दुनिया में आज ऐसे कई सौ रेंज(Range) हैं। जिन्हे आज तक कोई भी जीत नहीं पाया है, कहने का तात्पर्य है कि किसी भी पर्वतारोही द्वारा आज तक चढ़ाई को सफल नहीं बनाया जा सका है। वजह चाहे जो भी हो किन्तु ये चोटियां अपराजेय(Invincible Mountains of the Himalayas) रही हैं। लेकिन यही तो लक्ष्य है जिन्हे पार कर भविष्य में नए रिकॉर्ड कायम किये जा सकते हैं। पर्वतारोहियों के समुदाय(Mountaineer community) में नए रिकॉर्ड बनाना और उन्हें तोड़ना बहुत मायने रखता है।
लेकिन साधारण रूप में ये माउंटेन प्रचलन में न होने के कारण लोग इन पहाड़ी श्रृंखलाओं को भूल रहे हैं जहाँ पर आज तक कोई नहीं गया। ऐसे ही पर्वत श्रृंखलाओं में भारत में तथा भारत के निकट स्थित निम्नलिखित माउंटेन पीक हैं।
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हिमालय के अपराजय माउंटेन(Invincible Mountains of the Himalayas)
Mount Kailash
इसे स्वर्ग की सीढ़ी भी कहा जाता है। यह हिमालय रेंज की सबसे रहस्यमयी पीक है। माउंट कैलाश की ऊंचाई लगभग 6700 मीटर है। जो माउंट एवरेस्ट से बहुत कम है। इस स्थिति के बावजूद कोई भी इस पर चढ़ाई करने में कामियाब नहीं रहा है। हालाँकि इस पर्वत की प्राकृतिक और सांस्कृतिक, धार्मिक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए, सरकार के द्वारा इसके पर्वतारोहण पर पाबंदी लगा दी गयी है।
माउंट कैलाश को लेकर वैज्ञानिकों और धार्मिक लोगों द्वारा अलग-अलग बाते कही जाती हैं। इन बातों से तो यही प्रतीत होता है कि यह पर्वत प्रकृति के बहुत से रहस्य आज भी छुपाये हुए है जिनसे विज्ञान अभी तक अनभिज्ञ है।
माउंट कैलाश हिन्दू, बौद्ध, जैन और तिब्बत के बॉन धर्म की मान्यताओं के अनुसार माउंट कैलाश सबसे पवित्र पर्वत है। तिब्बत का बॉन धर्म मुख्यरूप से जादूटोने से संबंधित है जिसे बाद में बौद्ध धर्म से जोड़ दिया गया।
कैलाश को दुनिया का चारधाम माना जाता है। इसका कारण इसकी क्षेत्रीय स्थिति भी है। यह पर्वत एशिया की सबसे लम्बी नदियों के उदगम स्थल के करीब है। यह इंडस, सतलज, ब्रह्मपुत्र और गंगा की सहायक नदी करनाली नदी के उदगम के करीब है। माउंट कैलाश को भौगोलिक और वैज्ञानिक नजर से देखें तो कैलाश की मेटासेडिमेंटरी रॉक को ग्रेनाइट बेस ने सम्हाला हुआ है। जो कि भारतीय उपमहाद्वीप के एशिया महाद्वीप से टकराने से बनी थी। इसकी स्थिरता को लेकर वैज्ञानिकों में अलग-अलग मत हैं। कई पर्वतारोहियों का मानना हैं कि इस पर चढ़ाई करना नामुमकिन है।
इस पर्वत की मान्यता अनुसार हर साल हजारों कैलाश भक्त व यात्री इसकी परिक्रमा करने आते हैं। लेकिन विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण कुछ लोग इसकी परिक्रमा पूरी कर पाते हैं। हालाँकि पाबंदियों से पहले इस पर पर्वतारोहियों के द्वारा कई प्रयास किये जा चुके हैं किन्तु वह प्रयास असफल ही रहे हैं।
Gangkhar Puensum
Gangkhar Puensum भूटान में स्थित है। यह चोटी भूटान-चीन बॉर्डर पर स्थित है, साथ ही यह भूटान की सबसे ऊँची चोटी है। इस चोटी की ऊंचाई 24836 फ़ीट/ 7570 मीटर है। कुछ पर्वतारोही इस पर चढ़ने के प्रयास कर चुके हैं लेकिन आज तक कोई भी चढ़ाई को पूरा नहीं कर सका। इसका कारण इस चोटी पर चढ़ाई में पड़ने वाली विकट परिस्थितियां हैं। साथ ही भूटान ने इस क्षेत्र की परिस्थितियों और पर्यावरणीय सुरक्षा के लिहाज़ से 1994 से Bhutanese Benchmark ने इसकी चढ़ाई पर रोक लगा दी थी। तब से भूटान में 6000 मीटर की ऊंचाई से अधिक की ऊंचाई पर पर्वतारोहण पर रोक लगी हुई है।
Karjiang 1 Tibet
यह पीक भूटान बॉर्डर के निकट स्थित हैं जो की हिमालय रेंज का ही भाग है। इसकी पैरेंट पीक Kalu Kangari है, इसकी ही एक और पीक Karjiang 2 को पर्वतारोहियों के द्वारा फतह किया जा चुका है। जिसे 1986 में जापानी ग्रुप NShigo Lead ने फतह किया था।
Karjiang 1 पर अभी तक कोई नहीं जा पाया है। 2001 में एक डच ग्रुप ने चढ़ाई का प्रयास किया था किन्तु वह असफल रहा था।
Kabru North Summit
Kabru North Summit यह दो माउंटेन पीक हैं। जो एक दूसरे के उत्तर और दक्षिण में स्थित हैं और यह भारत-नेपाल बॉर्डर पर स्थित है। Kabru Peak को पर्वतारोहियों द्वारा फतह किया जा चुका है किन्तु Norther Summit आज भी अपराजेय बनी हुई है। North Summit की ऊंचाई 24110 फ़ीट है जो कि मुख्य रूप से हिमस्खलन के लिए जाना जाता है। इसकी विषम परिस्थितियां के कारण ही आज तक यह चोटी अपराजेय बनी हुई है।
Machapuchare
यह हिमालय रेंज की एक ऐसी पीक है जो ऊंचाई के हिसाब से तो बहुत ऊँची नहीं है किन्तु फिर भी यह पीक अभी तक अपराजेय है। सरकार के द्वारा अब इस पीक पर चढ़ाई करने पर रोक लगा दी गयी है।
अन्नपूर्णा रेंज की यह सबसे ऊँची चोटियों में से एक है। Machapuchare पीक के नाम से तात्पर्य मछली की पूंछ से है। इस चोटी की ऊंचाई 6993 मीटर है। जो कि माउंट एवरेस्ट से 1856 मीटर छोटी है। लेकिन फिर भी इस पीक पर चढ़ाई करना बेहद मुश्किल समझा जाता है। यह एक अलग-थलग से नजर में आने वाली पीक है जिसका ऊंचाई एकदम खड़ी है।
रोमांच की दुनिया में पर्वतारोहण करने वाले लोग दुनिया में कुछ चुनिंदा ही हैं जब कोई पर्वतारोही किसी चोटी को जीतता है तो उसका नाम भी हमेशा उसके इस कारनामे के लिए जाना जाता है। यह ऐसा ही है जिस प्रकार से हम आज तक चाँद पर जाने वाले नील आर्म स्ट्रांग को जानते हैं। दुनिया में ऐसी बहुत सी जगह हैं जहाँ के पर्वतों के विषय में कोई खास जानकारी नहीं है न ही उनपर अभी तक कोई मनुष्य पंहुचा। हिमालय की एक लम्बी श्रृंखला है जिसमें हिमालय के अपराजय माउंटेन(Invincible Mountains of the Himalayas) भी एक सच है।