भारत नेट परियोजना(Bharat Net pariyojana) को लेकर सरकार नए तरीके से बदलाव लाने पर विचार कर रही है। सरकार के द्वारा कहा गया है कि 16 राज्यों में PPP(public private partnership) के आधार पर भारत नेट परियोजना को आगे बढ़ाया जायेगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा क्यों कि इस प्रोग्राम से जो डाटा स्पीड प्रबंधन होना चाहिए था वह प्राप्त नहीं हो सका।
अभी तक सरकार के द्वारा 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को भारत नेट प्रोग्राम के तहत ब्रॉडबैंड सेवा से जोड़ा जा चुका है। किन्तु अभी भी ग्राम पंचायतों के इतर ऐसे दूरस्थ गांव हैं जहाँ ऑप्टिकल फाइबर नहीं पहुंच सकी है। PPP मॉडल के तहत इन्ही क्षेत्रों पर ध्यान दिया जायेगा।
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भारत नेट क्या है?(Bharat Net pariyojana)
2011 में उस समय की सरकार के द्वारा NOFN(National Optical Fibre Network) शुरू किया गया। 2014 में मोदी सरकार के द्वारा इसका नाम बदलकर भारत नेट प्रोजेक्ट कर दिया गया। जिसके तहत 100Mbps स्पीड के साथ 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया।
भारत नेट को लागू करने के लिए अलग से Bharat Broadband Network Limited(BBNL) बनाया गया। जिसे टेलीकॉम मिनिस्ट्री के अंतर्गत रखा गया। यह एक SPV(Special Purpose Vehicle) है।
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य किफायती दरों पर पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर के ज़रिये हाईस्पीड ब्रॉडबैंड उपलब्ध कराना है एवं इसके साथ ही राज्यों तथा निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी से ग्रामीण तथा दूर-दराज़ के क्षेत्रों में नागरिकों एवं संस्थानों को सुलभ ब्रॉडबैंड सेवाएँ उपलब्ध कराना है।
भारत नेट प्रोग्राम में PPP मॉडल
भारत नेट प्रोग्राम की स्थिति को देखते हुए सरकार संशोधित रणनीति के तहत PPP मॉडल के जरिये भारत नेट के निर्माण, उन्नयन, संचालन, रखरखाव और उपयोग के लिए प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया(competitive bidding process) का सहारा लेगी।
अब इस प्रोग्राम को ppp मॉडल के तहत ग्राम पंचायतों के बाहर भी पहुंचाया जायेगा। साथ ही भारत नेट प्रोग्राम में पैसों की कमी को दूर करने के लिए 19041 करोड़ का एक फण्ड(Viability Gap Fund) बनाया जायेगा जो PPP मॉडल से अलग होगा।
भारत नेट प्रोग्राम में PPP मॉडल का महत्व
- दक्षता में वृद्धि: प्राइवेट सेक्टर में जाने से रखरखाव एवं उपयोगिता बढ़ेगी जो राजस्व उत्पत्ति में सहायक हो सकता है।
- त्वरित कार्यान्वयन: भारत नेट में प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कार्य करने की गतिविधि तेज़ होगी।
- गुणवत्ता युक्त सेवाएं: PPP मॉडल के लागू होने से प्राइवेट सेक्टर प्रतियोगिता में बने रहने के लिए अपनी सेवाओं को गुणवत्ता पूर्ण रखेंगे। जिससे हाई स्पीड ब्रॉडबैंड सेवा मिल सकेगी।
- ई सेवा की बेहतर पहुंच: जो लोग दूर दराज के क्षेत्रों में रहते हैं जहाँ तक हाई स्पीड नेट नहीं पहुंच पाता, ऐसी स्थति में सरकार द्वारा चलायी गयी योजनाओ की पहुंच लोगों तक नहीं हो पाती।
- संवर्द्धन आवेदन: इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने से स्किल डेवलपमेंट, e-commerce , ऑनलाइन एजुकेशन, टेलीमेडिसिन जैसे क्षेत्रों में लोगों की पहुंच को बेहतर किया जा सकता है।
- राजस्व में वृद्धि: फाइबर नेटवर्क के फैलाने से प्राइवेट संस्था, मोबाइल टावर, डार्क फाइबर से सेवाओं को बेचकर राजस्व प्राप्त किया जा सकता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों के लिए लाभ: भारत की अधिकतम जनसँख्या गांव में रहती है। गांव के स्तर पर मोबाइल और इंटरनेट जैसे साधनों की पहुंच शहरों के मुकाबले बहुत कम है। इस खायी को पाटकर गांव के स्तर पर जागरूकता और सुविधाओं को बेहतर रूप से पहुंचाया जा सकता है।
भारत नेट प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग का कार्य Universal Service Obligation Fund(USOF) के द्वारा किया जाता है। भारत नेट को सहयोग देने के लिए Central Public Sector in Undertaking(CPSUs) BSNL , Railtel , PGCIL आदि के द्वारा फाइबर नेटवर्क को बढ़ाने में सहयोग होगा।
भारत नेट क्यों जरुरी?(Bharat Net pariyojana)
इंटरनेट सुविधा पहुंचने के लिए यह दुनिया का सबसे बड़ा ग्रामीण इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट है और इस प्रोजेक्ट को बिना किसी भेदभाव के गांव के हर ग्रामपंचायत तक पहुंचाया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट की पूर्ति के लिए बहुत बड़े स्तर पर फाइबर नेटवर्क का जाल बिछाया जा रहा।
फाइबर नेटवर्क के लाभ
- बड़े स्तर पर इस परियोजना से ब्रॉडबैंड सेवा की कीमते घटेंगीं। बहुत सी जगहों पर फ्री में wifi hotspot उपलब्ध हो सकेंगे।
- फाइबर नेटवर्क को तेजी से लगाया जा सकता है और इसकी मरम्मत करना आसान है।
- फाइबर नेटवर्क के जाल से इकॉनमी को गति मिलेगी। जरुरी संस्थानों को तेज़ स्पीड नेट उपलब्ध होगा।
- मेक इन इंडिया प्रोग्राम के लिए यह आवश्यक है।