Food Crisis in Madagascar: भुखमरी की चरम स्थिति से यह देश लड़ाई लड़ रहा है। मेडागास्कर हिन्द महासागर में एक द्वीपीय देश है। अभी यहां पर बहुत बड़ा मानवीय संकट देखने को मिल रहा है। यह घटना ऐसी है कि खुद में मानव जाती शर्मिंदा हो जाये। आज के आधुनिक समाज में ऐसी घटना होना सच के परे लगाती है। मेडागास्कर खुद United Nations का पार्ट है।
बात सीधे तोर पर यह है कि यहां के लोग इतनी ख़राब स्थिति में आ गए हैं कि वह मिट्टी खाने को मजबूर हैं। इस देश की आबादी लगभग 25-27 लाख के बीच है। जिसमें आधे से अधिक की आबादी गरीबी रेखा से नीचे है।
Food Crisis in Madagascar इस प्रकार की स्थिति कैसे बनी
भौगोलिक स्थिति
यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा एवं हिन्द महासागर का सबसे बड़ा द्वीप है। यहां की राजधानी अंतानानारिवो है। अफ्रीका से 400km की दूरी पर यह द्वीप स्थित है। 18-19 वीं शताब्दी में अफ्रीका को पूरी तरह यूरोपीय शक्तियों के द्वारा उपनिवेश(colonized) बना लिया गया था। जिसमें ब्रिटेन और फ़्रांस के बीच टक्कर थी। 1897-1960 तक मेडागास्कर फ़्रांस के पास ही था।
अगर एक लम्बे समय पीछे की बात करें तो हिन्दू और बौद्ध धर्म भी यहां पर था। अशोक के समय अशोक ने धम्म को फैलाने के लिए, प्रचार के लिए अनुयायी कई देशों में भेजे थे। ऐसा यहां की ट्राइब्स और जातीय समूहों से मालूम होता है।किन्तु फ़्रांस का शासन यहां लम्बे समय तक रहा है। जिस कारण ईसाई मिशनरियों को प्रभाव यहाँ रहा। मेडागास्कर की आज के समय में 85.3% आबादी ईसाई है।
1960 में फ्रांस, मेडागास्कर छोड़कर यहाँ से चला गया। आज तक 4 बार यहाँ के संविधान को बदला गया है। जिसमें 2010 तक यहाँ पर डेमोक्रेसी रही किन्तु उसके बाद सत्ता में बदलाव आया। जैसा अन्य देशों या अफ़्रीकी देशों में देखा गया है कि सत्ता परिवर्तन पर बहुत अधिक हिंसा होती है एक तरह से नरसंहार जैसी स्थिति, उस प्रकार से मेडागास्कर में नहीं हुआ।
Food Crisis in Madagascar
अभी जैसा कि मेडागास्कर united nations का सदस्य है। अफ्रीकन यूनियन एवं अफ्रीकन डेवलपमेंट कम्युनिटी का सदस्य भी है। किन्तु यूनाइटेड नेशंस की लीस्ट डेवलपमेंट देशों की सूची में मेडागास्कर को डाला गया है। एग्रीकल्चर और टूरिज्म यहां का प्रमुख व्यवसाय है। इकोलॉजी के हिसाब से भी महत्वपूर्ण जगह है।
इन सब स्थितियों के बाद भी मेडागास्कर के 60% लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन जी रहे हैं। उनकी आय में इतना अधिक संकट है कि दिन का 70 रुपये भी आय संभव नहीं हो रही। हर साल 3.5-5 लाख टूरिस्ट यहां आते हैं किन्तु कोरोना महामारी में सभी देशों की टूरिस्ट इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हैं। भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, राजनीतिक स्थितियों पॉलिसीस की वजह से मेडागास्कर तरक्की नहीं कर पाया है। टूरिज्म, टेक्सटाइल, माइनिंग में अवसर होने के बावजूद स्थिति बहुत ख़राब है।
सरकार की पॉलिसीस की वजह से पिछले 3 साल से यहां सूखा पड़ा हुआ है। यहां पर नदियां सूख रही है। स्थिति सोच से भी ज्यादा ख़राब हो चुकी है। लोग वाइट क्ले मिट्टी को इमली के साथ खा रहे हैं। जब बच्चों को यही खानें में दिया जा रहा है तो पाचन की वजह से बच्चे मर रहे हैं। वहां की मीडिया के द्वारा इन सभी स्थितियों को अधिक दिखाया ही नहीं गया। स्थिति जिस प्रकार की बताई जा रही है उस हिसाब से मेडागास्कर को तत्काल भोजन की सहायता पहुंचाई जानी चाहिए।
Food Crisis in Madagascar: इसमें सबसे बड़ी समस्या मीडिया की रही है जिसके द्वारा इस पर कोई स्टोरी ही नहीं की गयी। दुनिया की नजर में यह घटना देरी से आयी है। अब जबकि स्थिति ऐसी है कि दुनिया के देशों के द्वारा तुरंत सहायता पहुंचना जरुरी है। यूनाइटेड नेशंस या मेडागास्कर जिन संस्थाओं का सदस्य है उन्हें मेडागास्कर पर ध्यान केंद्रित करना होगा। दुनिया में मानवताबाद से बड़ा तो कोई धर्म नहीं है कम से कम उसके लिए ही देशों के द्वारा सहायता दी जाये। इसके अलावा भी अफ्रीका के जिन देशों की स्थिति मेडागास्कर की तरह जा पहुंची है उन पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।