Kashmiri saffron GI Tag, क्या है और उससे जुड़ी जानकारी?

Kashmiri saffron GI Tag: 

केसर एक लोकप्रिय मसाला है, जिसे क्रोकस सैटाइवस नाम के फूल से निकाला जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम भी क्रोकस सैटाइवस है और इसका इस्तेमाल एक मसाले और कलर एजेंट के रूप में किया जाता है।इसका फूल बैगनी रंग की झाई लिए बहु रंगों का होता है और पौधे में फूल निकलने के बाद पत्तियाँ लगती हैं । इस पौधे की गाँठों से चौदह वर्ष तक फूल निकलते रहते हैं ।

केसर की खेती का इतिहास

केसर का उत्पत्ति स्थान यूरोप का स्पेन देश माना जाता है जहां से केसर मुंबई से पूरे भारत के बाजारों में पहुंची लेकिन केसर की खेती को कश्मीर में पहली शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास मध्य एशियाई प्रवासी द्वारा शुरू किया गया प्राचीन संस्कृत साहित्य में केसर को बहूकम(bahukam) कहा गया है|

Kashmiri saffron GI Tag (Geographical indication)

ईरान और फ्रांस केसर उत्पादन में बहुत आगे हैं कश्मीरी केसर अपनी गुणवत्ता सुगंध के लिए विश्वविख्यात है किंतु ईरान और फ्रांस के केसर उत्पादन के कारण कश्मीरी केसर की मांग में कमी आई है पिछले कई सालों से प्रयास रहा है कि कश्मीरी केसर को जीआई टैग दिया जाए कृषि निदेशालय के द्वारा कश्मीरी केसर को जीआई टैग दिया गया इसको जी आई 635 टैग दिया गया है|

Kashmiri saffron GI Tag

कश्मीरी केसर की खेती

केसर की खेती जम्मू कश्मीर के 4 जिलों पुलवामा,बडगाम,श्रीनगर और किश्तवाड़ में होती है पुलवामा जिले का pampore केसर की खेती के लिए काफी विख्यात है इसकी खेती के लिए करेवा मिट्टी का उपयोग किया जाता है जिसमें कंकड़ पत्थर की मात्रा 40% तक होती है खेती करते समय इस बात का ध्यान दिया जाता है कि पानी का ठहराव नहीं होना चाहिए अन्यथा पौधों की जड़े खराब हो जाएंगी कश्मीरी केसर की खेती लगभग 1600 से 1800 मीटर की ऊंचाई पर होती है इस खास मिट्टी का निर्माण पीर पंजाल श्रेणी में नदियों और हिम खंडों द्वारा हुआ है|

केसर के प्रकार

यह तीन प्रकार की होती है – लच्छा केसर , मोगरा केसर , गुच्ची केसर |

Kashmiri saffron GI Tag: से लाभ 

इससे केसर की गुड़वत्ता में सुधार होगा केसर को बाजार में बेचने से पहले टैग दिया जायेगा इससे कश्मीरी केसर की पहचान आसान होगी किसानो को अच्छी कीमत मिल पायेगी अंतराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान से कीमत को बरकरार रख पायेगी धोखाधड़ी को कम किया जा सकता है|

कश्मीरी ब्यूटी

कश्मीरी सुंदरता में एक बहुत बड़ा हिस्सा यहाँ की खेती का भी है अगर टूरिस्ट में कश्मीरी केसर के लिए जागरूकता बड़ाई जाये तो इसे टूरिस्म के हिसाब से भी अच्छा विकल्प बनाया जा सकता है लोगो को खेतो तक लाया जा सकता है इसकी पूरी प्रक्रिया में लगने वाली मेहनत और जानकारी को लोगो तक पहुंचाया जा सकता है|

कश्मीरी केसर की विशेषताए

सौन्दर्य प्रशाधन में केसर का उपयोग किया जाता है  सुगंध के लिए, भोजन में रंग के लिए उपयोग में लाया जाता है औषधीय द्रष्टि से भी बहु उपयोगी माना जाता है पहचान में कश्मीरी केसर का रंग किसी में डालने पर पीला आना चाहिए स्वाद में यह थोड़ा बिटर होता है इसकी पंखुड़ी के रेसे का कोना नीचे से सफ़ेद होना चाहिए केसर के फूल से केवल तीन पंखुड़ी ही निकलती है जिसे हाथों से अलग किया जाता है|

केसर की कीमत

कश्मीरी केसर की कीमत बाजार पर निर्भर करती है लेकिन अनुमान अनुसार 250 रु में 1gm पड़ती है यह कीमत केवल कश्मीर में ही मिल पायेगी|

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