटी होगी जहाँ व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से जुड़ सकेंगे।
इसमें वर्चुअल रिअलिटी(VR), ऑगमेंटेड रियलिटी(AR) और होलोग्राफिक तकनीक का उपयोग किया जायेगा। इसके लिए सेंसर्स और अत्याधुनिक डिवाइस के माध्यम से सहायता ली जाएगी।
वर्चुअल रियलिटी में आभासी दुनिया का अनुभव अधिक होता है। इसमें व्यक्ति बाहरी दुनिया से कटा हुआ प्रतीत करता है। जबकि ऑगमेंटेड रियलिटी में व्यक्ति को आभासी दुनिया का अनुभव सिमित स्तर पर ही होता है। वह अधिकांशतः वास्तविक दुनिया से ही जुड़ा हुआ अनुभव करता है।
होलोग्राफिक तकनीक का अनुभव आयरन मैन जैसी इंग्लिश फिल्मों में दिखाया गया है। इन फिल्मों में तकनीक को अलग स्तर पर प्रदर्शित किया गया है। इसमें आकृतियों को हवा में ही अपने आभासी स्वरुप बदलते हुए दिखाया जाता है।
मेटावर्स(Metaverse) के आयाम
- मेटावर्स के माध्यम से व्यक्ति एक ही जगह पर रहकर दूसरी दुनिया में या किसी अन्य स्थान पर उसकी मौजूदगी का अनुभव कर सकते हैं।
- अपने आस पास के माहौल को आभासी दुनिया में परिवर्तित कर सकता है। अर्थात डिवाइस लगाने के पश्चात व्यक्ति को अपने आसपास आभासी दुनिया प्रतीत होगी।
- मेटावर्स के माध्यम से गेम जैसे स्वरुप को आपके साथ साझा किया जा सकेगा। जहां आभासी दुनिया में ही व्यक्ति पैसों से आभासी वस्तुओं को खरीद सकेगा। जिस प्रकार से Pubg जैसे गेम में कोई व्यक्ति gun की स्किन, या कपड़े खरीदता है, जब तक वह गेम में रहता है उसका उपयोग कर सकता है उसी प्रकार से मेटावर्स की दुनिया को बनाया जायेगा।
- इस तकनीक को बड़े स्तर पर तैयार करके रियल और आभासी दोनों प्रकार के चेहरों को शामिल किया जायेगा।
मेटावर्स(Metaverse) का प्रभाव क्या होगा।
इस तकनीक के आने से डिजिटल टेक्नोलॉजी को बढ़ावा मिलेगा दुनिया के साथ एक अलग प्रकार से जुड़ाव संभव होगा। इस तकनीक को विकसित करने के लिए उच्च स्तर के ग्राफ़िक डिज़ाइनर का सहयोग लिया जायेगा। यह अगली पीढ़ी की तकनीक है जिसमें एक लम्बा समय लगेगा। इस तकनीक से समय की बचत होगी। घर को ही आभासी ऑफिस का रूप दिया जा सकेगा।
शिक्षा को नए स्तर पर लेकर जाया जा सकता है। पर्यावरण के लिहाज़ से भी तकनीक का सही इस्तेमाल किया जा सकता है। इन अच्छाइयों के साथ चुनौतियां भी सामने आएंगी। सरकारों को इस तकनीक के लिए कानून बनाने होंगे ताकि व्यक्ति के अधिकारों को सुरक्षित किया जा सके।
मेटावर्स को लेकर चुनौतियां
इसमें सबसे बड़ी चुनौती होगी व्यक्ति के प्राइवेसी को किस प्रकार से सुनिश्चित किया जायेगा। आभासी स्तर पर व्यक्ति की निजी सूचनाओं को सुरक्षित रखना भी बहुत बड़ी चुनौती होगी। फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियों पर पहले ही डाटा प्रोटेक्शन को लेकर आरोप लगते रहे हैं। भविष्य में डाटा की खपत और अधिक होने से इसकी सुरक्षा किस प्रकार से की जा सकेगी यह भी चुनौती होगी।
तकनीक के लिए महंगे उपकरणों का इस्तेमाल किया जायेगा जो हर व्यक्ति के पहुंच में नहीं होंगे। तकनीक के प्रयोग से व्यक्ति के मानसिक स्तर पर कैसा असर होगा। इस बात पर भी चिंताएं हो सकती है। आभासी दुनिया में रहने वाला व्यक्ति इसका आदी न बन जाये और तकनीक उसे अपंग न बना दे इस बात का भी ध्यान देना होगा।
गूगल, फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियां इस पर कार्य कर रही हैं। इस तकनीक को विकसित होने और आम लोगों तक उपयोग लायक बनाने में समय है। किन्तु फेसबुक का नाम बदलकर मेटा कर दिए जाने से इस शब्द पर खोजें सामने आती रहेंगी।