Agriculture Market: Agriculture Marketing in India

Agriculture Marketing( कृषि विपणन ) क्या है?

Agriculture Marketing के अंतर्गत, किसान के द्वारा जो फसल अपने खेत में की गयी है उसका किसान को उचित मूल्य मिल पाए। इसके लिए  उन सभी प्रक्रियाओं को शामिल किया जाता है। जो कृषि और कृषि वस्तुओँ के पैदा होने से लेकर अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचने में करनी पड़ती है।

Agriculture Marketing में शामिल कार्यक्रम।

  • सामान की खरीद करके उसे बाजार में बेचना।
  • सामान के भंडारण, परिवहन और प्रसंस्करण( Processing) करने के साधन।
  • सामान पर मानकीकरण(Standardization), वित्त पोषण(Financing) और जोखिम-वहन(Risk-bearing) का मापन।
  • बाजार के अनुसार प्रक्रिया का निर्वहन।

Agriculture Marketing में समस्याएं।

  • किसानों की सबसे बड़ी समस्या आज भी परिवहन की है जो गाँव, शहर के पास पड़ते है वो आसानी से अपने सामान को बाजार तक पहुँचा देते है। यह समस्या भी सिर्फ उनके लिए आसान है जिनके पास साधन उपलब्ध है ऐसे बहुत से मज़दूर किसान है जो दूसरे बड़े किसानों के यहाँ खेती करते है उनकी हालत आज भी उतनी ही गरीब है जो पिछले 20 साल पहले थी। उसके पास बचत का एक ही ज़रिया है अपने शरीर से अधिक से अधिक काम लिया जाये। यह हाल तो सिर्फ शहरी क्षेत्रों में  है अगर mountain states में चला जाये तो यह कठनाई और भी अधिक हो जाती है। आदिवासी क्षेत्रों में आज भी रास्तों का अभाव है।
  • कृषि उत्पादों की कम दामों पर बिक्री: ऐसा अधिकतर देखा जाता है कि किसान अपने कृषि उत्पाद को गाँव में ही बेच देते है। जिससे उन्हे मिलने वाला मुनाफ़ा कम हो जाता है ऐसा उनके बाजार के नियमों से अवगत न रहना भी एक कारण है। दूर की मंडियों तक वह अपनी पहुंच नहीं बना पाते है और कई बार ऐसा होता है कि किसी सामान के भाव में इतनी कमी आ जाती है कि किसान कि लागत भी नहीं निकल पाती है।
  • गोदामों का अभाव: अभी अपने देश में कोल्ड स्टोरेज की संख्या को और भी अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है कई बार समाचारों में यह देखने को मिलता है कि गेंहू, आलू , सब्जियाँ खुले में ही रखे हुए सड़ गए। अगर किसान कोल्ड स्टोरेज का उपयोग अपनी फसल के लिए जागरूकता से करते हैं तो सही समय पर अपनी फसल बेच कर और भी अधिक मुनाफ़ा कमा सकते हैं।
  • लोन के कुचक्र में फसना: छोटे किसानों को लोन आसानी से नहीं मिलता अगर मिलता भी है तो उसे चुकाने में भी भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। जैसे तैसे कर के किसान जमीन पर खेती करने के लिए बैंक से कर्ज लेकर खेती करता है अगर किसी भी कारण से उसे बाजार से अच्छा मूल्य प्राप्त नहीं होता जिसमें मौसम भी बहुत बड़ा बाधक है, तो किसान द्वारा लोन न चुका पाने से उसकी स्थिति और भी अधिक ख़राब हो जाती है।

Agriculture Marketing में उपाय।

  • एगमार्क(गुणवत्ता की सील) प्रदान करना (एग्रीकल्चर एक्ट 1937), ऐसा करने से सही कीमत का अनुमान का लगाया जा सकेगा, जिससे तय कीमत के आधार पर बिकवाली संभव हो सकेगी।
  • भण्डारण के लिए पर्याप्त उपाय किये जाने चाहिए किसान अपनी फ़सलों को वेयरहाउस में रखे और उचित समय पर वेयरहाउस से निकल कर बाजार में बेचें।
  • नियमित बाजार (Regular Market)होने चाहिए राज्यों की agricultural committee act के तहत बाजार समितियों का निर्माण होना चाहिए। जिसमें विशिष्ट वस्तुओँ की बिक्री को तय किया जाना चाहिए।
  • सहकारी विपणन समिति होनी चाहिए। जिसमें 10 या 10 से अधिक किसान मिलकर रेट तय करने चाहिए।
  • मूल्य स्थिरीकरण के लिए FCI(Food Corporation of India)+CWC(Central Warehouseing corporation)+WC(Warehouse Corporation) को मिलकर काम करना चाहिए।
  • One Nation- One Ration Card योजना को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करा जाना चाहिए।
  • एफपीएस (fair price shop) पर biomatric system लगाए जाने चाहिए

सरकार द्वारा उठाये गए कदम ।

  • अब सरकार ने वेयरहाउस में माल के रखने पर लगने वाली पाबन्दियो को हटा लिया है ऐसा करने से ज्यादा investment आएगी अधिक से अधिक माल लम्बे समय के लिए वेयर हाउस में रखा जा सकेगा। किसान द्वारा जो फसल वेयर हाउस में रखी गयी है वेयर हाउस के द्वारा उस किसान को उसकी reciept दी जाएगी जिसे वह बैंक में दिखा कर लोन भी ले सकता है।
  • किसान APMC मंडियों के बाहर जाकर भी सामान को बेच सकेंगे। Intra state भी किसान अभी कृषि को बेच सकेंगे।
  • सरकार ने 1 लाख करोड़ का agriculture infrastucture fund बनाया है,अगले चार सालों में इसका उपयोग किया जायेगा। इस फण्ड के द्वारा पोस्ट हार्वेस्ट स्टोरेज और प्रोसेसिंग फैसिलिटीज को तैयार किया जायेगा।

और क्या किया जा सकता है?

  • Farmer Producer Organization के द्वारा लोन दिया जाये ऐसा करने के लिए नाबार्ड इन FPOs को working capital मुहैया कराये कम ब्याज पर ऐसा करने से FPO भी सस्ता लोन दे सकेंगी किसानो को।
  • Agri-Future Markets के चलन को बढ़ाया जाये। ऐसा करने से किसान के माल का दाम पहले से ही तय हो जाता है जिससे किसान भी अपनी फसल के दाम को लेकर निश्चित हो जाते है उन्हें पता रहता है कि भविष्य में उन्हें इतना दाम मिलना है इतनी फसल के लिए, और ऐसा करने से किसानों को इस बात का अंदेशा रहेगा कि उन्हें कौन सी फसल को उगाना चाहिए। चीन और अमेरिका जैसे देशों में agri-future market को बहुत बढ़ावा गया है।
  • सरकार की पालिसी मार्किट के हिसाब से होनी चाहिए उनमें बहुत जल्दी जल्दी बदलाव सरकार की तरफ से नहीं करने चाहिए।
  • FCI(Food Corporation of India), NAFED(National Agriculture Cooperative Marketing Federation of India) और STC(State Trading Corporation) ये सभी orgnisation, Agri-Future Market में अपने पार्टिसिपेशन को बढ़ाये।
  • जो बैंक FPOs और ट्रेडर्स को लोन देते हैं वो भविष्य में commodity में इंवेस्ट करें। इससे Agriculture Marketing में growth देखने को मिल सकेगी।

 

 

 

 

 

 

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