Coral Reef in Hindi: ऑस्ट्रेलिया की पर्यावरण समूह की क्लाइमेट कॉउंसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार ग्रेट बैरियर रीफ ( The Great Barrier Reef) एक व्यापक विरंजक घटना का सामना कर रही है। वर्ष 1998 के बाद से यह रीफ की छठी ऐसी व्यापक विरंजन घटना थी। यह रिपोर्ट वर्ष 2016 से 2020 तक पिछली तीन सामूहिक विरंजन(Bleaching) घटनाओं की ओर इशारा करती है, जिसके तहत महत्वपूर्ण प्रवालों की हानि हुई है तथा जानकारी दी गयी है की कई प्रवाल प्रजातियों की ‘सामूहिक मृत्यु’ भी हुई है।
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ग्रेट बैरियर रीफ क्या है?
यह विश्व का सबसे व्यापक ओर समृद्ध प्रवाल भित्ति पारिस्थितिकी तंत्र है, जो 2900 से अधिक भित्तियों और 900 से अधिक द्वीपों से मिलकर बना है। यह ऑस्ट्रेलिया के क्वीन्सलैंड के उत्तर-पूर्वी तट पर 1400 मील तक फैला है। इसे बाह्य अंतरिक्ष से देखा जा सकता है और यह जीवों द्वारा बनाई गयी विश्व की सबसे बड़ी एकल संरचना है।
यह समृद्ध पारिस्थिकी तंत्र अरबों छोटे जीवों से मिलकर बना है जिन्हे प्रवाल पॉलिप्स के रूप में जाना जाता है। इसे वर्ष 1981 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में चुना गया था।
प्रवाल भित्ति क्या है?(Coral Reef in Hindi)
प्रवाल एक चूना प्रधान जीव है जो मुख्यतः कठोर रचना वाले खोल होते हैं जिसमें मुलायम जीव रहते हैं। ये जीव Zooxanthellae नामक छोटे शैवाल जैसे सजीवों के साथ सहजीवी संबंध बनाकर रहते हैं। कोरल पॉलिप्स पोषक तत्वों के बदले में ज़ूजैंथिली भी प्रवालों को अलग-अलग रंग प्रदान करते हैं। ये मुख्यतः उष्णकटिबंधीय महासागरों में पाए जाते हैं क्यों कि इनके जीवित रहने के लिए 20 डिग्री से 21 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है।
प्रवाल छिछले जल स्तर में पाए जाते हैं क्यों कि अधिक गहराई पर सूर्य के प्रकाश व ऑक्सीज की कमी होती है। जब किसी प्रवाल का जीवनचक्र समाप्त होता है तो दूसरा उसी के साथ कड़ी के रूप में विकसित होता है। इसकी आकृति वृक्ष के समान बन जाती है। इस प्रकार जीव मरने के उपरांत दीवार की भांति एक विशिष्ट प्रकार की संरचना का निर्माण करते है इस संरचना को ही प्रवाल भित्ति कहते हैं।
समुद्री पारितंत्र में प्रवाल एक कीस्टोन प्रजाति मानी जाती है। इन्हे समुद्र का वर्षावन भी कहा जाता है।
प्रवाल विरंजन क्या है? (Coral Reef in Hindi)
पर्यावरणीय घटकों के नकारात्मक प्रभाव के कारण प्रवाल एप ऊतकों में निवास करने वाले सहजीवी शैवालों को बहार निकल देते हैं जिससे प्रवाल अपने वास्तविक सफ़ेद रंग में आ जाते हैं, इसे ही प्रवाल विरंजन कहते हैं।
मुद्दे
प्रवाल विरंजन की मुख्य घटना समुद्री तापमान में वृद्धि के कारण होती है। तापमान बढ़ने से स्वस्थ्य प्रवाल पर दबाव पड़ने लगता है। विश्व की 26% कोरल रीफ अति संकटग्रस्त है। लगभग 35 मिलियन कोरल रीफ जो कि 93 देशों में फैली हुई है विनाश के कगार पर है। पिछले 20 सालों में विश्व की 20% कोरल रीफ समाप्त हो चुकी है। वर्तमान में 30% कोरल रीफ ही संकटग्रस्त स्थिति से बाहर है।
प्रवाल भित्तियों पर खतरे के मुख्य कारण
प्राकृतिक कारणों में: अलनीनों, सागरीय अम्लीकरण, हरिकेन, रोग तथा प्रवाल भित्तिओं का उपयोग करने वाले समुदाय आदि इसके विनाश के कारक हैं।
मानवीय कारण में: मछली पकड़ने की गलत तथा क्षतिकारी पद्धति, तटीय विकास, वैश्विक तापमान में वृद्धि, पर्यटन, समुद्री प्रदुषण, समुद्री अवसादों में वृद्धि, कोरल खनन, नौ- परिवहन, आदि प्रवालों को क्षति पहुंचने वाले मानवीय कारक हैं।
भारत में प्रवाल भित्ति
भारत में प्रवाल भित्ति मुख्यतः 4 जगहों पर पायी जाती हैं।
- अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह
- मुन्नार की खाड़ी
- लक्षद्वीप
- कच्छ की खाड़ी
प्रवाल भित्तिओं की आवश्यकता
प्रवाल भित्तियां(Coral Reef in Hindi) पृथ्वी पर उपस्थित सर्वाधिक जैव-विविधता वाले उत्पादक पारितंत्र में से एक है। ये तट रेखाओं के लिए प्राकृतिक अवरोधकों की तरह कार्य करते हैं। ये तटों को तूफानों, हरिकेन और चक्रवात से होने वाली क्षति से बचाती है।
प्रवाल भित्तिओं को बचाने के लिए बहुत सी संस्थाएं कार्य कर रही हैं। भारत में भारतीय प्राणी सर्वेक्षण(ZSI), गुजरात के वन विभाग की मदद से बायोरोक या खनिज अभिवृद्धि तकनीक का उपयोग करके प्रवाल भित्तिओं को फिर से जीवित करने के प्रयास किये जा रहे हैं।