Face Recognition Technology से फायदे कम नुकसान अधिक ?

Face Recognition Technology: सरकार पर हमेशा से जासूसी के आरोप लगते रहे हैं। चाहे वह किसी भी रूप में हो और कोई भी सरकार हो, देश की सुरक्षा और अपने निजी हितों की पूर्ति के लिए सरकारें ऐसे कदम उठाती रहती हैं। ऐसा ही आरोप पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर को लेकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार को कटघरे में खड़ा करता है। सरकार पर आरोप है कि सरकार के द्वारा पेगासस सॉफ्टवेयर की मदद से कार्यकर्ता, पत्रकार, राजनीतिक नेता आदि की जासूसी करवाई गयी।

इस मामले के बाद व्यक्ति की निजिता से जुड़ा हुआ एक मुद्दा उभरकर सामने आता है। यदि देश के प्रख्यात लोग की निजिता ही सुरक्षित नहीं है तो आम लोगों के निजी अधिकारों का क्या होगा? यह एक सवाल है जिस पर सोचना आवश्यक हो जाता है।

सरकार के द्वारा संसद के हर सत्र में बहुत से बिल पारित कर दिए जाते हैं। और अभी की स्थिति ऐसी हो गयी है की कई बिल तो बिना चर्चा के ही पलक झपकते ही पारित कर दिए गए हैं। किन्तु Personal Data Protection Bill 2019 को अभी तक लटकाया हुआ है। सरकार के द्वारा हर बार इसे संयुक्त समिति के पास वापस समीक्षा के लिए भेज दिया जाता है।

अभी सरकार अपराधियों को पकड़ने के लिए Face Recognition Technology को लाना चाहती है। किन्तु सरकार की यह जिम्मेदारी नहीं बनती कि पहले निजता की सुरक्षा के लिए बिल लाया जाये।

पुलिस तंत्र में सूचान प्रौद्योगिकी(IT) मदद(Face Recognition Technology)

पुलिस तंत्र में सूचना प्रौद्योगिकी को मजबूत करने के लिए सरकार ने National Automated Facial Recognition System(NAFRS)- राष्ट्रीय स्वचालित चेहरा पहचान प्रणाली को मंजूरी दे दी। ताकि अपराधियों की पहचान और जाँच में स्वचालित चेहरा पहचान प्रणाली का इस्तेमाल किया जा सके।

इस प्रणाली के द्वारा चेहरे की बनावट, चेहरे की हड्डियों का अनुपात आदि को डाटा के रूप में संग्रहित कर लिया जायेगा। जिसके आधार पर व्यक्ति की पहचान कर ली जाएगी। अगर कोई व्यक्ति चेहरा बदल कर गुमराह करने का प्रयास करता है जैसे प्लास्टिक सर्जरी के जरिये, तब भी उसके चेहरे की बनावट और अनुपात को सॉफ्टवेयर द्वारा पहचानकर व्यक्ति की पहचान करना संभव होता है।

इस प्रणाली से समस्या

  • जिस व्यक्ति की पहचान इस सॉफ्टवेयर के द्वारा की जा रही है यह जरुरी नहीं की वह सही व्यक्ति की ही पहचान करे। 70 प्रतिशत संभावना है कि सॉफ्टवेयर के द्वारा पहचान सही होगी, अगर पहचान गलत होती है तो सॉफ्टवेयर के कारण ही सही उस व्यक्ति को दोसी ठहराए जाने की संभावनाएं पैदा हो जाएँगी।
  • इस प्रकार के सॉफ्टवेयर के लिए जो डाटाबेस इस्तेमाल किया जायेगा। जिसके आधार पर सॉफ्टवेयर के लिए अल्गोरिथम तैयार की जाती है उसमें बच्चों महिलाओं पुरुषों को पहचानने की समान क्षमता होनी चाहिए। उसमें AI(Artificial intelligence) की सहायता से विकसित होने की क्षमता होनी चाहिए।
  • इस सॉफ्टवेयर के कारण सबसे बड़ी चिंता निजिता के अधिकार से जुड़ी हुई है। निजिता का अधिकार व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। 2017 के उच्चतम न्यायालय के निर्णय, जिसे जस्टिस केएस पुट्टास्वामी निर्णय के नाम से जानते हैं, में कहा गया था कि अगर निजिता के अधिकार का हनन किसी भी कारण से करना पड़ता है तो उसे तीन टेस्ट पर खरा उतरना होगा। 1. निजिता का हनन किसी कानून के आधार पर ही होना चाहिए। 2. जितनी आवश्यकता है केवल उतना ही किसी की निजता का हनन किया जाना चाहिए 3. और निजिता का हनन होते समय यह भी देखा जाये की उससे फायदे की अपेक्षा नुकसान तो अधिक नहीं हो रहा।

तकनीक को लेकर चिंताएं क्यों?

जानकर लोगों का मानना है कि इस सॉफ्टवेयर की मदद से फायदे से ज्यादा नुकसान अधिक होगा। अगर किसी अपराधी को पकड़ना है तो उसके लिए बड़े स्तर पर लोगों की निगरानी की जा सकती है। एक समय में बहुत से CCTV camera को खंगाला जा सकता है।

और यह जरुरी नहीं कि किसी व्यक्ति ने कोई अपराध किया हो तभी उसकी निगरानी की जाये, और यह कैसे तय होगा की जिसकी जासूसी की गयी है या जिस व्यक्ति की पहचान की गयी है उसके डाटा को कितने समय तक के लिए सम्हाल कर रखा जायेगा।

इन सवालों के चलते अभी सरकार की तरफ से किसी प्रकार की कोई गाइड लाइन भी जारी नहीं की गयी हैं और न ही किसी प्रकार का कोई कानून बनाया गया। जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी अधिकारी सॉफ्टवेयर का गलत इस्तेमाल न कर पाए। इससे अभी तक तो यही मालूम होता है कि इस सॉफ्टवेयर से फायदा कम नुकसान ज्यादा होगा।

दूसरे देशों में क्या?

USA में इस प्रकार के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होता है। किन्तु उस स्थिति में जब पुलिस को कोई लीड नहीं मिल रही हो। तब अपराधी कि पहचान के लिए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा सकता है। इग्लैंड और चीन के द्वारा भी इस प्रकार के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है।

हमारे देश में कई राज्यों के द्वारा इस प्रकार की तकनीक का इस्तेमाल किया जाने लगा है बिना कोई कानून पारित किये। जबकि बाहरी देशों में सॉफ्टवेयर के सही और गलत दोनों पक्षों को जानकर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है। USA में इस विषय के लिए खास कानून लाया गया। ताकि सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल के दुरुपयोग को रोका जा सके।

Face Recognition Technology को लाने के लिए देश में पर्याप्त कानून का होना आवश्यक है। किसी की निजता कि सुरक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है जिसे सरकार के द्वारा बेवजह तोड़ा नहीं जा सकता।

 

 

 

 

 

 

 

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