इस आर्टिकल के माध्यम से फास्टैग क्या है(fastag kya hai)?, यह किस प्रकार काम करता है, इससे जुड़े हुए सभी तथ्यों को जानने की कोशिश करेगें।
सरकार के द्वारा 16 Fab 2021 से Fastag को अनिवार्य कर दिया गया है। अब किसी भी वाहन पर फास्टैग को लगाना अनिवार्य है। फास्टैग के अनिवार्य हो जाने के बाद देश में सभी टोल प्लाजा एवं नेशनल हाईवे को fastag प्रणाली के अनुरूप होना आवश्यक है।
Table of Contents
फास्टैग क्या है(fastag kya hai)?
फास्टैग का उपयोग डिजिटल रूप से टोल टैक्स को इकठ्ठा करने में किया जाता है यह इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन तकनीक है। जिसके उपयोग से हाईवे पर लगाने वाली गाड़ियों की लम्बी लाइनों से निजात पायी जा सकती है।
यह RFID तकनीक पर काम करता है। यह कोई नहीं टेक्नोलॉजी नहीं है। बल्कि इस टेक्नोलॉजी को हमारे द्वारा कभी न कभी इस्तेमाल किया गया ही होगा।
मेट्रो स्टेशन पर टोकन और मेट्रो कार्ड भी RFID टेक्नोलॉजी पर ही काम करते हैं।
RFID क्या है?
यह एक Radio Frequency Identification device होती है। इसे दो प्रकार से अलग किया गया है।
- Active RFID – इसको बैटरी से पावर दी जाती है।
- Passive RFID – इसे Windshield के ऊपर चिपकाया जाता है। इसके अंदर बैटरी नहीं लगी होती।
फास्टैग को कैसे काम में लाया जाता है?
फास्टैग radio frequency पर काम करता है। फास्टैग को किसी भी वाहन की Windshield के बीच में लगा दिया जाता है। जब यह वाहन टोल प्लाजा पर टोल काउंटर से गुजरता है तो, टोल काउंटर पर ऊपर लगे हुए स्कैनर की सहायता से फास्टैग को स्कैन कर लिया जाता है एवं स्कैनर के द्वारा स्वतः ही फास्टैग से पैसे काट लिए जाते हैं।
फास्टैग में न्यूनतम 100 रुपये का रिचार्ज होना चाहिए एवं अधिकतम सीमा 1 लाख रूपये तक की है। फास्टैग एक प्रकार से मोबाइल top-up की तहर है जब भी इसमें पैसे ख़तम हो जाये। बैंक अकाउंट की सहायता से फास्टैग को रिचार्ज कर सकते हैं।
फास्टैग के प्रकार
फास्टैग दो प्रकार का होता है
- M type- इसमें एक प्रकार के वाहन ही शामिल हैं। जैसे- प्राइवेट कार(जिनकी नंबर प्लेट सफ़ेद रंग की रहती है), इसमें फास्टैग का रंग violet रखा जाता है।
- N type- इसमें 6 प्रकार के फास्टैग आते हैं। जो अलग-अलग रंग के हैं। कमर्शियल गाड़ियों पर ऑरेंज रंग का, axle 2 गाड़ियों पर हरे रंग, axle 3 गाड़ियों पर पीले रंग, axle 4,5,6 गाड़ियों पर पिंक रंग, axle 7 पर sky blue रंग, एवं कोई machine है कोई तो black रंग का होगा।
फास्टैग कहाँ से लेना है?
फास्टैग को ऑनलाइन आवेदन करके भी प्राप्त किया जा सकता है। इससे समय की बचत होगी। अन्यथा फास्टैग को किसी भी बैंक की पॉइंट ऑफ़ सेल(POS) लोकेशन पर जाकर भी सीधे खरीदा जा सकता है। हाँ, बैंकों में आवेदन की प्रक्रिया अवश्य अलग हो सकती है। किन्तु अब टोल प्लाजाओं पर भी नए फास्टैग बनाये जाते हैं।
फास्टैग प्राप्त करने की प्रकिया
फास्टैग को प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन वेबसाइट पर जाकर रजिस्टर करना होगा। रजिस्ट्रेशन के लिए निजी विवरण जैसे नाम, पता, जन्मतिथि, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन संख्या आदि देना आवश्यक है।
इसके साथ ही KYC के लिए आधारसंख्या, पैन कार्ड होना चाहिए। सभी आवश्यक दस्तावेजों की स्कैन कॉपी जिसमें वाहन मालिक का पासपोर्ट साइज फोटो भी शामिल है, ऑनलाइन अपलोड करना होगा।
आवदेन करने के बाद जब आपका फास्टैग अकाउंट बन जायेगा तो उसे आप Fastag app की मदत से एवं ऑनलाइन भी देख सकते हैं।
सरकार को फास्टैग से फायदा क्या है?
परिवहन विभाग के द्वारा फास्टैग को अनिवार्य करने के साथ ही देश में फास्टैग उपभोक्ताओं की संख्या 2 करोड़ की संख्या को पर कर चुकी है। भारत सरकार को फास्टैग से देश के राष्ट्रीय राजमार्गों पर से 80 करोड़ प्रति दिन के हिसाब से राजस्व की प्राप्ति होती है। इस राजस्व को NETC(Nation Electronic Toll Collection) के द्वारा जुटाया जाता है। एक प्रकार से सरकार के द्वारा सड़क पर चलने के लिए टैक्स बसूला जाता है। जिसके लिए हाईवे पर जगह-जगह टोल लगाए जाते हैं।
फास्टैग से लाभ
फास्टैग का सबसे बड़ा फायदा समय की बचत को लेकर होगा। टोल प्लाजा पर गाड़ियों की भीड़ नहीं होगी। गाड़ियों की लाइन में गाड़ियों को स्टार्ट रखने से फ्यूल की खपत अधिक होती है। जिसकी वजह से प्रदुषण बढ़ता है। फास्टैग फ्यूल की बचत और प्रदुषण को कम करने में सहायक सिद्ध होगा।
फास्टैग उपभोक्ता के पैसे बचाने में भी सहायक होगा। यह ट्रैकिंग डिवाइस की तरह भी काम कर सकता है। जब भी गाड़ी से फास्टैग के जरिये टोल कटेगा, व्यक्ति के रजिस्टर मोबाइल पर SMS के जरिये जानकारी पहुंच जाएगी। गाड़ी के मनचाही जगह घुमाने पर नजर रहेगी।
टोल प्लाजा पर ऑनलाइन सिस्टम हो जाने से man power की जरुरत कम होगी। सब कुछ डिजिटल रूप में काम करने से चोरी जैसी घटनाएं कम होंगी।
फास्टैग से हानि
इसका सबसे बड़ा नुकसान बहुत अधिक डिजिटल होना भी हो सकता है। जब भी स्कैनर मशीन में टेक्निकल समस्या आ जाती है तो टोल प्लाजा पर गाड़ियों की लम्बी लम्बी लाइन लग जाती है।
फास्टैग गाड़ी की Windshield पर अंदर से लगता है। गर्मियों में गाड़ी की ओवरहीटिंग की वजह से फास्टैग ख़राब हो जाता है। जिसे फिर से लगवाना पड़ता है।
फास्टैग से असल समस्या उन लोगों को है जिन लोगों का घर टोल प्लाजा के पास है। और उन्हें टोलप्लाजा पार करके जाना होता है। अगर कोई व्यक्ति दिन में चार बार टोल प्लाजा को पार करता है तो उसे चार बार ही टोल देना होगा।
फास्टैग में एक समस्या क्लोनिंग की भी है। चोरी करने वाले लोग एकसमान फास्टैग बनवा लेते हैं। उस क्लोनिंग वाले फास्टैग से जब भी पैसा कटेगा वह असली मालिक के अकाउंट जायेगा।
फास्टैग की टेक्नोलॉजी को धीरे धीरे बेहतर किया जा रहा है पहले फास्टैग लगी हुई गाड़ियों के बीच टोल प्लाजा पार करते समय न्यूनतम दूरी 4 मीटर की होनी चाहिए थी। अन्यथा स्कैनर दूसरी गाड़ी को स्कैन नहीं कर पाता था। किन्तु अब यह समस्या दूर हो रही है।
अभी सरकार के द्वारा फास्टैग को अनिवार्य बना दिया गया है जो एक सकारात्मक कदम है। कुछ चुनौतियां हैं जिनसे निपटना जरुरी है, और जिस प्रकार से टेक्नोलॉजी अपग्रेड हो रहा है। फास्टैग भविष्य में टोलप्लाजा के लिए बहुत किफायती साबित होगा। इस आर्टिकल में फास्टैग क्या है(fastag kya hai) इसे बेहद सरल तरीके से जानने का प्रयास किया गया है। अगर आपका कोई सवाल फिर भी बचता है तो कमेंट सेक्शन में कमेंट कर सकते हैं।