चक्रवात क्या है(cyclone kya hai)?

चक्रवात क्या है(cyclone kya hai)? इसे समझने के लिए हवाओं के सम्बन्ध को समझना होगा। परन्तु यह ऐसे निम्न वायुदाव वाले क्षेत्र होते हैं जहँ वायु अंदर की ओर घूमती है। चक्रवात को दो भागों में अलग किया गया है।

  1. उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Tropical cyclone)
  2. समशीतोष्ण वाताग्री/ मध्य अक्षांशीय चक्रवात (Extra Tropical cyclone)

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Tropical cyclone kya hai)

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात का संबंध वृत्ताकार समदाब(Circular isobar) रेखाओं से घिरे एक ऐसे निम्नवायुदाब के केंद्र से है। जिसका विकास उष्ण कटिबंधीय महासागर(Tropical ocean) की सतह पर होता है। इस निम्न वायुदाब(Low pressure) के केंद्र में चलने वाली वायु की दिशा उत्तरी गोलार्द्ध(Northern hemisphere) में वामावर्त(Anti clock wise) और दक्षिणी गोलार्द्ध(Southern hemisphere) में दक्षिणावर्त(clock wise) होती है।

विश्व मौसम संगठन (WMO) के अनुसार वृत्ताकार समदाब रेखाओं से घिरे हुए निम्न वायुदाब के केंद्र को वायु की गति के आधार पर (32 m/sec से अधिक) उष्ण कटिबंधीय चक्रवात के रूप में परिभाषित किया गया है।

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Tropical cyclone) के नाम

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात को चीन सागर में टायफून, जापान में टायफू, फिलीपींस में वायगू, ऑस्ट्रेलिया में willy willies , कैरेबियन सागर में हरिकेन और हिन्द महासागर में cyclone कहा जाता है।

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Tropical cyclone) बनने की प्रक्रिया

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात को ऊष्मा की प्राप्ति संघनन(condensation) के समय निष्काषित ऊष्मा से होती है। संघनन के समय ऊष्मा का अधिक मात्रा में निष्काषित होने के लिए वायुमंडलीय आर्द्रता(Atmospheric humidity) अधिक होना आवश्यक है जो वाष्पीकरण के प्रभावशाली होने पर ही संभव है। इसलिए जब समुद्र की सतह का तापमान कम से कम 27 डिग्री सेल्सियस होता है तब उष्णकटिबंधीय चक्रवात के विकास के लिए अनुकूल दशायें उत्पन्न होती हैं।

जल की सतह का तापमान अधिक होने पर संवहन तरंग के रूप में आरोहण(वायु के ऊपर उठने) से निम्न वायुदाब के केंद्र में चक्रवाती दशा उत्पन्न होती है। जहाँ सतह के समीप निम्न वायुदाब के केंद्र में वायु के अभिसरण(एक बिंदु की ओर जाना) और क्षोभमंडल(Troposphere) की ऊपर की परतों में वायु का अपसरण(वायु के निचे झुकने) होना आवश्यक है।

विषुवत रेखीय क्षेत्र में इन सभी दशाओं के अनुकूल होने पर कोरियोलिश बल का प्रभाव नगण्य होने के कारण चक्रवातीय दशा उत्पन्न नहीं हो पाती। कोरियोलिश बल के प्रभावशाली होने पर ही निम्न वायुदाब के केंद्र में वायु के चक्रीय प्रवाह से चक्रवाती दशा उत्पन्न होती है। यही कारण है कि ग्रीष्म ऋतु के समय जब ITCZ( Inter Tropical Convergence Zone) का विषुवत रेखीय क्षेत्र से ऊष्ण कटिबंधीय महासागर की सतह की ओर विस्थापन होता है तब वह क्षेत्र चक्रवात की उत्पत्ति के लिए सर्वाधिक उपर्युक्त क्षेत्र बन जाता है।

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात के विकास के लिए सभी दशाओं के अनुकूल होने पर भी जेट स्ट्रीम की उपस्थिति होने पर भी जेटस्ट्रीम की उपस्थिति में चक्रवात की उत्पत्ति नहीं होती है। इस प्रकार जेटस्ट्रीम की अनुपस्थिति में ऊष्ण कटिबंधीय महासागर की सतह पर ग्रीष्म ऋतु के समय विभिन्न कारकों के सम्मिलित प्रभाव से चक्रवात के विकास के लिए अनुकूल दशायें उत्पन्न होती हैं।

ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात का जीवन काल

सामान्यतः ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात का विकास सनमार्गी और व्यापारिक पवन के प्रभावित क्षेत्र में होता है। इसलिए व्यापारिक पवन के द्वारा चक्रवात का विस्थापन पूर्व से पश्चिम की ओर होने पर महाद्वीप के पूर्वी तट पर चक्रवर्तीय वर्षा होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

लेकिन जब कभी भी चक्रवात का विस्थापन अपेक्षाकृत कम तापमान वाले जल की सतह या स्थलीय सतह की ओर होता है। तब ऊष्मा के स्रोत से संपर्क समाप्त हो जाने पर ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात का विघटन हो जाता है। इसी प्रकार चक्रवात का विस्थापन विषुवत रेखीय क्षेत्र में होने पर कोरोलिस बल का प्रभाव नगण्य हो जाने के कारण चक्रवात का विघटन हो जाता है।

ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात का कोई निश्चित जीवनकाल नहीं होता बल्कि चक्रवात का विकास होने पर चक्रवात से प्रभावित तटीय क्षेत्र में जनधन की व्यापक हानि होती है। इसलिए इसे प्राकृतिक आपदा का नाम दिया गया है।

समशीतोष्ण वाताग्री/ मध्य अक्षांशीय चक्रवात (Extra Tropical cyclone kya hai)

समशीतोष्ण वाताग्र का संबंध ऐसे ढलुआ असांतत्य ऊर्ध्वाधर सतह से है जो ठंडी और गर्म वायु के क्षेत्र को अलग करता है। वाताग्र के दोनों दोनों तरफ क्षैतिज ताल पर तापमान डाब और आर्द्रता संबंधी विशेषताओं में अंतर होता है तापीय प्रवणता के अधिक होने पर वाताग्र का विकास होता है। वाताग्र पर गर्म वायु के ऊपर उठने पर एडियाबेटिक शीतलन के द्वारा तापमान में कमी के साथ सापेक्ष आर्द्रता में वृद्धि होने पर जब वायु संतृप्त हो जाती है। तब संघनन के बाद वाताग्री वर्षा होती है।

समशीतोष्ण वाताग्री(Extra Tropical cyclone)

मध्य आक्षांशीय क्षेत्र में पछुआ पवन और ध्रुवीय पूर्वी पवन के अभिसरण से तापीय प्रवणता के कारण वाताग्र जनन की प्रक्रिया के समय सर्व प्रथम स्थित वाताग्र का विकास होता है। इस वाताग्र पर गर्म और ठंडी वायु की दिशा एक दूसरे के समान्तर लेकिन विपरीत होती है क्यों कि दोनों वायु राशियों में कोई भी वाताग्र पर शक्रिया नहीं होती। इसलिए स्थिर वाताग्र पर सामान्यतः मौसम में कोई परिवर्तन नहीं होता लेकिन यहाँ स्थित अल्पकालिक होती है। क्यों कि जैसे ही पछुआ पवन अर्थात गर्म वायु शक्रिया होकर ठंडी वायु के क्षेत्र में प्रवेश करती है। ऊष्ण वाताग्र का विकास होता है। इस वाताग्र पर तापमान में वृद्धि के साथ विशिष्ट आर्द्रता में भी वृद्धि होती है। गर्म वायु का आरोहण होने के कारण निम्न वायुदाब के केंद्र में चक्रवात की दशा उत्पन होती है जब इसी निम्न वायुदाब के केंद्र में ठंडी वायु शक्रिया होकर प्रवेश करती है तब शीत वाताग्र का विकास होता है।

ऊष्ण वाताग्र का ढाल मंद होने के कारण गर्म वायु का विष्तृत क्षेत्र में मंद गति से आरोहण होता है। जिस मंद गति से विष्तृत क्षेत्र में अधिक समय तक वाताग्री वर्षा होती है वहीँ शीत वाताग्र पर ठंडी वायु के द्वारा गर्म वायु को ऊपर की ओर विस्थापन किये जाने के कारण शीत वाताग्र का ढाल तीव्र होता है जहाँ सामान्यतः विद्युत गर्जन के साथ तीव्र गति से कम समय के लिए सीमित क्षेत्र में वाताग्री वर्षा होती है।

चूँकि ऊष्ण वाताग्र की अपेक्षा शीत वाताग्र का विस्थापन तेज़ी से होता है। इसलिए जब शीत वाताग्र ऊष्ण वाताग्र से मिल जाती है तब संरोधी वाताग्र का विकास होता है। इस वाताग्र पर सामान्यतः तीव्र गति से वर्षा होती है वर्षा के समाप्त हो जाने के बाद ठंडी वायु का सतह की ओर स्थापित होने के कारण तापमान में तीव्र दर से कमी आती है। जिससे उच्च वायुदाव का विकास होने के साथ वाताग्र का क्षय हो जाता है। इस प्रकार मध्य अक्षांशीय क्षेत्र में वाताग्र जनन के बाद निम्न वायुदाब के केंद्र में चक्रवाती दशा उत्पन्न होने पर जहाँ वाताग्री वर्षा होती है। वहीँ वाताग्र क्षय के बाद उच्च वायुदाब के केंद्र में प्रतिचक्रवात की दशा उत्पन्न हो जाने के कारण आसमान साफ़ हो जाता है।

इस आर्टिकल में चक्रवात क्या है(cyclone kya hai)? कैसे आता है?, इस विषय पर जानकारी दी गयी है। जिसका उपयोग किसी भी परीक्षा के नजरिये से किया जा सकता है। अगर आपका कोई सुझाव है तो वह कमेंट में दे सकते हैं। धन्यवाद्!

 

 

 

 

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