Four Day Work Week क्या है? सरकार क्यों लाना चाहती है?

Four Day Work Week क्या है? इस बात का सीधा सा मतलब कार्य के दिनों से है। सरकार के द्वारा एक प्लान तैयार किया जा रहा है। जिसके हिसाब से सप्ताह के चार दिन कार्य करना होगा और बचे हुए तीन दिन अवकास रहेगा।

सरकार का प्रयास कंपनियों को थोड़ी आजादी देना है और जो बिज़नेस मॉडल को इस प्रकार से चलाने के पक्ष में हैं वह अपना काम आसानी से कर पायेगें।

अभी सरकार के द्वारा जो प्लान लाये जाने का प्रयास किया जा रहा वह दुनिया के कई अन्य देशों में पहले से चल रहा है।

जैसे USA के UTAH STATE में 10 घंटे काम करने का प्रबंध है। सोमवार से गुरुवार तक, जापान की एक कंपनी ने 4 दिन के Working week का ट्रायल किया था। United Kingdom में भी इस तरह का प्लान बन रहा था। इस प्रकार से यह कोई नया विचार नहीं है।

सरकार के द्वारा ऐसा क्यों किया जा रहा

2019-20 में सरकार के द्वारा लेबर कानून लाये गए थे। जिनके हिसाब से काम करने के माहौल को सुगम और सुविधाजनक करना था जिसमें सहूलियतें भी मौजूद हों।

लेबर कानून के अंतर्गत 4 अलग अगल बिल लाये गए थे। जिसमें wage code (वेतन संहिता अधिनियम) को 2019 में ही पास कर दिया गया था। इसके बाद अन्य तीन, Industrial relations , Industrial safety & welfare और Social Security से सम्बंधित अन्य बिलों को भी 2020 में पास कर दिया गया।

अतः अभी तक यह चारों बिल पास हो चुके हैं। किन्तु सरकार के द्वारा इन्हे लागू नहीं किया गया था। इसी क्रम में सरकार के द्वारा कुछ नए नियम कानूनों को बनाया जा रहा। जिनके पूरी तरह बन जाने के बाद सरकार 1 अप्रैल से सभी बिलों को लागू करने का सोच रही है।

Four Day Work Week में कार्य के घंटे

इसके अंतर्गत कार्य के घंटों को कम नहीं किया गया है बल्कि इन्हे पूरे सप्ताह के हिसाब से 48 घंटे तक ही रखा गया है। कहने का तात्पर्य है कि किसी भी व्यक्ति को पूरे सप्ताह में 48 घंटे काम करना है, अगर हर दिन के हिसाब से देखें तो, यदि किसी व्यक्ति के द्वारा 6 दिन काम किया गया हो तो उस व्यक्ति को प्रति दिन 8 घंटे काम करना होगा एवं सातवें दिन उसका अवकास होगा।

किन्तु Four Day Work Week के हिसाब से किसी भी व्यक्ति को काम के (48)घंटे पूरा करने के लिए प्रति दिन 12 घंटे काम करना होगा। तभी 4 दिन में काम के 48 घंटे पूरे किये जा सकेगें एवं अन्य बचे हुए 3 दिन अवकास लिया जा सकता है। इस प्रक्रिया को लागू करने के अनुसार अगर 5 दिन काम किया जाता है तो उस व्यक्ति को 2 दिन का अवकास मिल सकता है।

Four Day Work Week से फायदे क्या हैं।

Ministry of Labour and Employment के द्वारा जल्द से जल्द इस प्रक्रिया को पूरा करने पर काम चल रहा है। ऐसा करने से कार्य के घंटे और दिनों को अपनी सहूलियत के अनुसार तय किया जा सकेगा। ऐसा करने में व्यक्ति की सैलरी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जो सैलरी 6 दिन काम करके अपने घंटे पूरे कर के कमाई गयी वही सैलरी 4 दिन या 5 दिन में अपने काम के घंटे पूरे कर के कमाई जा सकेगी। और अन्य बाकि दिनों में अवकास लिया जा सकता है।

इस प्रोसेस को अपनाने से कामगार वर्ग का कम्फर्ट सुधर सकेगा। कंपनियों के द्वारा कॉस्ट कटिंग की जा सकेगी। ऐसा माना जा रहा कि ऐसा करने से कंपनी की प्रोडक्टिविटी भी बढ़ सकेगी। खास तौर पर IT sector को अधिक फायदा हो सकता है। banking or financial services को 20-30% तक का फायदा हो सकता है।

इससे नुकसान क्या हो सकते हैं।

अभी कंपनियों में जो बिज़नेस मॉडल चल रहा है उस हिसाब से अभी किसी भी कंपनी में काम की 3 सिफ्ट चलती हैं। ये 8 घंटे की तीन सिफ्ट रहती हैं, अगर 12 घंटे के वर्किंग ऑवर को अपनाया जायेगा तो दिन की 2 सिफ्ट ही कंपनी के द्वारा अपनायी जा सकती हैं। ऐसा करने से कंपनी को तो फायदा होगा किन्तु बेरोजगारी दर अधिक होने की संभावना भी बढ़ जाएगी। क्यों कि-

जिस जगह पूरे दिन में सिफ्ट के अनुसार 3 लोग काम करते थे उस जगह पर 2 लोग के द्वारा ही काम चलाया जा सकेगा।

अगर काम करने वाले व्यक्तियों के द्वारा 8 घंटे से अधिक घंटो को अपनाया जाता है तो यह व्यक्ति के स्वास्थ्य के हिसाब से अधिक जटिल प्रक्रिया हो जाएगी। जो लम्बे समय में व्यक्ति की क्षमता को प्रभावित कर सकती है।

ऐसा नहीं है कि Four Day Work Week को एक साथ ही सभी कंपनियों के द्वारा अपना लिया जायेगा हाँ ऐसा अवश्य होगा कि सरकार के द्वारा नियमों को लागू करने के बाद धीरे धीरे कंपनियां इस प्रक्रिया को अपनायेगीं।

 

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