12th BRICS Summit: BRICS का महत्व एवं चुनौतियां

2009 से हर साल BRICS सम्मलेन कराया जाता है। इस साल भी BRICS सम्मलेन जुलाई के महीने में होना था किन्तु Corona के चलते 12th BRICS Summit को तय समय की देरी से 17 NOV को रूस की प्रेसीडेंसी के द्वारा कराया गया। यह एक आभासी समिट था जिसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कराया गया।

BRICS में 5 उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देशों को शामिल किया गया है। जिसमें ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चीन, और साउथ अफ्रीका को शामिल किया गया है। शुरुआत में साउथ अफ्रीका शामिल नहीं था इस वजह से जो नाम सामने आया वह BRIC था। इस BRIC शब्द को 2001 में Jim O Neil (Chairman of Goldman Sachs) के द्वारा बोला गया।

2009 में BRIC देशों के द्वारा पहला सम्मलेन रूस के Yekaterinburg में आयोजित किया गया एवं इसके अगले ही साल 2010 में साउथ अफ्रीका भी शामिल हो जाता है जिसके बाद BRICS का निर्माण होता है। BRICS मुख्यतः Economic and Political Regional Organization(आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रीय संगठन) है।

इस सम्मलेन की आधिकारिक भाषाओँ में Portuguese , Russian , Hindi , Mandarin , English शामिल है। ब्रिक्स के सम्मेलनों में इन देशों के राजनीतिक प्रमुख, इन देशों के वित्त मंत्री, और इन देशों के Central Bank Governors शामिल होते हैं।

BRICS का महत्व

BRICS का महत्व इस बात में अधिक हो जाता है कि दुनिया की कुल जनसँख्या का 22% हिस्सा BRICS के देशों में है। पहली बार 2012  में भारत के द्वारा BRICS की अध्यक्षता की गयी। इस समय देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे। इसके बाद 2016 में नरेंद्र मोदी के द्वारा ब्रिक्स की अध्यक्षता की गयी।

इन देशों का महत्व इस बात में भी अधिक है कि ये सभी देश आपस में मिलकर दुनिया की अर्थव्यवस्था को बहुत हद तक बदल सकते हैं। भारत और चीन दुनिया में सबसे अधिक जनसँख्या वाले देश हैं जहाँ बाजार का फैलाव अभी हो रहा है और खपत की बहुआयामी सम्भावनायें छुपी हुई है।

12th BRICS Summit

इस बार की ब्रिक्स की theme ‘Global Stability , Shared Security and Innovative Growth रही है।

इस बार समिट में सिक्योरिटी और स्टेबिलिटी के मुद्दे पर जोर दिया गया। पूरा विश्व कोरोना के चपेट में है तो प्रयास यह है कि इस समस्या से बाहर निकला जाये। ऊर्जा के क्षेत्र पर ध्यान देने की बात हुई, लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन के विवाद को लेकर भी यह सम्मलेन महत्वपूर्ण था।

प्रधानमंत्री जी के द्वारा इंस्टीटूशन के रिफॉर्म्स को लेकर भी बात कही गयी जैसे- WTO , IMF , United नेशन। लगातार अलग अलग देशों के द्वारा बदलाव लाने की बात कही जाती है। समय के साथ इनमें भी बदलाव की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

भारत के द्वारा covid-19 के समय में और भी अधिक दुनिया तक सहायता पहुंचने की बात कही गयी।

मोदी जी के द्वारा आतंकवाद के मुद्दे को उठाया गया जिसमें रूस के राष्ट्रपति पुतिन के द्वारा भी परिवार में ब्लैक शीप जैसे वाक्य के द्वारा आतंकवाद के नजरिये पर निशाना साधा गया।

BRICS की चुनौती

ब्रिक्स के इन सभी पाँचों देशों में चीन एक ऐसा देश है जो बहुत तेज़ी से ग्रोथ में आगे निकला है। वहीँ ब्राज़ील और साउथ अफ्रीका इसमें पीछे रह जाते हैं। चीन की अपनी भौगोलिक चुनौतियां और फायदे हो सकते हैं जिसे उसने भुनाया है।

चीन का RCEP प्रोग्राम, जिससे भारत ने खुद को बाहर रखा है। इस प्रोग्राम के जरिये चीन एक बड़े लीडर के रूप  में सामने आया है।

ब्रिक्स की सबसे बड़ी चुनौती सभी देशों के बीच भौगोलिक दूरी से है। जो ट्रेड के सामान्य एजेंडा के लिए कठिन साबित होती है। 2019 में ग्लोबल रेटिंग एजेंसीज के द्वारा BRICS देशों के प्रासंगिकता पर सवाल खड़े किये गए कि आज के समय में BRICS का महत्व है भी या नहीं। क्यों कि ब्रिक्स के बनते समय इससे बहुत अधिक उम्मीदे सभी देशों को थी।

ब्रिक्स में सभी देशों की जीडीपी को देखें तो ब्रिक्स में अकेले 68% GDP की भागीदारी चीन की है, उकसे बाद भारत की भागेदारी 14%, रूस की 8%, ब्राज़ील की 9% और साउथ अफ्रीका की 1.7% है तो GDP ग्रोथ के मामले में देशों के बीच तालमेल बन नहीं पाता है।

BRICS में अवसर की सम्भावनायें

World बैंक और IMF की बात करें तो इनमें USA की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। इसके संतुलन के लिए ब्रिक्स देश आपस में समूह बना कर कार्य कर सकते हैं। अगर वर्ल्ड बैंक और IMF में वोटिंग पैमाने को देखें तो USA का वर्ल्ड बैंक में 13.24% और IMF में 14.91% की हिस्सेदारी है।

USA ट्रेड को लेकर कोई न कोई कदम उठाता रहता है। ब्रिक्स देशों के द्वारा 2014 Shanghai में New Devvelopment Bank का निर्माण किया गया। इसका मुख्यतः उद्देश्य बुनियादी ढांचा परियोजना के लिए फण्ड जुटाना है और यह किसी भी देश को लोन दे सकता है उसके विकास कार्य के लिए।

covid-19 के समय में भारत को $1 बिलियन की सहायता दी गयी है। ब्रिक्स देशों में सभी 5 देशों के पास समान share Holding or voting rights है।

BRICS contingent reserve arrangement(CRA) को 2015 में बनाया गया ब्रिक्स देशों में से किसी भी देश में short-term balance of payment का खतरा है तो उससे निपटने के लिए इसे बनाया गया है।

12th BRICS Summit के द्वारा सभी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। अभी कोरोना के समय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये ही सम्मलेन को पूर्ण किया गया। जो चुनोतियाँ दुनिया के सामने आ रही हैं। उस पर एकजुट होकर हल खोजने की बात पर जोर दिया गया है। ब्रिक्स का प्रयास अपनी भूमिका को दुनिया के सामने रखने की होनी चाहिए, covid के समय में यह भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।

 

 

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