दुनिया का सबसे बड़ा Floating Solar Power Plant मध्यप्रदेश में बनाया जायेगा। जिसे 2022-23 तक तैयार कर बिजली उत्पादन का कार्य शुरू कर दिया जायेगा। यह प्रोजेक्ट नर्मदा नदी के Omkareshwar Dam पर स्थापित होगा।
यह डैम मध्यप्रदेश के खांडवा जिले में पड़ता है।
इस प्रोजेक्ट को मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से शुरू किया गया है। जिसकी बिजली उत्पादन की क्षमता 600MW रहेगी।
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Floating Solar Power Plant
इस प्लांट के लिए अभी अनुमान के मुताबिक 3000 करोड़ रूपये का खर्चा आएगा। मध्यप्रदेश की सरकार के द्वारा इस प्रोजेक्ट के लिए तीन जगह से पैसा जुटाया जायेगा।
- International Finance Corporation
- World Bank
- Power Grid
प्रोजेक्ट के लिए Primary Feasibility Study वर्ल्ड बैंक के द्वारा की जाएगी। प्राइमरी फिजिबिलिटी से तात्पर्य किस प्रकार से प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जायेगा, प्रोजेक्ट व्यवहारिक है या नहीं?
पावर प्लांट के लिए environmental and social impact टेंडर जारी कर दिया गया है। इस प्रकार से जनवरी माह में ही इस प्रोजेक्ट पर काम चालू होने की संभावना है। मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी के द्वारा कहा गया है कि इस प्रोजेक्ट की 600MW बिजली उत्पादन में से 400MW बिजली का सीधे तोर पर उनके द्वारा खरीद की जाएगी।
प्रोजेक्ट की कार्य प्रणाली
इस प्रोजेक्ट के अन्य पहलू जैसे Transmission Line Route का सर्वे पावर ग्रिड की तरफ से कराया जायेगा। जो खांडवा sub-station तक जायेगा जिसका कार्य भी जनवरी माह में शुरू हो जायेगा।
इन सभी कार्यों के पूरा होने के बाद Omkareshwar dam में Floating Solar Power Plant लगाने का कार्य शुरू हो जायेगा। अनुमान यह है कि दो साल में यह बन कर तैयार हो जायेगा। सोलर पैनल्स को पानी की सतह पर तैरते हुए लगाया जायेगा यह डैम के 2000 hectare की पानी वाली सतह पर लगाया जायेगा।
सोलर पैनल्स का आज के समय में दाम पिछले 10 सालों की अपेक्षा 86% तक नीचे गिर चुका है। और 2030 तक यह अनुमान है कि इसमें 46% की और भी गिरावट आएगी। आज के समय में कोयले से पैदा हो रही बिजली से सोलर प्लांट से पैदा हुई बिजली अधिक सस्ती पड़ रही है। क्यों कि कोयले से पैदा बिजली में उसके खनन, ट्रांसपोर्ट और सभी कार्यों को जोड़ा जाये तो यह सोलर प्लांट से पैदा हुई बिजली से महँगी पड़ रही।
सोलर एनर्जी के सस्ता होने का दूसरा कारण लिथियम है, लिथियम आयन बैटरी के price भी कम होते जा रहे हैं साथ साथ इसकी क्षमता में भी बढ़ोत्तरी हुई है। इस कारण भी सौर ऊर्जा सस्ती हुई है।
भारत में पहला लिथियम रिफाइनरी भी गुजरात में लगाने का प्लान चल रहा है जो सोलर एनर्जी के लिए भी लाभकारी होगा। इससे लिथियम बैटरी और भी सस्ती होंगी।
Floating Solar Power Plant के फायदे
इसमें सबसे बड़ा फायदा यह है कि सरकार को पैनल्स लगाने के लिए जमीन अधिग्रहण नहीं करना पड़ता। जिसमें सरकार और कंपनी दोनों को बहुत खर्चा वहन करना पड़ता है। इस कारण सोलर एनर्जी महँगी हो जाती है। भारत में आबादी घनत्व अधिक है उस लिहाज से भी जमीन पर सोलर प्लांट लगाना सुविधानुसार नहीं है।
डैम, नहर, तालाब, झील पर तो सरकार का हक़ है। तो इस कारण से सरकार बाहरी खर्चों से बच जाती है।
दूसरा फायदा यह है कि गर्मियों के मौसम में नदियों, झीलों में वाष्पीकरण की दर अधिक हो जाती है जिस कारण नदियां, झीलें सूखने लगाती हैं। लेकिन सोलर पैनल्स को पानी के ऊपर लगाने से वाष्पीकरण की दर कम हो जाती है।
सोलर पैनल्स को इस प्रकार से लगाया जाता है कि पानी का स्तर कम या ज्यादा होने पर यह खुद ही ऊपर नीचे हो जायेगा। फ्लोटिंग स्थिति में होने के कारण दूसरा फायदा यह है कि पैनल्स पर लहरों और पानी के उतार चढ़ाव का कोई खास असर नहीं होगा। पैनल्स को पानी के नीचे जमीन से भी जोड़ कर रखा जाता है। ताकि यह अपनी स्थिति में बना रहे।
भारत में भविष्य के सोलर प्रोजेक्ट
झारखंड और पश्चिम बंगाल की सरकार के द्वारा राज्य और केंद्र सरकार दोनों के द्वारा Damodar Valley Corporation(DVC) प्रोजेक्ट चलाये जाने का प्रयास किया जा रहा। जिसके अंतर्गत 1776MW बिजली उत्पादन किया जायेगा। DVC का प्रयास है कि वह अपने चार बांधों पर Floating Solar Power Plant लगा सके।
दुनिया के सबसे बड़े सोलर पार्क
अभी तक दुनिया में सबसे बड़ा सोलर पार्क भारत में Bhadla Rajasthan में स्थित है। इसकी क्षमता 2245MW की है। फिर दूसरे स्थान पर चीन का Golmud-2200MW बिजली उत्पादन की क्षमता रखता है। एवं तीसरे स्थान पर shakti sthala कर्नाटक-2050MW की क्षमता रखता है।
सोलर एनर्जी में मुश्किल और नुकसान
सोलर एनर्जी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह सौर ऊर्जा यानि कि धूप पर निर्भर है। अगर मौसम ख़राब है या बादल है तो उस स्थिति में बिजली पैदा नहीं होगी। इस कारण सोलर पैनल्स को उन स्थानों पर नहीं लगाया जा सकता जहाँ मौसम में तेजी से बदलाव होता हो।
सोलर एनर्जी में दिन के कुछ ही घंटो में पूरी क्षमता से बिजली उत्पादन की स्थिति बनती है।
भविष्य में सोलर एनर्जी का एक नुकसान यह हो सकता है कि अभी तो सौर ऊर्जा पूरी तरह प्रकृति के हित में हैं, प्रदुषण मुक्त है, किन्तु भविष्य में सोलर पैनल्स, और बैटरी जब पुराने हो जायेंगे तो उनके waste material को कैसे ख़त्म किया जायेगा। solar energy के लिए जो होड़ कंपनियों में लगेगी, उसकी वजह से प्रोडक्शन को बढ़ाने में भी प्रदुषण बढ़ सकता है।
भारत में कई जगह Floating Solar Power Plant लग चुके हैं, और कई जगह लगाए जाने की तैयारी चल रही है। जमीनी स्तर पर प्लांट लगाने से यह कई गुना बेहतर विकल्प है। साथ ही झीलों, एवं जल स्रोतों को सूखने से बचने के लिए भी एक उपाय के तोर पर है। इन सब के बावजूद अभी सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत विकास होना बाकी है।