Aluminium Air Battery का इस्तेमाल पहले से ही इंडस्ट्रीज और सेनाओं के द्वारा किया जाता रहा है। किन्तु आज तक बड़े रूप में इसका इस्तेमाल नहीं हो सका। एल्युमीनियम एयर बैटरी के द्वारा एक प्रयास यह भी किया जा रहा है कि भविष्य में यह लिथियम आयन बैटरी का विकल्प शाबित होगा। किन्तु इस बात में सच्चाई, एक वैज्ञानिक शोध का विषय है। क्यों कि जो आंकड़े लैब के स्तर पर प्राप्त होते हैं वह जमीनी स्तर पर एकदम भिन्न भी हो सकते हैं।
एल्युमीनियम बैटरी पर भारत में भी शोध कार्य चल रहा है। कई कंपनियां इन्हे बनाने और गाड़ियों में इस्तेमाल करने का प्रयास कर रही हैं। भारत में ऐसा करने के प्रयासों का सबसे बड़ा कारण यहाँ पर एल्युमीनियम के भंडारों का भरपूर मात्रा में होना है। जबकि लिथियम आयन बैटरी के लिए भारत में लिथियम भंडार नहीं है। जिस वजह से लिथियम को बहार से आयत करना पड़ता है।
लिथियम आयन बैटरी के क्षेत्र में चीन हमसे बेहतर स्थिति में है, वहां लिथियम के भंडार भी है और टेक्नोलॉजी भी।
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Aluminium Air Battery
इस प्रकार की बैटरी में दो कॉम्पोनेन्ट का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें एक कॉम्पोनेन्ट Aluminium है एवं दूसरा कॉम्पोनेन्ट एयर (वायु)। इन बैटरी में एल्युमीनियम की रिएक्शन को वायु की ऑक्सीजन के साथ कराया जाता है।
ये बैटरी लिथियम आयन बैटरी से 8 गुना ज्यादा अधिक क्षमता युक्त होती है। एवं इन बैटरी का भार भी कम होता है।
Aluminium Air Battery कार्य कैसे करती हैं?
एल्युमीनियम बैटरी में एल्युमीनियम अलॉय प्लेट का इस्तेमाल एनोड के रूप में होता है। एवं कैथोड के लिए एयर(वायु) का इस्तेमाल किया जाता है। इन दोनों नोड के मध्य में इलेक्ट्रोलाइट के रूप में साधारण जल भरा होता है। एयर(वायु) इलेक्ट्रोलाइट की सहायता से एल्युमीनियम से क्रिया करती है। जिस वजह से Aluminium Trihydroxide Al(OH)3 के साथ इलेक्ट्रिसिटी(ऊर्जा) पैदा होती है।
Aluminium Air Battery से लाभ
- एल्युमीनियम बैटरी को चार्ज नहीं करना पड़ता। इन्हे एक बार के इस्तेमाल पर लम्बी दूरी तय की जा सकती है। एल्युमीनियम बैटरी द्वारा वाहनों को चलाने के लिए जगह जगह पर बैटरी स्टेशन बनाने होंगे जहाँ नयी बैटरी जोड़कर यात्रा को आगे बढ़ाया जा सकेगा।
- जिन जगहों पर जनरेटर का इस्तेमाल होता है वहां इन बैटरी का उपयोग करके क्लीन एनर्जी को बढ़ाया जा सकता है।
- इन बैटरी की एनर्जी डेंसिटी अधिक होती है।
Aluminium Air Battery में समस्या
- इन बैटरी को एक बार इस्तेमाल के बाद फिर से इस्तेमाल में नहीं लाया जा सकता।
- ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया में एल्युमीनियम की खपत होती है। अतः फिर से बैटरी निर्माण में एल्युमीनियम शोधन प्रक्रिया से प्रदुषण बढ़ेगा।
Aluminium Air Battery के निर्माण में इसराइल की कंपनी भारत की इंडियन आयल कारपोरेशन के साथ मिलकर एयर बैटरी पर कार्य करने के लिए समझौता किया है। मारुती सुजुकी ने Ashok Leyland के साथ मिलकर 25 AL-aircells की बैटरी तैयार की है। जिस पर टेस्ट किये जा रहे हैं।
लम्बी दूरी के लिए एल्युमीनियम बैटरी एक विकल्प है। यह सस्ती भी हैं किन्तु इन्हे किफायती रूप से वाहनों में प्रयोग लायक बनाना चुनौतीपूर्ण कार्य है। अगर यह बाधाएं पार कर ली जाती हैं तो यह भविष्य का विकल्प बन सकता है।