दुनिया की बड़ी कंपनियां, जिन्हे दुनिया में टेक्नोलॉजी के मामले में महारथ हांसिल है। इन्ही कम्पनीज को Jim Cramer ने फेंग(FAANG) नाम से परिभाषित किया है। अब इसमें दो कम्पनीज Amazon और Apple को भी शामिल किया गया है।
FAANG FIRMS से तात्पर्य:
F= Facebook , A= Amazon , A= Apple , N= Netflix , G= Google
विकसित देशों में इन कम्पनीज के खिलाफ मुहिम चालू की गयी है खासकर USA और यूरोपियन दिशों में, इस कम्पनीज पर बहुत से आरोप भी लगाए गए हैं।
FAANG firms 2020 में
2020 में पूरी दुनिया में कोरोना महामारी ने हालात को ख़राब कर दिया है। शायद ही कोई भी क्षेत्र ऐसा बचा हो जिस पर महामारी का असर नहीं हुआ हो। कोरोना ने देशों की इकॉनमी को निगल लिया है। बैलेंस ऑफ़ पेमेंट की स्थिति से कई देश जूझ रहे हैं। नए व्यापारी जो कोरोना से पहले पैदा हो रहे थे आज वह पूरी तरह बंद हो गए हैं। इन सभी स्थितियों में सबसे अधिक ख़राब हालत लोकल मार्केट्स की हुई है। जो लोग दुकान, रेड़ी, कोई छोटा बिज़नेस करते थे। Lockdown की वजह से सब कुछ पूरी तरह बंद ही रहा है और ऐसा हमारे देश में ही नहीं बल्कि दुनिया के सभी देशों की स्थिति ऐसी ही रही है। किन्तु
इतनी ख़राब स्थिति के बावजूद ऑनलाइन मार्किट जैसे- फ्लिपकार्ट, अमेज़न आदि ऑनलाइन प्लेटफार्म पर काम करने वाली कम्पनीज को बहुत अधिक फायदा हुआ है। इनकी स्थिति कोरोना के बावजूद बेहतर हुई है। बल्कि ऐसा कहा जाये कि कुछ ज्यादा ही अच्छी रही है।
खासतौर पर FAANG(Facebook , Amazon , Apple , Netflix & Google) फर्म्स के 2020 में शेयर 50% तक बढ़ गए। ये कम्पनीज पिछले 3 साल से 75% ग्रोथ दिखा रही हैं जो कोरोना के समय में और भी अधिक हो गया।
अमेज़न, एप्पल और अल्फाबेट(google के द्वारा अधिकृत) ये तीनों 1 ट्रिलियन डॉलर की कम्पनीज बन चुकी हैं, और जल्द ही फेसबुक भी इस लिस्ट में शामिल हो जायेंगी।
USA के शेयर मार्किट में 1/5th हिस्सेदारी इन FAANG कम्पनीज की है।
FAANG कम्पनीज से समस्यायें क्या हैं?
पहली समस्या तो यह है कि ये कम्पनीज अपने कम्पटीशन को मार्किट से ख़त्म कर रही हैं। जैसे- फेसबुक की बात करें तो इसने WhatsApp को खरीद लिया। फिर दूसरी समस्या Tax avoidance की है। और सबसे बड़ी समस्या जो है वह डाटा के सेफ्टी को लेकर है। इन कम्पनीज पर डाटा के बेचने सम्बंधित आरोप लगते रहे हैं।
फेसबुक पर USA के 46 states के अटार्नी जनरल ने सवाल खड़े किये हैं, फेसबुक की गलत मोनोपोली के लिए। अमेज़न कंपनी के ऊपर आरोप है कि यह खुद को हानि में दिखाकर बहुत से देशों में टैक्स को जमा ही नहीं कराती। एप्पल पर भी इसी प्रकार के आरोप हैं।
FAANG पर सवाल
US जस्टिस डिपार्टमेंट ने गूगल के ऊपर सवाल उठाये हैं। कि गूगल ने एप्पल के साथ समझौता करके बाजार को अपने हितो के अनुसार साधा है। जिस प्रकार से ये कंपनियां सोच रही हैं। उस हिसाब से अगर एप्पल के प्रोडक्ट्स में सिर्फ गूगल क्रोम के इस्तेमाल से, किसी और ब्राउज़र को कम्पटीशन में आने ही नहीं दिया जायेगा।
यूरोपियन यूनियन ने गूगल के ऊपर $2.7bn का फाइन लगाया गूगल पर आरोप है कि उसके द्वारा शॉपिंग सर्च रिजल्ट्स को फायदा पहुंचाया जा रहा था। EU के द्वारा तो यह भी खबर है कि यदि कंपनियां नहीं सुधरती तो इनके प्रॉफिट शेयर्स में से कुछ प्रतिशत प्रॉफिट शेयर्स लिया जायेगा। उसी प्रकार से Texas के अटर्नी जनरल के द्वारा भी गूगल पर सवाल खड़े किये हैं।
इन सभी बातों के पीछे एक कारण छिपा हुआ है कि बाजार में कम्पटीशन सकारात्मक, और ईमानदारी से हो।
भारत के बारे में क्या?
भारत के विषय में सवाल यह है कि क्या भारत DE- FAANG पालिसी को लेकर कुछ कर रहा है या अभी तक इस पर भारत के द्वारा कुछ सोचा नहीं गया। इसका जवाब हैं नहीं ।
भारत के द्वारा अभी तक तो इस बारे में कुछ सोचा नहीं गया। जैसे बात करें, कुछ समय पहले जब 4G नहीं था तो मार्किट में वोडाफ़ोन, आईडिया, एयरटेल, कम्पटीशन में थे और डोकोमो और अन्य कम्पनीज भी बाजार में उपलब्ध थी। लेकिन 4G आने के बाद जिओ ने जिस प्रकार से बाजार को अपने काबू में लिया। 4G प्लान्स पैसो को लेकर, जिओ ने बाजार में दूसरी कम्पनीज के लिए बाजार ही ख़त्म कर दिया।इस प्रकार से सोचें तो भारत के हिसाब से रिलायंस जिओ एक FAANG कंपनी हैं। FAANG कम्पनीज के खिलाफ जिस प्रकार का रुझान विश्व में दिख रहा। जिस प्रकार से पूरे विश्व में FAANG कम्पनीज पर रोक लगायी जा रही। उनके खिलाफ आवाज उठायी जा रही है। ऐसा भारत में नहीं देखने को मिल रहा।
समाचारों में जिस प्रकार से आकड़े हैं। उस हिसाब से फेसबुक रिलायंस जिओ में समझौता हुआ है और फेसबुक मुकेश अम्बानी की टेल्को में 43,574 करोड़ का निवेश कर रहा है। उसी प्रकार से गूगल के साथ जिओ का 33,737 करोड़ का समझौता हुआ है।
भविष्य में ही, यह जाहिर हो सकेगा कि भारत FAANG FIRMS के लिए किस प्रकार की पालिसी रखता है या भारत सरकार भारतीय कम्पनीज के लिए किस प्रकार से कदम आगे बढ़ती है? de-faang पालिसी जिस प्रकार से बाहर के देशों में चलायी जा रही उस पर भारत सरकार क्या सोचती है?
यह बात भी सच है कि भारत में डाटा प्रोटेक्शन, प्राइवेसी से सम्बंधित कानून को कठोर करने की बात चल है। अगर भारत सरकार कानून बनती है या उन्हें कठोर करती है तो यह भारत में भी एक नई बहस को जन्म दे देगें। एवं FAANG FIRMS द्वारा भारतीय कम्पनीज में जो इन्वेस्टमेंट किया जा रहा उस पर भी सवाल खड़े हो सकते है?