इस बार दीवाली यानि की Diwali in 2021- 4 november को गुरुवार के दिन पड़ रही है। इसे दीपावली भी कहते है। यह भारत के सबसे बड़े और धार्मिक त्यौहार में से एक है। इसे हम दीपों का त्यौहार भी कहते है। दीवाली हिन्दुओं का त्यौहार है, भारत में सभी इसे बहुत ही धूम धाम के साथ मनाते हैँ। पुराने वेदों और गाथाओं के अनुसार कहा जाता है क़ि दीपावली के दिन भगवान राम अयोध्या को लोटे थे,अपने चौदह वरस के वनवास को पूरा करके। तब आयोध्या में रहने बाले लोगों ने अपने राजा श्री राम का स्वागत घी के दीप जला कर किया था। वह कार्तिक मास की अमावस्या की काली रात थी जिसे दीपों की रोशिनी से भर दिया गया। तक से आज तक हर भारतीय हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को यह प्रकाश-पर्व मनाते आ रहे हैँ। भारतवासियों का विश्वास है कि सत्य की सदा झूट पर जीत होती है।
‘तमसो मा ज्योतिर्गमय ‘
मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो।
दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द से हुई है । संस्कृत में दो शब्द ‘ दीप ‘अर्थात ‘ दिया ‘ ,’आवली ‘अर्थात ‘ लाइन ‘ के मिलने से हुई है । दीपावली जिसे दीवाली भी कहते है उसे अन्य भाषाओ में अन्य अन्य नामो से जाना जाता है जैसे- नेपाल – तिहार , उड़िया – दीपावली , सिंधी – दियारी |
दीवाली परम्परा
दीवाली स्वच्छता ओर प्रकाश का पर्व है कई सप्ताह पहले से ही दीवाली की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लोगों में दीवाली की बहुत जिज्ञासा रहती है लोग अपने घरो दुकानों की अच्छी तहर से सफाई करते हैं नए कपङे पहनते हैं । घर घर में रंगोलिया बनायी जाती हैं बाजार की सड़के सजा दी जाती हैं। चारों तरह रोशनी का मंजर फैला होता है । इस दिन मिठाईओं को उपहार के रूप में दिया जाता है साथ ही साथ एक दूसरे को दीवाली की बधाईयाँ दी जाती हैं। हर घर में लक्ष्मी जी गणेश जी पूजा होती है, घर घर में दिए जलाये जाते हैं। आतिशबाजी की जाती है। घर के सभी सदस्य बड़े छोटे इस त्यौहार में भाग लेते हैं। अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व भाई-चारे व् प्रेम का प्रतीक हैं।
Diwali in 2021
सयम के साथ दीवाली मनाने के तरीको में भी बदलाव आ गया है। हर साल कोर्ट द्वारा प्रदूषण काम करने के लिए प्रशासन को आदेश दिया जाता है ताकि वह पटाखों द्वारा होने वाले प्रदूषण पर पाबंदी लगा सकें। diwali in 2021 के त्यौहार में प्रशासन हर बार की तरह इस बार भी कार्य करेगा। किन्तु इस बार लोगों को खुद के स्तर पर भी दीवाली को प्रदूषण मुक्त बनाने का प्रयास करना चाहिए। पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों हमारा ही भाग हैं।
वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जलने की समस्या, जानवरो को परेशानी इन सब का सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे वातावरण, हमारे शहर और हमारे लोगों पर पड़ता है। दीवाली के दिन की गयी आतिशवाजी से निकलने वाला धुँआ इतना अधिक वायु को प्रदूषित कर देता है कि सामान्य दिन होने के बाद भी लोग आँखो में जलन साँस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं को झेल रहे होते हैं। औसतन और दिनों से दो गुना अधिक जहरीली वायु हो जाती है।
दीवाली रोशनी का त्यौहार है और इसे रोशनी के साथ ही मनाना चाहिए बाजार में मिटटी के दीपकों, और मोमबत्तियों से बाजार घिरा रहता हैं घरों को सजाने के लिए नयी नयी झालरें, रंगोली के डिज़ाइन, diwali greetings, diwali photo आदि बाजार में मिलती हैं। दीवाली में सबसे अधिक महत्व दीवाली पूजन का है जिसमें घर के सभी सदस्य एक साथ आकर पूजा करते हैं। ऐसा और किसी पूजा में होते हुए नहीं देखा होगा। यह त्यौहार रोशनी और प्रेम का त्यौहार है इस लिए हम सभी को यह प्रयास करना चाहिए कि diwali in 2021 में कम से कम प्रकृति को नुकसान पहुँचायेंगे और जानवरों और बुजुर्ग लोगों का भी खयाल रखेंगे।