भारत का किसान(Farmer of India): उसकी आय का संघर्ष

भारत एक कृषिप्रधान देश है सन2011 की जनगणना के अनुसार यहाँ की 68.84% आबादी गावों में बसती है। आजादी के समय से आज तक भारत का किसान(Farmer of India) अपनी आय के लिए लड़ाई लड़ रहा है। सरकार के द्वारा 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का वादा किया गया है।

भारतीय कृषि का महत्व इस बात से लगाया जा सकता है की दुनिया के मात्र 2.4% क्षेत्र और 4.2 % पानी से हम विश्व की 17.4% आबादी का भरण पोषण करते हैं। आज भारत ने खेती में आत्मनिर्भरता तो प्राप्त कर ली है लेकिन इससे किसानों की आय में आज की महंगाई के हिसाब से अधिकतम लाभ प्राप्त नहीं हुआ। NCRB(National Crime Records Bureau) के आंकड़ों के अनुसार सन 2018 में 10,349 किसानों ने आत्महत्या कर ली थी।

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने अगस्त 2018 में एक रिपोर्ट जारी की- (नाबार्ड अखिल भारतीय ग्रामीण वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण 2016-17), इसके अनुसार 2017 में एक किसान परिवार की महीने की कुल आय 8,931 रुपये बताई गयी एवं उस किसान परिवार की औसत सदस्य संख्या लगभग 5(4.9) है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि परिवार के प्रत्येक सदस्य की आय 61 रुपया प्रतिदिन थी।

भारत का किसान(Farmer of India) इस स्थिति में कैसे?

इसके कई कारण है जिसमें कुछ कारण तो सीधे हमसे जुड़े हुए हैं और दूसरे वे कारण हैं जिनके लिए सरकार को जिम्मेदार होना चाहिए।

हमसे जुड़े हुए कारण

आजादी के बाद ज्यादातर भूमि का हिस्सा जमीदारों के पास था जमींदारी तो ख़तम हो गयी लेकिन वह भूमि के स्वामी बने ही रहे अर्थात आज के समय भी छोटे किसानों के पास जमीन नहीं है वह पट्टे पर खेती किया करते हैं अगर जमीन हैं भी तो जोत का आकर बहुत छोटा है। देश में भूमि सुधार के लिए भू-दान आंदोलन किया गया, उत्तराखंड में महिलाओं के द्वारा आंदोलन किया गया। किन्तु व्यवस्था में कोई ऐसा परिवर्तन नहीं हुआ कि जो देश के अधिकतर किसानों की आय में परिवर्तन ला सके।

इसके अलावा बहुत से कारण हमारी जागरूकता से जुड़े हैं। पिछली पीढ़ी के किसानों में एजुकेशन का अभाव है। इस अभाव के कारण वह भूमि की जाँच नहीं करवाते, सरकार के द्वारा कौन से लाभ दिए जा रहे है, किस मंडी में कौन से भाव चल रहे हैं इसकी जानकारी भी उनके पास नहीं रहती। और कभी-कभी कंपनियों के प्रलोभन में आकर, कंपनी के द्वारा फसा दिए जाते हैं।

सरकार की जिम्मेदारी

आजादी के बाद भारत का किसान(Farmer of India) बेहद खराब स्थिति में था। देश को समस्याओं से दूर करने के लिए पंच वर्षीय योजना(five year plan) देश में शुरू किया गया। 1966-67 देश में हरित क्रांति की शुरुआत की गयी जिसके तहत बड़े स्तर पर रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशको का इस्तेमाल किया गया। आज के समय में यह भूमि बंजर होने को आ चुकी है। उस भूमि की उर्वरता ख़तम हो रही है। किंतु इस सब के इतर सरकार ने कभी उस स्तर पर किसानों की चिंता की ही नहीं जैसे सरकार को करनी चाहिए।

जब किसी राज्य में सरकार को चुनाव कराने हो तो बाढ़, महामारी जैसी स्थिति में भी सरकार एक महीने बाद की चुनाव आयोग से तारीख लेकर चुनाव कराने की स्थिति में आ जाते हैं और उन चुनावों में कितना धन खर्च किया जाता हैं इसका कोई अनुमान नहीं। किसी भी राज्य के चुनाव में अधिकतम वोटर तो किसान ही होते हैं, उस समय किसानों के लिए पार्टियाँ वादे पर वादे किये जाती हैं। चुनावों को जितने के लिए कर्ज माफ़ी कर देते है।

लेकिन मुद्दा तो आय का है। इस पर ज्यादातर सरकारें विचार नहीं कराती हैं, हालाँकि अभी की सरकार के द्वारा किसानों कि आय 2022 तक दोगुना करने कि बात कही गयी है लेकिन ऐसा अभी तक तो कहीं से भी नहीं लगता। देश के आर्थिक हालत कोरोना के समय में और भी ख़राब हो गए है जिसके लिए सरकार के कदम भी जिम्मेदार है। ऐसी स्थित में किसानों की बात सरकार कैसे पूरा करेगी और क्या यह महंगाई के अनुरूप होगी?

सरकार के द्वारा क्या कदम होने चाहिए?

पहले तो सरकार को जिम्मेदारी से काम करना होगा और एक मजबूत इच्छाशक्ति को पैदा करना होगा। जिससे वह किसानों की समस्या को हल कर सके। भारत में किसानों की समस्या को अलग तरीके से सोचकर हल करना होगा इसके लिए-

  • सबसे पहले खेती में किसानों की जागरूकता को बढ़ाना होगा। नए लोगों को खेती में जोड़ना होगा। उनके परिवार में बच्चों को एजुकेशन देने का प्रयास सरकार को करना होगा। ताकि वैज्ञानिक तरीके से खेती करने पर जोर दिया जा सके।
  • किसानों की एक सबसे बड़ी समस्या मौसम की है। अधिकतर कृषि में किसानों को नुकसान मौसम की वजह से होता है जिसमे उनकी पूरी खेती नष्ट हो जाती है, ऐसे में किसान बैंक लोन और कर्ज में फस जाते है। प्राकृतिक आपदा के समय सरकार को किसानों के लिए बेसिक इनकम जैसी पालिसी चलानी चाहिए।
  • दूर दराज के इलाकों में यातायात और सड़क की पहुंच होनी चाहिए। झारखण्ड, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में बहुत से ऐसे गांव आज भी है जहाँ रोड नहीं हैं।
  • बैंको द्वारा दिए जाने वाले कर्ज में किसानों को रियायत मिलनी चाहिए।
  • सरकार को छोटे किसानों के जमीन की समस्या को हल करना चाहिए। गरीब किसान जिनके पास खेती के लिए जमीन नहीं है उनके लिए भी उपाय करने चाहिए
  • सरकार के पास एक लम्बा प्लान होना चाहिए जिसे स्तर दर स्तर लागू करना चाहिए जिस प्रकार से फाइव ईयर प्लान लाये गए इसी प्रकार से केवल कृषि को ध्यान में रखते हुए प्लान बनना चाहिए।सरकार के द्वारा चलायी जा रही योजनाए

सरकार के द्वारा चलायी जा रही योजनाए

सरकार के द्वारा Feb 2019 में PM-KISAN योजना की शुरुआत की गयी। यह एक केंद्रीय योजना है। लघु एवं सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए इस योजना को चलाया गया। इस योजना में पात्र किसान परिवारों को प्रतिवर्ष 6,000 रुपए की दर से प्रत्यक्ष आय सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इसके अलावा देश में किसानों के लिए पहले से ही बहुत सी योजनाए चल रही है जैसे-

  • किसान क्रेडिट कार्ड योजना
  • कृषि यंत्रीकरण पर उपमिशन (एसएमएएम) के अंतर्गत लागत मानक और सहायता
  • कृषि विपणन
  • चारा और चारा विकास योजना
  • डेयरी उद्यमिता विकास योजना (डीईडीएस )
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
  • पशुधन बीमा योजना
  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एवं अन्य सिंचाई योजनायें

इसके आवला भी बहुत सी योजनाए हैं।

भारत का किसान(Farmer of India) कितना सुरक्षित है?

भारत के किसान का जीवन अंधकार में ही दिखाई देता है। कम आय के कारण स्वास्थ्य संकट हमेशा बना रहता है। 17 प्रतिशत किसान ही ऐसे हैं, जिनके पास जीवन बीमा है और केवल 5 प्रतिशत किसानों के पास ही स्वास्थ्य बीमा है। ज्यादातर किसान किसी भी बीमारी की स्थिति में कर्ज लेकर इलाज कराते हैं और फिर कर्ज के चक्कर में फस क्र रहा जाते हैं सरकार के द्वारा स्वास्थ्य के लिए आयुष्मान भारत योजना चलायी गयी है लेकिन उसकी पहुंच भी वंचित किसान तक नहीं हो सकी है। किसान खेती छोड़ कर मजदूरी कर रहा है या शहरों की ओर आ रहा है।

देश में 10.07 करोड़ किसान हैं जिनमें 52.5 प्रतिशत किसान कर्जे में दबे हुए हैं किसानों की समस्याओं के लिए हमे हर स्तर पर सुधार करने की आवश्यकता है जैसे सिंचाई के स्तर पर, कीमत के स्तर पर, भंडारण के स्तर पर, पैदावार के समय, बीज को चुनते समय, तभी समस्या को हल किया जा सकता है।

संस्थाओं का अध्ययन यह नहीं बताता कि जिन लोगों ने खेती छोड़ी, उनका हुआ क्या? नाबार्ड आंकड़े तो दे रहा है किन्तु इन आंकड़ों में यह नहीं है कि दो दशकों में सवा तीन लाख किसानों ने कर्जा लेकर आत्महत्या क्यों की?

हमारा देश गावों में बसता है, गावों का विकास जब तक नहीं होता तब तक अपने देश का विकास नहीं होगा। अगर भारत का किसान(Farmer of India) अपनी आय को सही स्थिति तक ले आता है तो यह देश की ग्रोथ के लिए सबसे बेहतर साबित होगा। किसान भारत की ताकत है। जो हमें अनाज देता है खेतों में पसीना बहता है उसके लिए सरकार को जिम्मेदारी दिखानी होगी।

 

 

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