आज की 21 वीं शताब्दी में यातायात के नए साधनों को अपनाने का प्रयास किया जा रहा है, जो हमारे साधनों को बचाने में मददगार शाबित हो बल्कि जिनके द्वारा दूरी को कम से कम समय में पूरा किया जा सकता हो। इन्ही प्रयासों को देखते हुए hyperloop technology को कई देशों के द्वारा अपनाये जाने के विषय में कदम बढ़ाये जा रहे हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से Hyperloop क्या है(Hyperloop kya hai)?, इससे जुड़े हुए विषयों को जानने का प्रयास करेंगे।
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Hyperloop क्या है(Hyperloop kya hai)?
Hyperloop एक कैप्सूल के अंदर स्थित ट्रैन है। जिसे पॉड्स कहा जाता है। यह ऐसी तकनीक है जो चुम्बकीय शक्ति पर काम करती है। इसी ट्यूब के अंदर पॉड्स को अत्यंत तीव्र गति से चलाया जायेगा।
hyperloop के कॉन्सेप्ट को alan mask के द्वारा लाया गया। यह वायु परिवहन, जल परिवहन, सड़क एवं रेल परिवहन के बाद पांचवा विकल्प है। जो परिवहन के क्षेत्र में क्रांतिकारी शाबित हो सकता है।
Hyperloop से सम्भावनायें
ऐसा अनुमान है कि, इस तकनीक के सफल होने से यातायात के क्षेत्र में बहुत बड़ा बदलाव आएगा। ऐसा सोचने का प्रमुख कारण इसकी रफ़्तार है, जो 1000-1300 km/hr पर हो सकती है। यह रफ़्तार किसी यात्री वायुयान की रफ़्तार से अधिक है। जो कि आमतौर पर 700-800 km/hr पर होती है।
Hyperloop project कहाँ कहाँ चल रहे
दुनिया की पहली hyperloop train को टोरंटो से मोंट्रियल (कनाडा) के बीच चलाया जायेगा इन दोनों शहरों के बीच की दुरी 640 km है जिसे यह 39 मिनट में पूरा करेगी। इस hyperloop का इस्तेमाल व्यावसायिक(commercial) रूप से नहीं होगा।
जबकि Hyperloop को चलाने के लिए पहले व्यावसायिक(commercial) प्रोजेक्ट की शुरुआत Los Angeles से San Francisco के बीच की गयी है जो पूरी तरह व्यावसायिक(commercial) होगी। जिसे लोगों द्वारा यातायात के साधन के रूप में इस्तेमाल किया जायेगा।
इसके अलावा UAE में hyperloop project चल रहा है। यह प्रोजेक्ट Abu Dhabi को Dubai से जोड़ेगा। इन दोनों शहरों के बीच की दूरी लगभग 150 km की है जिसे Hyperloop के द्वारा 12 मिनट में तय किया जा सकेगा। इस प्रोजेक्ट को 2022 तक पूरा होने की उम्मीद है।
भारत में Hyperloop project
भारत में Hyperloop प्रोजेक्ट को मुंबई से पुणे के मध्य चलाने के लिए Richard Branson -Led Virgin one company के साथ करार किया गया था। उस समय देवेन्द्र फडणवीस सत्ता में थे किन्तु, सरकार बदलने पर उद्धव ठाकरे सरकार के द्वारा इस प्रोजेक्ट को रोक दिया गया। अगर भविष्य में यह प्रोजेक्ट बनकर तैयार होता है तो, मुम्बई से पुणे तक की दूरी को मात्र 25 मिनट में
तय किया जा सकता है। अभी इस दूरी को तय करने में लगभग 3 घंटे का समय लगता है।
भारत में Hyperloop से सम्बंधित एक अन्य प्रोजेक्ट को विजयवाड़ा से अमरावती के बीच चलाये जाने की बात भी सामने आ रही है। इस प्रोजेक्ट को public-private partnership (PPP) मॉडल के आधार पर बनाया जायेगा। अभी विजयवाड़ा से अमरावती के बीच की दूरी 1 घंटे की है। जिसे Hyperloop के द्वारा 5 मिनट में तय किया जा सकता है। अगर यह प्रोजेक्ट पूरा होता है तो, यह भारत की पहली Hyperloop होगी जो आंध्रप्रदेश में चलेगी।
Hyperloop तकनीक काम कैसे करती है?
इस तकनीक में यात्रियों को पॉड्स (कैप्सूल नुमा) में बिठाया जाता है। इन पॉड्स को पारदर्शी ट्यूब में विद्युत चुम्बक की सहायता से चलाया जाता है। पॉड्स को चलाने के लिए चुम्बकों के प्रतिकर्षण(repulsions) बल की सहायता ली जाती है। ऐसा करने से पॉड्स ट्रेक की सतह से कुछ ऊपर उठ जाते हैं। जिससे घर्षण नगण्य हो जाता है। जो पॉड्स को गति प्रदान करता है।
ट्यूब में पॉड्स की गति को बढ़ाने के लिए बड़ा फैन लगा होता है जिसकी सहायता से पॉड्स वायु को खींचकर अपनी गति बढ़ाता है तथा घर्षण को कम करने के लिए बड़े बड़े पाइप लगे होते हैं जिनके जरिये, पॉड्स के चलने पर पैदा होने वाली वायु को ट्यूब से बाहर कर दिया जाता है। किन्तु जब पॉड्स को रोकना होगा तब यही फैन उल्टी दिशा में घूमना शुरू कर देते हैं।
Hyperloop स्वचालित तकनीक पर कार्य करता है। इसमें किसी प्रकार का पायलट नहीं होता।
Hyperloop project में चुनौतियां
- शुरुआती चरण में इस प्रोजेक्ट को बनाने में अत्यधिक खर्चा आने की संभावना है। इस तकनीक को अभी किसी भी स्थान पर आजमाया नहीं गया है इस कारण लोगों का संदेह अधिक है। हालाँकि अभी तक 400 से अधिक ट्रायल सम्पन्न हो चुके हैं। और अभी हाल में ह्यूमन ट्रायल भी सफलता पूर्वक पूरा कर लिया गया है।
- इस प्रोजेक्ट को जमीन से ऊपर ही बनाना संभव है जिस कारण पेड़ पौधो जंगलों की कटाई, भूमिगत सुरंग बनानी होंगी।
- Hyperloop 1300 km/hr की गति से चल सकता है। इतनी अधिक गति पर यात्रियों की सुरक्षा अत्यंत कठिन होगा। ट्यूब में अधिकांशतः वायु नहीं होगी किन्तु पॉड्स में यात्रियों के लिए सभी सुरक्षात्मक विषयों पर ध्यान देना होगा।
- यह लम्बी दूरी तय करने के हिसाब से ज्यादा बेहतर विकल्प रहेगा किन्तु आज के समय की ज्यादा बड़ी चुनौती शहरों में बढ़ रहे ट्रैफिक को लेकर है।
- इसे घुमावदार जगहों पर इतनी तेज़ गति से मुड़ने में समस्या होगी।
Hyperloop project से लाभ
- Hyperloop को बिजली की पूर्ति, सोलर ऊर्जा द्वारा की जाएगी। जिस कारण ग्लोबल वार्मिंग का खतरा नहीं होगा।
- यह प्रोजेक्ट बुलेट ट्रैन चलाने के हिसाब से अधिक किफायती है। hyperloop परियोजनाओं को पूरा करने में खर्चा, बुलेट ट्रैन के मुकाबले कम है।
- यह भविष्य का तीव्रतर साधन साबित होगा। जिससे समय की बचत होगी।
- यह वायुयान परिवहन से अधिक सुरक्षित होगा।
Hyperloop क्या है(Hyperloop kya hai)? इससे जुड़े हुए विषयों पर समझ को और बेहतर करने का प्रयास किया गया है। अगर आपका कोई सवाल है तो कमेंट में जाकर वह पूछ सकते हैं। हमारी तरफ से जवाब देने का पूरा प्रयास होगा।