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भारत की पहली समुद्र के अंदर बनने वाली सुरंग (Indian 1st under Sea Tunnel)
मुंबई में भारत की पहली समुद्री टनल को बनाने का कार्य शुरू किया जा चुका हैं। मुम्बई में सरकार की तरफ से उच्च स्तर पर coastal road sea project को चलाया जा रहा है। यह टनल प्रोजेक्ट इसी coastal road sea project के अंतर्गत है। अनुमान है कि 2023 तक देश की पहली समुद्र के अंदर स्थित, इस टनल को बनाकर पूरा कर लिया जायेगा।
इस प्रोजेक्ट में पूरे रास्ते पर दो सुरंग को बनाया जायेगा। सुरंग की कुल लम्बाई 2.07 KM की है। जिसमें 1 KM का रास्ता समुद्र के अंदर से होकर गुजरेगा। Mumbai Coastal Road Project की कुल लम्बाई 10.58 KM की है। इस प्रोजेक्ट की लम्बाई मरीन ड्राइव से शुरू होकर बांद्रा वर्ली सी लिंक तक जाती है।
टनल किस प्रकार से होगी?
आमतौर पर समुद्र के अंदर से गुजरने वाली सुरंगों को समुद्र के बीच से गुजरा जाता है। जिसको बनाना एक कठिन कार्य होता है। किन्तु मुम्बई में बनने वाली इस टनल को समुद्र के किनारे से ही गुजारा जायेगा। यह समुद्र की ऊपरी सतह से 20 मीटर नीचे गहराई में होगी।
इस टनल को समुद्र के अंदर सतह के नीचे बनाया जायेगा। इसका मतलब यह हुआ कि यह उस प्रकार की टनल नहीं है कि, आपको समुन्द्र के जीव जंतु दिखाई दें।
Tunnel Boring Machine क्या हैं?
इस समुद्री सुरंग को बनाने के लिए भारत की सबसे बड़ी टनल बोरिंग मशीन का इस्तेमाल किया जायेगा। इस मशीन को समुद्र के अंदर पहुंचाने के लिए ऊपर से नीचे की ओर 18 मीटर का सॉफ्ट बनाया जायेगा। इस मशीन के मुख का व्यास 12.19 मीटर है। जो कि बहुत बड़ा और विशाल है। जिसके माध्यम से आसानी से जमीन को काटा जा सकता है। इस मशीन को संक्षेप में TBM नाम से जानते हैं।
टनल को बनाने में चुनौती क्या हैं?
इस टनल को बनाने में अभियंताओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती समुद्री पानी को लेकर है। टनल को leakage proof बनाना होगा। इस प्रकार की टनल को बनाने में वायु संचार(ventilation) को बनाना भी चुनौतीपूर्ण कार्य होता है।
टनल के अंदर गाड़ियों के चलने से तापमान को सामान्य बनाये रखना भी कठिन कार्य हैं। गाड़ियों के द्वारा कार्बन मोनो ऑक्साइड छोड़ी जाती है, जो टनल के अंदर तापमान को बड़ा देती है। इस समस्या से निपटने के लिए एक नयी वायु संचार प्रक्रिया को अपनाया जायेगा। जिसे Saccardo नाम दिया गया है। इसका कार्य सुरंग के अंदर स्थित कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी प्रदुषण कारी वायु को बहार करना होगा।
सरकार के क्या प्रयास हैं?
सरकार के प्रयास हैं कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से मुम्बई में नीचे पड़ गयी जगहों को फिर से बनाया जाये। जो रोड एवं जगह समुद्र में डूब गई हैं उन्हें फिर से तैयार किया जाये। नार्थ मुम्बई और साउथ मुम्बई को यातायात से सरल रूप में जोड़ा जाये। ताकि मुम्बई में ट्रैफिक की समस्या खत्म हो। इस प्रोजेक्ट को टोल फ्री रास्ते के रूप में बनाया जायेगा।
दूसरे देशों से तुलना
भारत में अपनी तरह की यह पहली टनल होगी। इस प्रकार की टनल भारत में अन्य जगहों पर भी बनाये जाने की बात चल रही है। अगर दूसरे देशों की समुद्री टनल के विषय में देखें। जैसे- चैनल टनल(Frace or England को आपस में जोड़ने वाली टनल), यह टनल समुद्र की सतह से 75 मीटर गहरी है। इसी प्रकार से Japan की Seikan टनल की बात करें तो यह 100 मीटर गहरी हैं। जो कि भारत की टनल से बहुत अधिक गहरी हैं।
इस टनल को बनाने में सरकार पर 2798.44 करोड़ का खर्चा आने वाला है। जिसमें एक टनल को बनने में 8 से 9 महीने का समय लगेगा। किन्तु भारत में सबसे बड़ी चुनौती समय को लेकर ही आती है, ऐसे कम ही प्रोजेक्ट होते हैं जिन्हे तय समय पर ही पूरा कर लिया गया हो। अगर इस प्रोजेक्ट को समय पर पूरा कर लिया जाता हैं तो यह मुंबई को उतनी जल्दी ही जाम से राहत दिला पायेगा। और इस प्रोजेक्ट में खास बात तो यह होगी ही, कि यह भारत की पहली समुद्र के अंदर बनने वाली सुरंग (Indian 1st under Sea Tunnel) होगी।