Dark Web क्या है इसके विषय में बहुत कम जानकारी है। किन्तु यह भी इंटरनेट का ही एक रूप है। जो आम लोगों की पहुंच से दूर है किन्तु लोग इसका विवादित तरह से इस्तेमाल करते हैं। ऐसी बहुत सी सीक्रेट सोसाइटी है जो बहुत समय से डार्क वेब पर काम कर रही है।
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इंटरनेट इस्तेमाल में प्रकार और Dark Web
इंटरनेट के इस्तेमाल को तीन भागों में बांटा गया है जिसमें शामिल है
- Surface Web: इसमें वह शामिल है जो किसी व्यक्ति के द्वारा गूगल में टाइप कर के खोजा जाता है। जिसे www(world wide web) में शामिल किया जाता है। इस surface web में रोचक बात यह है कि यह पूरे इंटरनेट का केवल 4% ही है।
- Deep Web: इसके सर्च में कंटेंट दिखाई नहीं देता। जैसे- पासवर्ड। किसी भी कंटेंट का एक एड्रेस होता है। अगर उस एड्रेस में आप एंटर करना चाहते हैं तो उसमें सिक्योरिटी एक्सेस आपको नहीं दिया जायेगा। Deep Web के जरिये जो काम होता है वह लीगल है जैसे- web mail, online banking .
- Dark web: यह डीप वेब का ही भाग है। इसे न तो search engines के द्वारा दिखाया जायेगा न गूगल के द्वारा। किन्तु अगर व्यक्ति के पास login id है या Ip address और url है तो आसानी से dark web में पहुंच हो सकती है। डार्क वेब में पहुंच के लिए आपको अलग तरह के browsers की आवश्यकता होती है। जैसे- Tor browser. डार्क वेब का उपयोग अच्छा या बुरा हो सकता है। ये उपयोग पर निर्भर है कि वह कैसे इस्तेमाल करता है।
इंटरनेट का 96% काम Deep Web और Dark Web पर ही किया जाता है।
डार्क वेब के खतरे क्या हैं?
इंटरनेट के जितने भी गैरकानूनी काम है वह सभी डार्क वेब के जरिये ही किये जाते हैं। किन्तु इसका ये मतलब नहीं है कि डार्क वेब का सही इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। जैसे किसी भी एजुकेशन नजरिये से इसका इस्तेमाल कर सकते हैं किन्तु ऐसा गूगल के जरिये करा जाना सुरक्षित है।
डार्क वेब पर हेराफेरी या आपके फसने की संभावना अधिक होती है। हथियारों की खरीद फरोख्त डार्क वेब के द्वारा ही की जाती है। ह्यूमन ट्रैफिकिंग, बॉडी पार्ट्स को इसके जरिये बेचा जाता है। जानवरों को बेचा जाता है उनके बॉडी पार्ट्स को, जिन्हे सरकार के द्वारा प्रतिबंधित किया गया हो। लोगों की बैंक डिटेल्स, ड्रग्स आदि सभी टाइप के गैरकानूनी काम यहाँ पर होते हैं।
Red room जैसी बातें भी यहाँ से सुनने में आती हैं। जहाँ लोग पैसा देकर सब्सक्रिप्शन लेते हैं। जहाँ पर लोगों को टॉर्चर किया जाता है। लेकिन यह बात कितनी सच है इसका कोई अनुमान नहीं है।
डार्क वेब में जो भी ट्रांजेक्शन किया जाता है वह अधिकतर crypto-currency के द्वारा किया जाता है।
डार्क वेब पर पाबंदी
अलग अलग देशों में डार्क वेब को लेकर अलग अलग मत है। जैसे अमेरिका में डार्क वेब लीगल है वहीँ चीन में डार्क वेब पर कठोर पाबंदी है चीन के द्वारा vpn पर मजबूत निगरानी रखी जाती है।
किसी भी सरकार के लिए सबसे बड़ी समस्या, डार्क वेब पर चल रहे गैरकानूनी काम तक पहुंच को लेकर है क्यों कि इस प्रक्रिया में Ip address और यूजर के VPN को इतनी बार बदला जाता है कि व्यक्ति तक पहुंच पाना बहुत मुश्किल होता है।
डार्क वेब में VPN(Virtual private network) की भूमिका
डार्क वेब को चलाने के लिए कोई खास ब्राउज़र का इस्तेमाल करना पड़ता है जैसे tor ब्राउज़र का उपयोग करके, कभी कभी सरकारों के द्वारा कुछ एप्लीकेशन और साइट्स को बैन कर दिया जाता है तो उन तक VPN या प्राइवेट नेटवर्क के जरिये पंहुचा जा सकता है। किन्तु इसमें भी सुरक्षित VPN का इस्तेमाल करना चाहिए। इसी प्रकार से डार्क वेब में भी VPN के द्वारा प्रवेश किया जाता है।
अभी भी डार्क वेब पूरी तरह विकसित नहीं हुआ है। लेकिन समय के साथ इसका प्रभाव बढ़ रहा है जिसके कारण क्राइम को बढ़ावा मिल रहा है। इंटरनेट पर चुनोतियाँ और भी अधिक बढ़ गयी है। जिसमें सुरक्षा एवं प्राइवेसी के मुद्दे अहम् हैं। किन्तु इसके जरिये सही दिशा में भी कार्य किये जा सकते हैं जो इच्छा शक्ति में थोड़ा चुनौतीपूर्ण दिखाई देते हैं। अनुमान है कि इस जानकारी से Dark Web क्या है इस पर कुछ पारदर्शिता आयी होगी।